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ब्लॉग: तेजी से बढ़ती हमारी अर्थव्यवस्था के आगे चुनौतियां भी हैं

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: February 01, 2024 10:54 AM

भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अगले तीन साल में वह तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। दो दिन पूर्व सरकार ने आंकड़ें जारी कर देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति का खाका जनता के सामने पेश किया था।

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ठळक मुद्देभारत अभी 1900 अरब अमेरिकी डॉलर के साथ दुनिया की 10वीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैमनमोहन सिंह सरकार का 10 साल का शासन देश की अर्थव्यवस्था को बुनियाद दे चुका हैऊंची उड़ान तभी संभव थी जब इरादे मजबूत हों

भारत की अर्थव्यवस्था कुलांचे भर रही है। जहां एक ओर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस तथा जापान की अर्थव्यवस्था सुस्ती का सामना कर रही है, चीन लाख कोशिश करने के बावजूद अपनी अर्थव्यवस्था को अपेक्षित गति नहीं दे पा रहा है, वहीं हमारी अर्थव्यवस्था विकास के मामले में विश्व के सामने मिसाल बनकर उभरी है। भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अगले तीन साल में वह तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। दो दिन पूर्व सरकार ने आंकड़ें जारी कर देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति का खाका जनता के सामने पेश किया था। बुधवार को संसद के बजट सत्र में अपने अभिभाषण में भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अर्थव्यवस्था की सकारात्मक तस्वीर पेश की। 

भारत मौजूदा बाजार मूल्यों पर 1900 अरब अमेरिकी डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ दस साल पहले दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। अब भारत का सकल घरेलू उत्पाद 3700 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है। 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा प्रणीत राजग ने केंद्र में सत्ता संभाली, तब देश की अर्थव्यवस्था को मनमोहन सिंह सरकार का 10 साल का शासन एक मजबूत बुनियाद दे चुका था, लेकिन ऊंची उड़ान तभी संभव थी जब इरादे मजबूत हों एवं त्वरित तथा कठोर निर्णय लेने की इच्छाशक्ति हो। मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था की विकास की रफ्तार को तेज करने के लिए साहसिक फैसले लिए। 

नोटबंदी तथा जीएसटी दो ऐसे ही साहसिक और दूरगामी फैसले थे। शुरुआत में लगा कि ये फैसले गले की हड्डी न बन जाएं, मगर आज जब इस अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति पर नजर दौड़ाते हैं तो लगता है कि उनसे अर्थव्यवस्था को कितना फायदा हुआ। मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल अर्थव्यवस्था के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा और एक बार ऐसा भी लगा कि कहीं देश की आर्थिक स्थिति लड़खड़ा न जाए लेकिन सरकार ने सधे हुए कदम उठाकर स्थिति को न केवल संभाला बल्कि अर्थव्यवस्था के विकास को जबर्दस्त गति भी प्रदान की। मोदी सरकार को सबसे बड़ी चुनौती कोविड-19 महामारी से मिली। 

अर्थव्यवस्था के सभी स्तंभ चरमरा गए थे, राजस्व लगभग खत्म हो गया था और इसके विपरीत महामारी से लड़ने एवं जनता को राहत पहुंचाने के लिए भारी-भरकम राशि की जरूरत थी। मोदी सरकार ने इस अभूतपूर्व चुनौती का सामना करने में अभूतपूर्व दूरदर्शिता का परिचय दिया। इस संकट ने जहां पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला दिया था, वहीं भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ उभरी। इसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने भी दुनिया की कई मजबूत अर्थव्यवस्थाओं की जड़ें हिला दीं, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था छह और 7 फीसदी की दर से आगे बढ़ती रही। दुनिया आज मंदी का सामना कर रही है लेकिन भारत में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्र मजबूती के साथ आगे बढ़ रहे हैं। 

वित्त वर्ष 2023-24 तथा अगले वित्त वर्ष 2024-25 में अर्थव्यवस्था के सात प्रतिशत से ज्यादा की दर से बढ़ने की संभावना है। अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियों के बावजूद कुछ गंभीर बुनियादी चुनौतियां अब भी मौजूद हैं। अर्थव्यवस्था की सुनहरी तस्वीर आम आदमी की जिंदगी से भी झलकनी चाहिए। भारत में पिछले दस वर्षों में प्रतिव्यक्ति औसत आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है लेकिन इस मामले में हम दुनिया के विकसित तथा कई विकाससील देशों से अभी भी काफी पीछे हैं। 

80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने की योजना महत्वपूर्ण कल्याणकारी कदम है, परंतु इससे देश में व्याप्त आर्थिक असमानता भी झलकती है। यह स्वीकार करने में संकोच नहीं होना चाहिए कि अर्थव्यवस्था की उपलब्धियों का लाभ अभी भी जनता के बड़े हिस्सों तक पहुंच नहीं पा रहा है। किसानों की आत्महत्या और बढ़ती बेरोजगारी एवं महंगाई भी गंभीर चिंता का विषय है। देश के एक तिहाई बच्चे अभी भी प्राथमिक शिक्षा के बाद शाला छोड़ने पर विवश हैं क्योंकि उच्च शिक्षा के लिए वे जरूरी आर्थिक संसाधनों से वंचित हैं। देश की अर्थव्यवस्था आंकड़ों के हिसाब से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी, उम्मीद करें कि तब तक खुशहाली की किरण वंचित तबकों के द्वार तक पहुंच जाएगी।

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