ब्लॉग: गंभीर अपराधों में किशोरों की संलिप्तता

By प्रवीण दीक्षित | Updated: August 5, 2024 10:57 IST2024-08-05T10:53:30+5:302024-08-05T10:57:04+5:30

जांच में पता चला है कि इनमें से कई अपराध 16-18 वर्ष की आयु के किशोरों द्वारा किए जाते हैं। सामूहिक बलात्कार, बलात्कार, डकैती, हत्याएं ही नहीं, बल्कि महंगी कारों में किशोरों द्वारा तेज गति से वाहन चलाने तथा नशे में धुत होकर निर्दोष पैदल यात्रियों या दोपहिया वाहन सवारों को कुचलने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। 

teenagers involvment increase day by day in serious crime | ब्लॉग: गंभीर अपराधों में किशोरों की संलिप्तता

फाइल फोटो

Highlightsराष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने जारी किए गंभीर अपराध से जुड़े आंकड़ें16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों को संदिग्ध रूप में शामिल करने वाली घटनाओं में संख्या बढ़ीकिशोर न्याय अधिनियम 2015 के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को किशोर माना जाता

दिल्ली में निर्भया कांड जैसी भयावह घटनाओं की यादें कभी नहीं भूली जा सकतीं।दुर्भाग्य से, ऐसी ही भयावह घटनाएं शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों तथा सभी राज्यों से सामने आ रही हैं। अक्सर ऐसी जघन्य घटनाओं के वीडियो बनाए जाते हैं और यदि पीड़िता जीवित है तो उसे लगातार ब्लैकमेल किया जाता है तथा यह जघन्य कृत्य कई बार दोहराया जाता है। यदि पीड़िता शादी करने से इनकार करती है तो उसकी निर्मम हत्या कर दी जाती है तथा शव को किसी सुनसान स्थान पर ठिकाने लगा दिया जाता है।

जांच में पता चला है कि इनमें से कई अपराध 16-18 वर्ष की आयु के किशोरों द्वारा किए जाते हैं। सामूहिक बलात्कार, बलात्कार, डकैती, हत्याएं ही नहीं, बल्कि महंगी कारों में किशोरों द्वारा तेज गति से वाहन चलाने तथा नशे में धुत होकर निर्दोष पैदल यात्रियों या दोपहिया वाहन सवारों को कुचलने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। 

इन घटनाओं पर हमेशा हो-हल्ला मचता है और कई बार लोगों का गुस्सा इस हद तक बढ़ जाता है कि वे आरोपी को तुरंत फांसी देने की मांग करते हैं, भले ही संदिग्ध नाबालिग ही क्यों न हो। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) जो सभी राज्यों से इन अपराधों के आंकड़ों को संकलित करता है, 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों को संदिग्ध के रूप में शामिल करने वाली घटनाओं की बढ़ती संख्या को दर्शाता है।

किशोर न्याय अधिनियम (जेजेए) 2015 के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को किशोर माना जाता है। अधिनियम में जघन्य अपराधों के मामले में 16-18 वर्ष की आयु के नाबालिगों को वयस्कों के रूप में माना जाता है। जघन्य अपराध वे अपराध हैं जिनमें सजा सात वर्ष से अधिक है।

किशोरों में बढ़ते अपराध के महत्वपूर्ण कारणों में विभाजित परिवार, बड़ा परिवार और गरीबी के कारण माता-पिता से देखभाल और स्नेह का अभाव शामिल है। शहरीकरण और इंटरनेट की आसान उपलब्धता के कारण बच्चे ऐसी चीजें देख लेते हैं जो उन्हें नहीं देखनी चाहिए या फिर पोर्न वीडियो के आदी हो जाते हैं। टीवी/ओटीटी और सिनेमा पर विज्ञापनों और धारावाहिकों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

रेड लाइट एरिया में महिलाएं बच्चों को काम के समय बाहर भेजती हैं और ये बच्चे गलत संगत में पड़ जाते हैं। बच्चे नशीली दवाओं, शराब, धूम्रपान और अन्य आपत्तिजनक चीजों जैसी बुरी आदतों के आदी हो जाते हैं। किशोर बच्चे अपनी महिला मित्रों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं और विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए चोरी करने से भी नहीं चूकते।

विचाराधीन किशोरों के बयानों के विश्लेषण से पता चलता है कि उनमें से सभी ने या तो स्कूल छोड़ दिया था या वे कभी नियमित रूप से स्कूल नहीं जाते थे।शिक्षा की कमी या व्यावसायिक कौशल की कमी के कारण, उनमें से कई रोजंदारी मजदूर के रूप में काम कर रहे थे। बिखरे परिवार के कारण, इन बच्चों को अपने परिवारों से कोई मानसिक या सामाजिक सहारा नहीं मिला।

विचाराधीन कैदियों की पारिवारिक स्थिति गरीबी, मजदूरी करने के लिए मजबूर बच्चों, पालन-पोषण में ध्यान नहीं दिए जाने और उनके परिवारों में लगातार तनाव या अचानक मृत्यु, परित्याग आदि जैसे संकटों से भरी हुई थी।एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि नशीले पदार्थों की लत के कारण, माता-पिता के होते हुए भी संपन्न परिवारों के बच्चे जघन्य अपराधों में लिप्त हो रहे हैं।

हालांकि, ये बच्चे कानून को तोड़ने वाले हो सकते हैं, लेकिन यह आवश्यक है कि पुलिस अधिकारी उनकी दुर्दशा के प्रति संवेदनशील रहें। नागपुर में पुलिस आयुक्त के रूप में, मैंने सुनिश्चित किया कि इन बच्चों को सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा परामर्श प्रदान किया जाए। जो बच्चे स्कूल जाने के योग्य थे, उन्हें वहां भेजा गया।

अन्य को ड्राइविंग सहित व्यावसायिक कौशल प्रदान किए गए। वे जिम्मेदार व्यक्ति बने और अपने परिवारों की आय में योगदान दिया। पुलिसकर्मियों का प्रयास होना चाहिए कि वे ऐसे बच्चों के माता-पिता के खिलाफ कार्रवाई के लिए किशोर न्याय बोर्ड को आगे बढ़ाएं और उन्हें वयस्क अपराधियों से बचाएं जो ऐसे बच्चों को अपराध करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।

ऐसी घटनाओं के पीछे के कारण को दूर करने के लिए हमेशा स्वैच्छिक संगठनों या बाल मनोचिकित्सकों, बाल मार्गदर्शन क्लीनिकों, सामाजिक देखभाल कार्यकर्ताओं और परिवीक्षा अधिकारियों से सहायता ली जानी चाहिए। ऐसे बच्चों को अपराध से पहले की स्थिति में पहचानने के प्रयास किए जाने चाहिए। किसी शहर में ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों, जहां अपराध अधिक होते हों, उनकी पहचान की जा सकती है और वहां नियमित रूप से गश्त की जानी चाहिए।खेल, हॉलिडे कैम्प सहित मनोरंजक कार्यक्रमों के आयोजन में मेरी पहल ने सभी के बीच उत्साह पैदा किया था।

Web Title: teenagers involvment increase day by day in serious crime

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