प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: ऐतिहासिक ऊंचाई के साथ कोरोना के असर से मुक्त होता शेयर मार्केट

By Prakash Biyani | Updated: January 22, 2021 08:42 IST2021-01-22T08:42:55+5:302021-01-22T08:42:55+5:30

शेयर बाजार ने 21 जनवरी को ऐतिहासिक पल देखा जब बीएसई सूचकांक ने 50 हजार से शुरुआत की. ये शुभ संकेत है. ये बताता है कि चीन से उठापटक के बीच अमेरिकन निवेशक इमर्जिग मार्केट्स में अब भारत को पसंद  कर रहे हैं.

Prakash Biyani blog: Share Market historic high amid impact of Coronavirus | प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: ऐतिहासिक ऊंचाई के साथ कोरोना के असर से मुक्त होता शेयर मार्केट

शेयर बाजार में ऐतिहासिक ऊंचाई (फाइल फोटो)

Highlightsडॉलर कमजोर होना और ब्याज दरें घटना भारतीय शेयर मार्केट में विदेशी निवेश बढ़ने का बड़ा कारण चीन से खटपट के बीच अमेरिकन निवेशक इमर्जिग मार्केट्स में अब भारत को पसंद कर रहे हैंपेपरलेस डिजिटल इकोनॉमी अपनाने और तकनीक आधारित अच्छे तरीके से रेग्युलेट किए जाने वाला इक्विटी बाजार बनने का भी मिल रहा फायदा

शेयर मार्केट ने गुरुवार को 40 साल की ऐतिहासिक ऊंचाई को छुआ. बीएसई सूचकांक ने 50 हजार से शुरुआत की, पर फिर प्रॉफिट बुकिंग हुई. बीएसई सूचकांक 49776 पर और निफ्टी 14631 अंकों पर बंद हुए. 

शेयर मार्केट की इस दौड़ को अमेरिका में जो बाइडेन और कमला हैरिस के राज्याभिषेक से जोड़ा जा सकता है. हालांकि यह होगा, इस उम्मीद से विगत कुछ महीनों में भारतीय शेयर मार्केट में 23 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश आया है. उम्मीद है कि आगामी दिनों में 15 से 20 बिलियन डॉलर का निवेश और आएगा.

भारत बन रहा अमेरिकी निवेशकों की पसंद

भारतीय शेयर मार्केट में विदेशी निवेश बढ़ने का एक और कारण है- डॉलर कमजोर होना और ब्याज दरें घटना. अमेरिकन निवेशक इमर्जिग मार्केट्स में अब भारत को पसंद  कर रहे हैं. उनके नजरिये से वैश्विक अर्थव्यवस्था की दो धुरियां - अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के बीच अब भारत है, चीन नहीं. 

इसका संकेत अमेरिका के नए राष्ट्रपति बाइडेन ने अपने पहले संबोधन में जिन शब्दों में दिया है, वह है - ‘असभ्य युद्ध का अंत होना चाहिए.’ प्रकारांतर में उन्होंने कोरोना के लिए चीन को दोषी बताया है. अमेरिका और भारत के वाणिज्यिक रिश्ते भी भारत के पक्ष में हैं. 

1990 से 2020 के बीच भारतीय बाजार के दौड़ने का एक और कारण है- हम पेपरलेस डिजिटल इकोनॉमी अपना रहे हैं. घोटालों के खतरों से उबरकर तकनीक आधारित अच्छे तरीके से रेग्युलेट किए जाने वाले इक्विटी बाजारों में से एक बन चुके हैं.

कोरोना से भारत की जंग ने भी दिखाई राह

खैर, भारतीय शेयर मार्केट की दौड़ का बड़ा कारण है हम सबके द्वारा कोरोना का सलीके से सामना करना. कोरोना वैक्सीन बनाकर 2021 की आशावादी शुरुआत करना. इससे उत्साहित होकर अप्रैल से सितंबर 2020 में 63 लाख डीमैट अकाउंट खुले हैं. 

इसका मतलब है घरेलू निवेशकों का स्वदेशी कंपनियों पर भरोसा बढ़ रहा है. शेयर मार्केट को बजट से भी उम्मीद है. संभावना है कि वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण इस बार वित्तीय घाटे की चिंता नहीं करेंगी और खर्च बढ़ाएंगी. ऐसे जतन भी करेंगी कि लोगों के हाथ में पैसा पहुंचे और मांग बढ़े. 

इन सब संभावनाओं के बीच कोरोना से उबरकर देश का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर दौड़ने लगा है तो सर्विस सेक्टर भी चलने लगा है.

आईटी से लेकर रियल एस्टेट तक के क्षेत्र में सुधार

आईटी, फार्मा, बैंक्स, कैपिटल गुड्स, ऑइल, गैस, सीमेंट और मेटल्स शेयर्स के मूल्य बढ़ रहे हैं. कोरोना से  देश की रूरल इकोनॉमी ज्यादा प्रभावित नहीं हुई थी तो अच्छे फसलोत्पादन से ग्रामीण ग्राहकों की क्रय शक्ति बढ़ी है. होम लोन की ब्याज दरें घटने और कई राज्यों में स्टेट ड्यूटी घटने से रियल एस्टेट भी संभलने लगा है.

एक दशक से भी ज्यादा समय बाद ऐसा हुआ है जब शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण देश की जीडीपी से भी अधिक हो गया. इससे पहले साल 2007 में ऐसा हुआ था. वित्त वर्ष 2020-21 में देश की जीडीपी 195 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है, जो बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों के कुल मार्केट कैप से कम होगी.  

चाहे जो हो, शेयर मार्केट  वस्तुत: नेशनल केसिनो है. यह जितनी तेजी से दौड़ता है, उतनी ही तेजी से यू टर्न ले लेता है. यहां दीर्घावधि निवेशक ही पैसा कमाते हैं. शेयर मार्केट में इसलिए अपनी वही बचत निवेश करें जिसकी निकट भविष्य में जरूरत न हो. गुड गवर्नेस और क्लीन बैलेंस शीट्स वाली कंपनियों के शेयर ही खरीदें.

Web Title: Prakash Biyani blog: Share Market historic high amid impact of Coronavirus

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