एबी डीविलियर्स का ब्लॉग: चेन्नई के खिलाफ शिकार करने चले थे खुद शिकार हो गए
By एबी डिविलियर्स | Published: March 25, 2019 06:46 PM2019-03-25T18:46:11+5:302019-03-25T18:46:11+5:30
आरसीबी की तैयारी बेहतरीन थी और हम शेर की गुफा में घुसते वक्त टूर्नामेंट की शानदार शुरुआत करने को लेकर विश्वास से भरे थे। दुर्भाग्य से हम शेर का शिकार बन गए।
(एबी डीविलियर्स)
आरसीबी की तैयारी बेहतरीन थी और हम शेर की गुफा में घुसते वक्त टूर्नामेंट की शानदार शुरुआत करने को लेकर विश्वास से भरे थे। दुर्भाग्य से हम शेर का शिकार बन गए। किसी ने भी कल्पना नहीं की थी कि टीम महज 70 रनों पर सिमट जाएगी। फिर ऐसा क्या हुआ।
पहली बात तो ये कि हम टॉस हार गए और हमें एक ऐसी धीमी पिच पर पहले बल्लेबाजी करने के लिए कहा गया, जिसने पिछले साल केवल एक आईपीएल मैच की मेजबानी की थी। ऐसे में यह जानना मुश्किल था कि यहां कितना स्कोर पर्याप्त रहता। 150—160 का स्कोर काफी रहता या हो सकता है कि 110 भी प्रतिस्पर्धी स्कोर साबित होता। सीएसके ने टूर्नामेंट की सबसे अनुभवी टीम को मैदान में उतारा, जिसमें नौ खिलाड़ियों की उम्र 30 से ज्यादा है।
इसके अलावा कप्तान एमएस धोनी इस खेल के इतिहास के महानतम रणनीतिकारों में से हैं और उन्होंने पहले मैच से ही दबाव बनाना शुरू कर दिया। यह काफी मुश्किल होता है दोनों शुरु आती गेंदबाज पहले मैच से ही अपने कोटे के चार ओवर एक ही साथ डाल लें। मगर जहां दीपक चाहर ने एक छोर से कड़ी लाइन पर गेंदबाजी की, वहीं दूसरे छोर से हरभजन सिंह ने पूरे कौशल से गेंदबाजी की और बेहतरीन घुमाव हासिल किया।
अचानक ही हमारी टीम 39 रन तक आते-आते चार विकेट खो चुकी थी और मैच हमारी पकड़ से दूर होता चला गया। हम हालात से तालमेल बैठा सकते थे लेकिन 150 के स्कोर तक पहुंचने के चक्कर में हम 70 रनों पर ही सिमट गए। मुझ सहित टीम के कई बल्लेबाज रन गति तेज करने के चक्कर में सस्ते में आउट हो गए, जबकि हमें हालात के हिसाब से खेलना चाहिए था।
टी—20 क्रिकेट में इस स्तर पर गलती की गुंजाइश बेहद कम होती है और मैच का रु ख बदलना काफी मुश्किल होता है। हमारे गेंदबाजों ने संघर्ष का जज्बा दिखाया और सीएसके को रनों के लिए मेहनत करने पर मजबूर किया। यही वजह रही कि उनकी टीम लक्ष्य तक 18वें ओवर में पहुंच सकी।
यह एक निराशाजनक रात में सांत्वना भरी बात थी। हालांकि इस मुकाबले में नेट रन रेट सम्मानजनक रहा, जो आगे आने वाले मैचों में अहम भूमिका निभाएगा। मैच के बाद जब हम टीम के कमरे में जुटे तो कहने को ज्यादा कुछ नहीं था। हमने अपनी क्षमताओं से कमतर प्रदर्शन किया और अब हमारा ध्यान बेंगलुरु में अपने पहले मैच पर है जो गुरु वार को मुंबई इंडियंस के खिलाफ होगा।
यह अब भी कड़वी सच्चाई है कि आरसीबी की टीम 2008 से चेन्नई में कोई मैच नहीं जीत सकी है। मगर उम्मीद है कि हमें एक बार फिर इस मैदान में खेलने को मिलेगा। वह भी 12 मई को आईपीएल-2019 के फाइनल में।