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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के उत्साहवर्धक संकेत

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: March 4, 2021 15:24 IST

देश में विकास दर पहली तिमाही में माइनस 24.4 फीसदी और दूसरी तिमाही में माइनस 7.3 फीसदी रही थी. ऐसे में अब भारत दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में चीन के बाद दूसरा देश बन गया है, जहां विकास दर सकारात्मक हो गई है.

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हाल ही में 26 फरवरी को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी किए गए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2020) में विकास दर में 0.4 फीसदी की वृद्धि हुई है.

देश में विकास दर पहली तिमाही में माइनस 24.4 फीसदी और दूसरी तिमाही में माइनस 7.3 फीसदी रही थी. ऐसे में अब भारत दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में चीन के बाद दूसरा देश बन गया है, जहां विकास दर सकारात्मक हो गई है.

नि:संदेह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लॉकडाउन के कारण तेज गिरावट और फिर दूसरी तिमाही में सुधार के संकेत के बाद विकास दर बढ़ने का आंकड़ा अर्थव्यवस्था में तेज सुधार का परिचायक है.

इस सुधार में अहम भूमिका एग्रीकल्चर, कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टरों की रही है. हालांकि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 8 फीसदी गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है. पहले 7.7 फीसदी गिरावट का अनुमान था.

जहां चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े सकारात्मक सुधार दर्शाते हैं, वहीं हाल ही में जारी चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के कंपनियों के कारोबारी नतीजे भी कारोबार में सुधार का स्पष्ट संकेत दे रहे हैं.

इन नतीजों के मुताबिक कम लागत और बिक्री में सुधार से मुनाफा बढ़ा है. खपत आधारित क्षेत्नों में वाहन के साथ-साथ दैनिक उपयोग की वस्तुओं और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री बढ़ी है.

बुनियादी क्षेत्रों में कारोबार आकार बढ़ा है और इस्पात, गैर लौह धातुओं तथा सीमेंट में सुधार दर्ज हुआ है. बिजली उत्पादन, भवन निर्माण, लॉजिस्टिक्स के साथ-साथ खनन क्षेत्न का प्रदर्शन भी बेहतर हुआ है. निर्यात के मोर्चे पर, औषधि और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्न की कंपनियों के साथ-साथ कपड़ा निर्यात भी बढ़ा है.

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 25 फरवरी को वैश्विक क्रे डिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले अनुमानित किए गए 10.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 13.7 प्रतिशत कर दिया है.

आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने और कोविड-19 का टीका बाजार में आने के बाद भारतीय बाजार में बढ़ते विश्वास को देखते हुए यह नया अनुमान लगाया गया है.

इस रेटिंग एजेंसी ने इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में आने वाली गिरावट के अनुमान को भी अपने पहले के 10.6 प्रतिशत में सुधार लाते हुए इसे 7 प्रतिशत कर दिया है.

नि:संदेह वर्ष 2021 की शुरु आत से ही अर्थव्यवस्था में सुधार दिखाई दे रहा है, लेकिन अर्थव्यवस्था को तेजी से गतिशील करने और आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में भारत को दुनिया में सबसे तेज विकास दर वाला देश बनाने की वैश्विक आर्थिक रिपोर्टो को साकार करने के लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा.

देश में जीडीपी की स्थिति सुधरी है, लेकिन परिवारों की खर्च संबंधी धारणा बेहतर नहीं हुई है. भारतीय रिजर्व बैंक का उपभोक्ता भरोसा सर्वे ऐसा रुझान दिखा रहा है. अतएव उपभोक्ताओं के खर्च की धारणा को सकारात्मक करके खर्च की प्रवृत्ति बढ़ाना जरूरी है.

भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जरूरी है कि इसके विशाल उपभोक्ता बाजार में बुनियादी जरूरतों के लिए अधिक खर्च करने की चाह पैदा की जाए.

चूंकि चालू वित्त वर्ष 2020-21 कोविड-19 का चुनौतियों का एक असामान्य वर्ष है इसलिए हाल ही में प्रकाशित हुए अर्थव्यवस्था की स्थिति से संबंधित आंकड़ों में संशोधन हो सकता है. कई वित्तीय चुनौतियां अभी भी सामने खड़ी हुई हैं. केंद्र और राज्य दोनों की वित्तीय स्थिति संतोषजनक रूप नहीं ले सकी हैं.

बॉन्ड बाजार भी बढ़ी हुई सरकारी उधारी के लगातार जारी रहने से चिंताएं प्रस्तुत कर रहा है. मौद्रिक नीति से अधिक मदद की संभावना भी कम बनी हुई है.

इस बात पर भी ध्यान दिया जाना होगा कि जीडीपी के आंकड़ों के अनुसार जिन सेक्टरों के लिए अपेक्षा के अनुकूल वृद्धि नहीं हुई है, उन सेक्टरों में प्राथमिकता के आधार पर समस्याओं का निवारण करना होगा.

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