कपिल सिब्बल का ब्लॉग: महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण बदले

By कपिल सिब्बल | Updated: August 28, 2024 10:34 IST2024-08-28T10:33:27+5:302024-08-28T10:34:24+5:30

सिर्फ 2016 से 2022 के बीच बच्चों से बलात्कार के मामलों में 96 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2016 में 19,765 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 में यह आंकड़ा 27,616 था. 2021 में यह संख्या बढ़कर 36,381 हो गई और 2022 में 38,911 थी.

Changed social attitudes towards women | कपिल सिब्बल का ब्लॉग: महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण बदले

कपिल सिब्बल का ब्लॉग: महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण बदले

Highlightsसभी अपराधों में बलात्कार सबसे जघन्य अपराध है.बार-बार होने वाली ऐसी घटनाओं से देश का जनमानस व्यथित है. महिलाओं के खिलाफ अपराध की बार-बार होने वाली घटनाएं राष्ट्रीय शर्म का भी विषय हैं.

सभी अपराधों में बलात्कार सबसे जघन्य अपराध है. बार-बार होने वाली ऐसी घटनाओं से देश का जनमानस व्यथित है. इसके अलावा महिलाओं के खिलाफ अपराध की बार-बार होने वाली घटनाएं राष्ट्रीय शर्म का भी विषय हैं. पहले ऐसी घटनाएं बहुत कम दर्ज होती थीं. ऐसे अपराधों की रिपोर्टिंग से यह जागरूकता पैदा हुई है कि इस तरह के जघन्य अपराध की जांच तेजी से की जानी चाहिए और शीघ्र फैसला आना चाहिए. 

सिर्फ 2016 से 2022 के बीच बच्चों से बलात्कार के मामलों में 96 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2016 में 19,765 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 में यह आंकड़ा 27,616 था. 2021 में यह संख्या बढ़कर 36,381 हो गई और 2022 में 38,911 थी. अकेले 2021 में भारत में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ 49 अपराध दर्ज किए गए. यह संभवतः अधिक रिपोर्टिंग और रिपोर्टिंग तंत्र के बारे में  जागरूकता के कारण है. 

पीड़ितों को न्याय दिलाने में हेल्पलाइन और एजेंसियों के माध्यम से अधिक पहुंच ने भी मदद की है. पीड़ितों के परिवारों के पास अब यह सुनिश्चित करने का रास्ता है कि ऐसे अपराधियों को सजा दिलाई जाए. बलात्कार कई चीजों का लक्षण है. यह हावी होने और अपनी ताकत दिखाने की इच्छा का लक्षण है, जो एक नकारात्मक मानवीय गुण है. उपरोक्त डाटा हमारे समाज के बारे में क्या बताता है? 

यह कि समाज कहीं न कहीं स्त्री-द्वेषी है और मानता है कि महिलाएं आनंद और उपहास दोनों की वस्तु हैं. यह मानसिकता हमारे अंतर्निहित सांस्कृतिक परिवेश से उभरती है जिसमें लड़कियों को हमारे परिवारों में दोयम दर्जे का स्थान दिया जाता है. मैं उन प्रबुद्ध परिवारों की बात नहीं कर रहा जो उदार परंपराओं को अपनाते हैं. 

लेकिन वहां भी, हम कई मौकों पर भेदभाव का तत्व पाते हैं जब उन्हें समाज में एक समान भागीदार के रूप में अपने सपनों को साकार करने की अनुमति देने की बात आती है. बाल विवाह हालांकि अवैध है, फिर भी यह अभी भी बड़े पैमाने पर प्रचलित है. 

यही कारण है कि समाज में एक महिला का स्थान एक अनुरक्त पत्नी के रूप में माना जाता है, जो घर की सेवा करती है, न कि एक स्वतंत्र व्यक्तित्व के रूप में, जिसे सार्वजनिक जीवन में भाग लेने का समान अधिकार है. लड़कियों के बड़े होने पर उनके पास बहुत कम विकल्प होते हैं, करियर के रास्ते सीमित होते हैं. ज्यादातर मौकों पर शादी ही एकमात्र विकल्प होता है, जहां साथी का चुनाव भी शायद ही कभी संभव हो पाता है. 

ग्रामीण इलाकों में जहां खेती-बाड़ी ही परिवार का मुख्य आधार है, महिलाएं घर चलाने के लिए खेतों में काम करती हैं. उनके विकल्प कहीं ज्यादा सीमित हैं. कई प्रतिभाशाली युवा लड़कियां हैं जो अपना करियर बना सकती हैं, लेकिन शादी के बाद या तो अपनी महत्वाकांक्षाएं पूरी नहीं कर पातीं या फिर अपने करियर को बीच में ही छोड़ देती हैं और फिर, अगर संभव हो तो, अपने परिवार का पालन-पोषण करने के बाद आगे बढ़ती हैं. यह भी एक अपवाद है.

