टैरिफ से निपटने की रणनीतिक तैयारी, निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 40 देशों में विशेष संपर्क कार्यक्रम चलाने की योजना
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: August 30, 2025 05:25 IST2025-08-30T05:25:30+5:302025-08-30T05:25:30+5:30
Trump Tariff on India: ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मेक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्किये, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख देशों को शामिल किया गया है.

file photo
Trump Tariff on India: हाल ही में 28 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ट्रम्प टैरिफ की चुनौतियों से निपटने की तैयारी में जुट गई है और निर्यातकों को सस्ती दर पर कर्ज दिया जाएगा. उल्लेखनीय है कि एक ओर जहां 27 अगस्त से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लागू कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कोई चाहे कितना भी दबाव डाले, आत्मनिर्भर भारत झुकने वाला नहीं है. मोदी ने कहा कि देश के छोटे उद्योगों, किसानों व पशुपालकों के हित सर्वोपरि हैं और उनके आर्थिक हितों पर रणनीतिपूर्वक ध्यान दिया जाएगा. सभी के द्वारा स्वदेशी को जीवन मंत्र बनाना होगा. इसी परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि टैरिफ चुनौती के बीच केंद्रीय बैंक नीतिगत उपाय कर सकता है.
बात महत्वपूर्ण है कि भारत ने निर्यातकों को सहारा देने की नई रणनीति सुनिश्चित की है. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 40 देशों में विशेष संपर्क कार्यक्रम चलाने की योजना बनाई है. इस पहल के तहत ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मेक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्किये, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख देशों को शामिल किया गया है.
भारत ने सरल कर व्यवस्था और लोगों की क्रयशक्ति बढ़ाकर घरेलू खपत बढ़ाने की योजना बनाई है. भारत घरेलू खपत बढ़ाकर कुछ हद तक अमेरिकी व्यापार में हुए नुकसान की भरपाई कर सकता है. इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि इस समय देश के पास मौजूद आर्थिक अनुकूलताएं देश की आर्थिक ताकत बन गई हैं. देश में ऊंचाई छूती घरेलू खपत से घरेलू बाजार मजबूत बना हुआ है.
जीएसटी कलेक्शन बढ़ रहा है. महंगाई भी नियंत्रित है. इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास दिखाई दे रहा है. वैश्विक रेटिंग एजेंसियां भारत की अर्थव्यवस्था पर भरोसा जता रही हैं. निर्यातकों के समक्ष उपस्थित निर्यात चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए देश के वाणिज्यिक बैंक ब्याज दरों में छूट, कर्ज भुगतान करने के लचीले विकल्प प्रदान कर रहे हैं.
निर्यात बीमा एवं ऋण गारंटी योजनाएं ज्यादा सुगमता से उपलब्ध करा रहे हैं. केंद्र सरकार बजट में घोषित निर्यात संवर्धन मिशन के तहत वर्ष 2025 से 2031 तक के लिए निर्यातकों को लगभग 25,000 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान करने वाले उपायों पर विचार कर रही है. इसका मुख्य उद्देश्य निर्यातकों को आसान और किफायती ऋण उपलब्ध कराना है. ये उपाय भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी टैरिफ से उत्पन्न होने वाली वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं से बचाने में मदद कर सकते हैं.