Blog: फुटबॉल हमें पसंद तो है, लेकिन इसके लिए कभी हमारी भावनाएं जगाई नहीं गईं
By सुमित राय | Published: June 12, 2018 02:26 PM2018-06-12T14:26:26+5:302018-06-12T14:26:26+5:30
हमें फुटबॉल पसंद तो है, लेकिन इसके लिए हमारे मन में कभी भी भावनाएं जागृत नहीं की गईं।
भारतीय फुटबॉल टीम ने कप्तान सुनील छेत्री के दो गोल की बदौलत रविवार को मुंबई फुटबॉल एरेना में खेले गए फाइनल मुकाबले में केन्या को 2-0 से हराकर इंटरकॉन्टिनेंटल कप का खिताब अपने नाम कर लिया। यह बड़ा टूर्नामेंट जब शुरू हुआ तब देश में ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी। इसके बाद कप्तान सुनील छेत्री को सामने आना पड़ा और लोगों से मैच देखने और भारतीय टीम को सपोर्ट करने के लिए अपील करनी पड़ी।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमें फुटबॉल पसंद तो है, लेकिन इसके लिए हमारे मन में कभी भी भावनाएं जागृत नहीं की गईं। जुलाई में भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड का दौरा करेगी और दो महीने पहले से ही हर ऐड ब्रेक में इसके रोचक विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं। जैसे- क्या इंग्लैंड की तेज स्विंग लेती गेंद को खेल पाएंगे कोहली, क्या भारत ले पाएगा इंग्लैंड से बदला, भिड़ंत बस इंग्लैंड के खिलाड़ियों से नहीं होगी। इस तरह के कई विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं।
इंटरकॉन्टिनेंटल कप के पहले मैच में मुश्किल से 2 हजार लोग पहुंचे। इसके बाद सुनील छेत्री को हाथ जोड़ते हुए देशवासियों से अपील करनी पड़ी। उन्होंने लोगों से कहा आप हमारी निंदा करिए, हमें गलियां दीजिए, लेकिन प्लीज मैदान में आकर ये सब कीजिए। इस अपील में आश्चर्य करने वाली बात यह थी कि यह उस खेल के लिए करनी पड़ी, जिसे 200 से ज्यादा देश खेलते हैं और जिसे दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल का दर्जा प्राप्त है।
ऐसा नहीं है कि हमारा इंट्रेस्ट फुटबॉल देखने में नहीं है। यह बात तब सही साबित हो गई जब सुनील छेत्री के अपील के बाद मैच के सभी टिकट बिक गए और आयोजकों को टिकट सोल्ड आउट का बोर्ड लगाना पड़ा। इतना ही नहीं अगले मैच के दौरान ग्राउंड भी दर्शकों से खचाखच भरा नजर आया। अब हमें बताया ही नहीं जाता है कि फुटबॉल मैच का आयोजन कब किया जा रहा है तो हमें इसमें इंट्रेस्ट कैसे आएगा।
फुटबॉल के महाकुंभ 'फीफा वर्ल्ड कप 2018' का आगाज 14 जून से होगा, जो 15 जुलाई तक चलेगा। टूर्नामेंट में इस साल 32 टीमें हिस्सा ले रही हैं, लेकिन एक बार फिर भारतीय टीम को इसमें खेलने का मौका नहीं मिला। भारतीय टीम की बात की जाए तो उसे सिर्फ एक बार अंडर-17 वर्ल्ड कप में खेलने का मौका मिला। वो भी इसलिए क्योंकि साल 2017 में भारत को इस टूर्नामेंट को होस्ट करने का मौका मिला था और मेजबान टीम को टूर्नामेंट में डायरेक्ट एंट्री मिलती है।
अंडर-17 फुटबॉल वर्ल्ड कप भारत के लिए अच्छा मौका था, लेकिन इसके पब्लिसिटी और मार्केटिंग में ज्यादा काम नहीं किया गया। टूर्नामेंट के प्रसारण का अधिकार सोनी के पास था, एक रिपोर्ट के मुताबिक चैनेल ने लगभग 60 करोड़ रुपए की कमाई की थी। फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप के आयोजकों के पास अच्छे क्राउड तक पहुंचने का अच्छा मौका था, लेकिन अच्छा मैनेजमेंट न होने के कारण एक अच्छा मौका हाथ से निकल गया।