शहरी कार्यस्थल में, प्रौद्योगिकी ने कुछ व्यवसायों में युवा महिलाओं को अपने घरों से काम करने में मदद की है, जिसमें रोजाना कार्यस्थल पर जाना जरूरी नहीं है. महामारी का एक सकारात्मक प्रभाव भी पड़ा है. कंपनियां अपने कर्मचारियों, पुरुषों और महिलाओं दोनों को अपने-अपने निवास स्थान से काम करने की सुविधा देती हैं. महामारी के बाद भी इस प्रथा को अपनाया गया है, जिससे लागत कम हुई है और कंपनियों को मदद मिली है. 

इस संदर्भ में, प्रौद्योगिकी उन महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है जो अब घर से काम कर सकती हैं, एक ऐसा विशेषाधिकार जो कई व्यवसायों में उपलब्ध नहीं है. दुर्भाग्य से, बलात्कार के कई मामले कभी दर्ज ही नहीं किए जाते. परिवार बलात्कारी का पीछा करने का साहसी कदम उठाने को तैयार नहीं होते क्योंकि खुलासा करने के दुष्परिणाम और उसके सामाजिक निहितार्थ होते हैं. 

यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि एक राष्ट्र के रूप में, हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ऐसी घटनाओं को प्रकाश में लाया जाए और परिवार न्याय पाने का अपने भीतर साहस जुटाएं. हालांकि यह सच है कि हमारे पास शीघ्र सुनवाई और दोषसिद्धि के लिए प्रक्रियाएं हैं, लेकिन समस्या जितनी दिखती है, उससे कहीं अधिक जटिल है.

परिवार के स्तर पर सामाजिक सुधार की आवश्यकता है. आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका घर और स्कूल में एक मूल्य प्रणाली को विकसित करना है जो हमारी युवा लड़कियों को समाज में समान भागीदार के रूप में मान्यता दे, उन्हें अपनी पसंद का करियर चुनने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई जारी रखने का अधिकार दे. 

उन्हें यह विश्वास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे अपनी आकांक्षाओं को साकार कर सकती हैं, उन्हें ऐसा करने का अधिकार है, और उन्हें ऐसा करने का साहस और स्वतंत्रता विकसित करनी चाहिए. बेशक, यह कहना जितना आसान है, करना उतना ही मुश्किल है. इसके लिए सामाजिक दृष्टिकोण में क्रांतिकारी बदलाव की आवश्यकता है. 

माता-पिता को भी इस तरह से सोचने के लिए शिक्षित करने की आवश्यकता है. हम जानते हैं कि हमारे कार्यबल में अन्य देशों की तुलना में महिलाएं कम हैं. इसमें बदलाव होना चाहिए, और बदलाव केवल पुरुष मानसिकता में बदलाव के साथ ही लाया जा सकता है. महिलाएं कुछ व्यवसायों में कहीं ज्यादा कुशल हैं. ऐसे व्यवसायों की पहचान करने के लिए एक नीतिगत ढांचा होना चाहिए जहां महिलाओं को शामिल किया जा सके. 

हम जानते हैं कि महिलाओं का सबसे बड़ा प्रतिशत स्कूल प्रणाली में है, जहां अधिकांश शिक्षिकाएं हैं. बेशक, इसका एक बड़ा कारण यह है कि वे पढ़ाने के साथ-साथ अपने घर की देखभाल करने सहित कई काम कर सकती हैं.

हमें ऐसे व्यवसायों में भी रास्ते और अवसर तलाशने चाहिए जहां महिलाएं एक ताकत बन सकें. शायद अब समय आ गया है कि हम एक संस्थागत ढांचा स्थापित करें जिसमें युवा लड़कियां, जो अपनी पढ़ाई और पेशे को आगे बढ़ाना चाहती हैं, उन्हें अपनी इच्छाएं व्यक्त करने का विकल्प मिले.

उपरोक्त के अलावा, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों की जांच करने वाली एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशील बनाया जाए कि इन मामलों में अत्यधिक सावधानी बरती जाए और किसी भी तरह की पक्षपातपूर्ण जांच के लिए कोई जगह न हो. इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करें कि ऐसे मामलों को राजनीतिक लाभ के लिए अवसर के रूप में न देखा जाए. 

इससे माहौल केवल खराब ही होता है. यह राष्ट्रीय शर्म की बात है कि हम ऐसी घटनाओं पर राजनीति करते हैं. अदालतों को भी इस पर संज्ञान लेना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि बलात्कार की घटना राजनीतिक तमाशा न बने.

Web Title: Changed social attitudes towards women

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