CWC ODI World Cup 2023: वन-डे विश्व कप जीतने का सपना लगातार तीसरी बार ध्वस्त, खिलाड़ियों की मानसिक मजबूती की समस्या बहुत सालों से...
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 21, 2023 12:03 PM2023-11-21T12:03:57+5:302023-11-21T12:05:15+5:30
CWC ODI World Cup 2023: लीग दौर में लगातार नौ मुकाबले और सेमी फाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ शानदार जीत के बाद भारतीय टीम मजबूत दावेदार मानी जा रही थी.
CWC ODI World Cup 2023: बारह साल बाद भारतीय टीम का वन-डे विश्व कप जीतने का सपना लगातार तीसरी बार ध्वस्त हुआ. हालांकि इस बार रोहित शर्मा की अगुवाई में भारत के चैंपियन बनने की प्रबल संभावनाएं नजर आ रही थीं. लीग दौर में लगातार नौ मुकाबले और सेमी फाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ शानदार जीत के बाद भारतीय टीम मजबूत दावेदार मानी जा रही थी.
फाइनल में भारत का दावा इसलिए भी मजबूत माना जा रहा था, क्योंकि वह ऑस्ट्रेलिया को लीग चरण के पहले ही मैच में छह विकेट से परास्त कर चुका था. लेकिन रविवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम की कहानी करोड़ों देशवासियों के लिए मायूस करने वाली साबित हुई. कागज पर ऑस्ट्रेलिया की तुलना में ‘रोहित सेना’ मजबूत नजर आ रही थी.
पूरे टूर्नामेंट में रोहित की नेतृत्व कुशलता के चर्चे थे, बल्लेबाजी में विराट कोहली का धमाकेदार प्रदर्शन और मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह की घातक गेंदबाजी ने विपक्षी बल्लेबाजों पर दबाव बना दिया था लेकिन फाइनल में भारतीय टीम खेल के लगभग हर मोर्चे पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बौनी साबित हुई.
हालांकि रोहित शर्मा और विराट कोहली ने ख्याति के अनुरूप अच्छी बल्लेबाजी की. लेकिन भारतीय कप्तान का बेखौफ अंदाज ही भारतीय टीम के लिए भारी पड़ा जिसमें उन्होंने कवर्स के ऊपर से छक्का मारने का प्रयास किया. हालांकि इसका श्रेय भी ऑस्ट्रेलिया की जीत के हीरो ट्रेविस हेड को ही जाता है जिन्होंने लगभग असंभव कैच को लपककर मुकाबले का रुख ही पलट दिया.
फाइनल जैसी भिड़ंत केवल दो टीमों के खिलाड़ियों की योग्यता के आधार पर तय नहीं होती. ऐसे महत्वपूर्ण मौकों पर खिलाड़ियों की मानसिक मजबूती और आखिरी दम तक लड़ने की क्षमता भी उतनी ही अहम होती है. रविवार के फाइनल में यही वह फैक्टर था जिसने चैंपियन बनने के करीब पहुंचकर भी भारत को इससे वंचित कर दिया.
फाइनल जैसे मौकों पर आपको मौके भुनाने होते हैं जो भारत की तुलना में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने बखूबी भुनाए. मिसाल के तौर पर शुरुआती तीन विकेट गिरने के बाद भारतीय टीम अचानक बैकफुट पर नजर आई, वहीं ट्रेविस हेड और मार्नस लाबुशेन की जोड़ी ने शुरुआती तीन विकेट सस्ते में गंवाने के बाद भी अपना स्वाभाविक प्रदर्शन प्रभावित नहीं होने दिया.
भारत के लिए खिलाड़ियों की मानसिक मजबूती की समस्या बहुत सालों से चली आ रही है. हालांकि हाल के वर्षों में निरंतर क्रिकेट खेलने के बाद इस समस्या से काफी हद तक निजात भी पाई गई है लेकिन ऑस्ट्रेलिया जैसी पेशेवर टीमों के खिलाफ वह लगातार पिछड़ती रही है. इस समस्या पर गौर करने की जरूरत है.
हालांकि वन-डे विश्व कप के आयोजन में अभी चार साल का वक्त है लेकिन सात माह बाद भारत को अमेरिका और वेस्टइंडीज की संयुक्त मेजबानी में टी-20 विश्व कप में हिस्सा लेना है जिसमें भारतीय खिलाड़ी बुलंद हौसलेे और सकारात्मक सोच के साथ उतकर देशवासियों को जश्न मनाने का अवसर मुहैया करा सकते हैं.