सुनील गावस्कर का कॉलम: खराब शॉट के चयन का सबब खिलाड़ियों में आत्मसंतुष्टि की भावना
By सुनील गावस्कर | Published: April 12, 2019 04:47 PM2019-04-12T16:47:38+5:302019-04-12T16:47:38+5:30
आईपीएल का करीब आधा चरण खत्म हो चुका है और एक सुनिश्चित स्थिति यही है कि रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) इस बार भी बाहर होगी।
आईपीएल का करीब आधा चरण खत्म हो चुका है और एक सुनिश्चित स्थिति यही है कि रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) इस बार भी बाहर होगी। अन्य टीमें जहां नॉकआउट दौर के लिए क्वालिफाई करने की सोच रही हैं वहीं (आईपीएल के) इस मुकाम पर आरसीबी को केवल कोई चमत्कार ही ट्रॉफी की दौड़ में कायम रख सकता है। आरसीबी की समस्या दरअसल उनकी गेंदबाजी है और जो बेहद दबाव में है।
जब अनुभवी गेंदबाज टिम साउदी आक्रामक आंद्र रसेल को गेंद करते हैं तो उनपर दबाव साफ झलकता है। आईपीएल के मौजूदा सत्र में भी यही देखा गया है कि कुछ भारतीय खिलाड़ी जो पिछले संस्करणों में खास नहीं कर पाए थे अबकी बार भी अपनी टीम के लिए केवल एक नंबर है और किसी तरह का कोई योगदान नहीं दे पा रहे हैं।
माना कि इस प्रारुप में गेंदबाजों के लिए काफी मुश्किलें हैं और चार ओवरों में वह कुछ नहीं कर पाते लेकिन भारतीय खिलाड़ी काफी समय ले चुके हैं जिससे मैच की धारा बदल जाती है। इनमें वह गेंदबाज शामिल हैं जिन्हें भारी दाम चुकाकर खरीदा गया था। इन गेंदबाजों ने अपनी फ्रेंचाइजियों के सामने उनकी भूमिका को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है। सवाल यह भी है कि क्या वे कुछ सीख भी रहे हैं या नहीं।
चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ टॉस हार जाने के बावजूद घरेलू हालातों में चीजों को अपनी ओर मोड़ लेने का कोलकाता के पास अवसर था। ईडन गार्डन्स में वह हमेशा ही अच्छा खेलते हैं और दिल्ली कैपिटल्स के लिए केकेआर से मुकाबला आसान नहीं है। आंद्रे रसेल नियमित रूप से बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं और चिदंबरम स्टेडियम में टीम ताश के पत्तों की तरह ढहने के बावजूद रसेल डटे रहे। दिल्ली की टीम को उनपर ध्यान देना होगा। दिल्ली को अपनी बल्लेबाजी पर भी ध्यान देना होगा। दिल्ली के अधिकतर बल्लेबाज बजाय सुझबूझ भरी क्रिकेट खेलने के 'ग्लैम शॉट' खेलते हैं। उन्हें इस बारे में निश्चित रूप से कोच ने बताया होगा।
समस्या यह है कि जब नए और उभरते हुए खिलाड़ी आईपीएल में उम्दा प्रदर्शन करते हैं और चयनकर्ताओं का ध्यान भी उनकी ओर होता है लेकिन स्थापित खिलाड़ी जानते हैं कि वे इस टूर्नामेंट में चाहे जैसे खेलें राष्ट्रीय टीम में उन्हें चुने जाने में कोई समस्या नहीं है। इस वजह से खिलाड़ियों में आत्मसंतुष्टि की भावना निर्माण होती है और इसी वजह से खराब शॉट खेले जाते हैं। चिंता रहित और चिंता मुक्त के बीच पतली लकीर है जो टीम के हार का सबब बन सकता है।