डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: छात्रों पर न लादें उम्मीदों का बोझ

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 10, 2019 06:29 PM2019-05-10T18:29:18+5:302019-05-10T18:29:18+5:30

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि तेलंगाना में हाल ही में सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी से फेल होने के बाद 22 छात्रों ने आत्महत्या कर ली. तेलंगाना राज्य माध्यमिक शिक्षा मंडल का परीक्षा परिणाम 18 अप्रैल को घोषित होने के बाद इन छात्रों ने आत्महत्या की. बेशक उन्होंने निराशा के चलते ऐसा किया, लेकिन उन्हें यह निराशा क्यों महसूस हुई?

Do not load burden of expectations on students | डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: छात्रों पर न लादें उम्मीदों का बोझ

कभी-कभी तनाव प्रेरणादायक भी साबित हो सकता है.

 (डॉ. एस.एस. मंठा)

विद्यार्थी अनेक कारणों से इन  दिनों तनाव में नजर आ रहे हैं. बढ़ती हुई फीस, शिक्षा की गुणवत्ता में कमी, परीक्षा के बाद खराब मूल्यांकन, परीक्षा परिणाम आने में देरी और रोजगार के अवसरों में कमी जैसे विषय उसकी चिंता के कारण हैं. छात्र जब तनाव में होते हैं तो उक्त चिंताजनक कारणों से अवसाद में चले जाते हैं. इसके लिए जिम्मेदार कौन है? 

बहुत ज्यादा अपेक्षाओं के चलते, उन्हें पूरा नहीं कर पाने से भी विद्यार्थी तनाव और दबाव में आ जाते हैं. ऐसी स्थिति में सरकार अथवा समाज का क्या कर्तव्य है? कभी-कभी तनाव प्रेरणादायक भी साबित हो सकता है. जीवन के लिए यह आवश्यक भी हो सकता है. हमें इससे समझ में आता है कि सामने आने वाले खतरों से कैसे निपटा जाए. लेकिन बहुत सारी समस्याएं एक साथ सामने आ जाने से पैदा होने वाला तनाव मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. 

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि तेलंगाना में हाल ही में सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी से फेल होने के बाद 22 छात्रों ने आत्महत्या कर ली. तेलंगाना राज्य माध्यमिक शिक्षा मंडल का परीक्षा परिणाम 18 अप्रैल को घोषित होने के बाद इन छात्रों ने आत्महत्या की. बेशक उन्होंने निराशा के चलते ऐसा किया, लेकिन उन्हें यह निराशा क्यों महसूस हुई? दरअसल सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी के कारण कई छात्रों को फेल घोषित कर दिया गया. छात्रों द्वारा आत्महत्या करने और उनके अभिभावकों द्वारा आवाज उठाने के बाद तेलंगाना सरकार ने फेल होने वाले सभी छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं की फिर से जांच का निर्णय लिया है. 

इस घटना में अभिभावकों के लिए भी सबक है कि वे अपने बच्चों पर अपेक्षाओं का इतना बोझ न डालें कि फेल होने पर वे अपनी जान ही दे देने के बारे में सोचने लगें. एक बार डिप्रेशन में चले जाने के बाद बच्चों का विवेक काम करना बंद कर देता है. इससे कई बच्चे गलत दिशा में भी मुड़ जाते हैं. उनका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है और वे या तो ड्रग्स लेने लगते हैं या आत्महत्या के बारे में सोचने लगते हैं. इसलिए अभिभावकों को उन पर सतत ध्यान देना चाहिए. दबाव डालने की बजाय उन्हें प्रेम से उचित सलाह दिए जाने की जरूरत है.

Web Title: Do not load burden of expectations on students

पाठशाला से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे