समय से पहले दुनिया भर में हो रही मौतों की वजहों में सबसे ज्यादा उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर भी है. चिकित्सकीय भाषा में यह हाइपरटेंशन है. बदलता आम जनजीवन, दिनचर्या, भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में यह कब घर कर जाता है, अमूमन पता नहीं चलता.
आज यह वो वैश्विक रोग बन गया है जिसके अधिकतर प्रभावितों को बड़ा खामियाजा भुगतने के बाद समझ आता है. दबे पांव शरीर को घेरते इस रोग को साइलेंट किलर भी कहते हैं. विडंबना देखिए कि हर हाथों में वाट्स एप्प यूनिवर्सिटी का ज्ञान बघारते, नुस्खा बताते स्क्रीन पर घंटों समय बिताने के बावजूद हर साल विश्व में लगभग 7.5 मिलियन लोग जान गंवा देते हैं.
ऐसा भी नहीं कि बढ़े रक्तचाप पर हर बार चिकित्सक के पास जाना पड़े. नियमित निगरानी, थोड़े ऐहतियात, जरा सी सतर्कता और जिह्वा पर नियंत्रण से काफी इसके दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है. लक्षण की सामान्यतः सटीक जानकारी मिल ही जाती है. स्वचलित माप मशीन से रक्तचाप का एक चार्ट बना, इसकी प्रवृत्ति समझ, रोका जा सकता है.
रक्तचाप किस वक्त कितना बढ़ता है, किन कारणों से बढ़ता है जैसी बातें आसानी से समझी जा सकती हैं. बस इन्हें समझने, नियंत्रित करने या प्रभावित करने वाले तौर-तरीकों में सुधार कर उच्च रक्तचाप पर काबू संभव है. सुबह-शाम घूमने-फिरने वालों की संख्या उंगलियों में गिनने लायक रह गई है. फिटनेस का आसान और निःशुल्क वरदान भूलते जा रहे हैं. नींद खुलते ही बिस्तर पर पड़े-पड़े पहले हाथों, आंखों व दिमाग पर जोर डालकर स्क्रीन पर मिनटों बिताएंगे. बिस्तर छोड़ते ही गर्दन, कमर और सिर दर्द की शिकायत करेंगे.
रात भर शरीर मिले आराम को उठते ही स्क्रीन को समर्पित कर, उठने से पहले फिर वही तनाव, आपाधापी, बेफिजूल संदेशों, वीडियो, शॉर्ट्स, रील को देख बढ़े रक्तचाप और तनाव से घिर जाएंगे. यह शरीर ही नहीं बल्कि समाज के साथ भी अत्याचार और धोखा नहीं तो क्या है?
हम समाज में स्वस्थ भागीदारी जगह रोज अनजाने साइलेंट किलर के हाथों खेलने लगते हैं. सोचिए, कितना बड़ा जोखिम ले रहे हैं? विश्व हाइपरटेंशन लीग यानी डब्ल्यूएचएल जिसे अंतरराष्ट्रीय उच्च रक्तचाप सोसायटी ने स्थापित किया, 2005 से हर साल अलग-अलग विषयों पर इस दिन का आयोजन कर लोगों को जागरूक व सचेत करने का नेक काम कर रही है.