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ब्लॉग: वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं में गंभीर चुनौती बना मलेरिया

By योगेश कुमार गोयल | Updated: April 25, 2024 10:56 IST

मच्छरों के काटने से होने वाली जानलेवा बीमारियों में मलेरिया भी एक है, जो गंदगी वाले क्षेत्रों तथा नम इलाकों में बहुत जल्दी पैर पसारता है।

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ठळक मुद्देमच्छरों के काटने से होने वाली जानलेवा बीमारियों में मलेरिया भी एक हैमलेरिया गंदगी वाले क्षेत्रों तथा नम इलाकों में बहुत जल्दी पैर पसारता हैयूनिसेफ द्वारा 25 अप्रैल 2008 को ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाने की शुरुआत की गई थी

मच्छरों के काटने से होने वाली जानलेवा बीमारियों में मलेरिया भी एक है, जो गंदगी वाले क्षेत्रों तथा नम इलाकों में बहुत जल्दी पैर पसारता है। हर साल मलेरिया से होने वाली लाखों लोगों की मौत को देखते हुए ही लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से यूनिसेफ द्वारा 25 अप्रैल 2008 को ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाने की शुरुआत की गई थी।

मलेरिया दिवस प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को अलग-अलग विषय के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष यह ‘अधिक न्यायसंगत दुनिया के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना’ थीम के साथ मनाया जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक हर साल इस घातक बीमारी के दुनियाभर में 20 करोड़ से भी ज्यादा नए मामले दर्ज किए जाते हैं। मलेरिया दुनिया की सबसे घातक परजीवी बीमारियों में से एक है, जिसके 2017 में तो वैश्विक स्तर पर 21.9 करोड़ से भी ज्यादा मामले सामने आए थे और करीब 4.35 लाख लोगों की मौत हुई थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनियाभर में 2022 में मलेरिया के करीब 24.9 करोड़ नए मामले सामने आए और मलेरिया से 6 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई। शून्य मलेरिया के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के बारे में संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि ऐसे देशों की संख्या अब निरंतर बढ़ रही है, जो मलेरिया उन्मूलन को हासिल करने के लक्ष्य के निकट पहुंच रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 से 2019 के बीच मलेरिया के 100 से भी कम मामले वाले देशों की संख्या 6 से बढ़कर 27 हो गई थी और अब तक करीब 40 देश मलेरिया-मुक्त घोषित हो चुके हैं। किसी भी देश को आधिकारिक रूप से मलेरिया-मुक्त राष्ट्र की मान्यता डब्ल्यूएचओ द्वारा तभी प्रदान की जाती है, जब वह तथ्यात्मक रूप से प्रमाणित करे कि उस देश में पाए जाने वाले मलेरिया संचारण के मामलों की संख्या राष्ट्रव्यापी स्तर पर पिछले कम से कम तीन वर्षों तक शून्य रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2021’ में भारत में 2020 में 27 लाख से 59 लाख के बीच मामलों का अनुमान लगाया था जबकि भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक यह संख्या 1.87 लाख थी। भारत में 2016 में मलेरिया के 10.09 लाख मामले दर्ज किए गए थे जबकि देशभर में करीब 626.1 करोड़ रुपए की मलेरिया-रोधी दवाओं की बिक्री हुई थी, जो आधिकारिक रूप से रिपोर्ट किए गए आंकड़ों की तुलना में बहुत ज्यादा थी।

डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि मलेरिया के कारण भारत का सामाजिक-आर्थिक बोझ करीब दो बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो इस बीमारी की तीव्रता और इसे समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर डालता है।

टॅग्स :WHOWho-World-Health-OrganizationHealth and Family Welfare Department
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