Money Laundering: देश में जिस तरह से शेल कंपनियों का खुलासा हो रहा है, वह हैरान करने वाला है. यह भी कम चिंताजनक बात नहीं है कि महाराष्ट्र इस मामले में अव्वल है. पिछले पांच वर्षों के दौरान रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) ने देश भर में कम से कम 2.33 लाख ‘शेल कंपनियों’ को हटाया है और हटाई गई कंपनियों में 36,856 कंपनियां अकेले महाराष्ट्र में थीं. इसके बाद दिल्ली का स्थान है जहां 35,637 शेल कंपनियां पाई गईं. ‘शेल कंपनियां’ कागजों पर बनी ऐसी कंपनियां होती हैं जो किसी तरह का आधिकारिक कारोबार नहीं करती हैं.
इन कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है. हालांकि सरकार उन्हें ‘शेल कंपनियां’ नहीं कहती है, बल्कि उन्हें ‘निष्क्रिय’ कंपनियों के रूप में वर्गीकृत करती है, जो पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान कोई कारोबार नहीं कर रही हैं या जिन्होंने वित्तीय विवरण और वार्षिक रिटर्न दाखिल नहीं किया है.
सवाल यह है कि सालोंसाल तक ये कंपनियां संबंधित अधिकारियों की नजर में आए बिना कैसे चलती रहती हैं? क्या इससे अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका को बल नहीं मिलता है? अभी पिछले साल ही जीएसटी विभाग ने करोड़ों रु. के घोटाले का पर्दाफाश किया था, जिसमें 127 शेल कंपनियों के माध्यम से 19 राज्यों में सिंडिकेट चलाया जा रहा था.
इसमें एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया गया था. इस घोटाले को इतनी सफाई से अंजाम दिया जा रहा था कि कोलकाता इकाई की जीएसटी की टीम को इसके लिए बाजार की बारीकी से निगरानी करनी पड़ी थी. जांच से पता चला कि आरोपियों ने फर्जी कंपनियां बनाईं और मामूली कीमत पर व्यक्तियों से आधार कार्ड, पैन कार्ड और तस्वीरें खरीदकर फर्जी संस्थाओं के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराया था.
ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा में भी सामने आया था, जहां फर्जी पैन और आधार कार्ड के जरिये फर्म तैयार कर जीएसटी की हेरफेर करने वाला गिरोह सक्रिय होने का पता चला था. तब बुलंदशहर के रहने वाले एक मजदूर देवेंद्र ने मामला दर्ज करवाते हुए बताया था कि वह मजदूरी करके दिन के महज 300 रुपये कमा पाता है.
उसी से उसके परिवार की आजीविका चलती है. लेकिन एक दिन अचानक उसे गाजियाबाद जीएसटी विभाग का डाक के द्वारा एक नोटिस मिला, जिसमें लिखा था कि उसकी फर्म के 2022-23 का टर्न ओवर 1.36 करोड़ रुपए है, जिसका जीएसटी बकाया 24 लाख 61 हजार रुपए है.
यह फर्जीवाड़ा कितने व्यापक पैमाने पर चल रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में संसद में बताया गया कि जीएसटी अधिकारियों ने अप्रैल-अक्तूबर के बीच 17,818 फर्जी फर्मों द्वारा 35,132 करोड़ रुपए की आईटीसी चोरी के मामलों का पता लगाया है और 69 लोगों को गिरफ्तार किया है.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-अक्तूबर) के दौरान 17,818 फर्जी फर्मों से जुड़े कुल 18,876 आईटीसी धोखाधड़ी के मामलों का पता चला, जिसमें 35,132 करोड़ रुपए की आईटीसी चोरी का संदेह है.
निश्चित रूप से ऐसे मामलों की जांच कर पता लगाया जाना चाहिए कि सिस्टम में कमी किस जगह पर है जिसका धोखेबाज लोग फायदा उठा रहे हैं और अगर इसमें संबंधित अधिकारियों की भी किसी स्तर पर मिलीभगत का पता चले तो उन पर भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि सरकारी खजाने को चूना लगने से बचाया जा सके.