ऑस्ट्रेलिया से संबंध प्रगाढ़ बनाने की कवायद, शोभना जैन का ब्लॉग

By शोभना जैन | Published: August 7, 2021 04:08 PM2021-08-07T16:08:33+5:302021-08-07T16:08:33+5:30

द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को पूरी क्षमता के साथ आर्थिक संबंधों की मजबूती के लिए बढ़ाया जा सके और ठंडे बस्ते में पड़े ‘भारत और ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते’ के प्रारूप पर  फिर से आगे चर्चा शुरू की जा सके.

India-Australia trade talks agenda further deepening economic trade deal Shobhana Jain's blog | ऑस्ट्रेलिया से संबंध प्रगाढ़ बनाने की कवायद, शोभना जैन का ब्लॉग

हाल ही में अमेरिका और जापान के साथ क्वाड गठबंधन की एक और महत्वपूर्ण सामरिक साझेदारी बनी है.

Highlightsऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट अपने प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के विशेष व्यापार दूत के रूप में इस सप्ताह भारत में हैं.ऑस्ट्रेलिया द्वारा अपने कृषि, डेयरी उत्पादों को बाजार दिए जाने और भारी शुल्क तथा अन्य मुद्दों को लेकर यह वार्ता 2015 से ठप पड़ी है. दोनों देशों के बीच पिछले वर्ष जून में व्यापक सामरिक साझीदारी का दर्जा भी बढ़ाया गया था.

पिछले छह बरस से ठंडे बस्ते में पड़ी भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार वार्ता को फिर से शुरू करने की कवायद हो रही है. दोनों देशों के बीच प्रस्तावित अहम व्यापार समझौते के जरिये भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के एजेंडे के साथ ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट अपने प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के विशेष व्यापार दूत के रूप में इस सप्ताह भारत में हैं.

इस संबंध में वे भारतीय नेताओं और व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों और विशेषज्ञों के साथ चर्चाएं कर रहे हैं जिससे द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को पूरी क्षमता के साथ आर्थिक संबंधों की मजबूती के लिए बढ़ाया जा सके और ठंडे बस्ते में पड़े ‘भारत और ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते’ के प्रारूप पर  फिर से आगे चर्चा शुरू की जा सके.

ऑस्ट्रेलिया द्वारा अपने कृषि, डेयरी उत्पादों को बाजार दिए जाने और भारी शुल्क तथा अन्य मुद्दों को लेकर यह वार्ता 2015 से ठप पड़ी है. ऑस्ट्रेलिया न केवल लंबे समय  से  भारत के साथ एक व्यापारिक साङोदार के रूप में बल्कि भारत के साथ उभरते हुए अहम रणनीतिक साझेदार के रूप में सामने आ रहा है. दोनों देशों के बीच पिछले वर्ष जून में व्यापक सामरिक साझीदारी का दर्जा भी बढ़ाया गया था.

दोनों के बीच हाल ही में अमेरिका और जापान के साथ क्वाड गठबंधन की एक और महत्वपूर्ण सामरिक साझेदारी बनी है. गौरतलब है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही राष्ट्रमंडल, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए), आसियान रीजनल फोरम के सदस्य भी हैं. लेकिन इस वार्ता की बात करें तो दोनों के बीच 2011 से शुरू हुई वार्ता नौ दौर के बाद सितंबर 2015 से ठप पड़ी है.

उल्लेखनीय है कि पीएम नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई पीएम मॉरिसन के बीच 2020 में समझौते के प्रारूप पर वार्ता फिर से शुरू किए जाने को लेकर सहमति भी बनी लेकिन इन्हीं मुद्दों पर व्याप्त गतिरोध के चलते बातचीत शुरू नहीं हो पाई. मौजूदा भारत यात्र के  दौरान एबॉट ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और अनेक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों से इस दिशा में मंत्रणा की.

देखना होगा कि ऑस्ट्रेलिया का गतिरोध वाले मुद्दों पर अब आगे क्या रुख रहता है. एबॉट की इस यात्र की अहमियत को भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फैरेल की इस टिप्पणी से समझा जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंध ‘ऐतिहासिक ऊंचाई’ पर हैं. एबॉट भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते पर चर्चा के लिए उत्सुक हैं.

यह समझौता भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों की ही जनता के आपसी हित में है और इससे हमारे आर्थिक संबंधों में और मजबूती आएगी. साल 2020 में पीएम मोदी और पीएम मॉरिसन ने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साङोदारी तक बढ़ाया था और हम अपने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं.

बहरहाल, रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने की द्विपक्षीय उत्सुकता और प्रतिबद्धता के बीच माना जा रहा है कि आगामी वर्षो में दोनों देशों के बीच घनिष्ठ आर्थिक साङोदारी बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं. मौजूदा आंकड़े अगर देखें तो इस वर्ष भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 4.04 अरब डॉलर का निर्यात किया जबकि आयात 8.24 अरब डॉलर के लगभग था.

दोनों देशों के बीच बढ़ते सामरिक रणनीतिक सहयोग की बात करें तो हाल ही में पीएम मोदी और मॉरिसन के बीच हुई वर्चुअल शिखर बैठक में अन्य अहम समझौतों के अलावा दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास की संभावनाएं बढ़ाने तथा साझे सुरक्षा मुद्दों पर रक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति हुई. मालाबार समुद्रीय सैन्याभ्यास में पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हुआ था.

दोनों देशों के बीच पिछले वर्ष जून में व्यापक सामरिक साझीदारी का दर्जा भी बढ़ाया गया था. इस संबंध में एक  विशेषज्ञ  की टिप्पणी ध्यान देने योग्य है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया एक साझा महासागर की अपनी भौगोलिक निकटता के कारण, भारत-प्रशांत क्षेत्र की भू-राजनीतिक व्यवस्था में बढ़ते व्यापार और निकट सुरक्षा सहयोग को प्रमुखता देते हैं.

एबॉट की सितंबर 2014 की प्रधानमंत्री के रूप में पहली भारत यात्र और उसके बाद 2015 में मोदी की ऑस्ट्रेलिया यात्र में दोनों ही नेताओं ने उस वर्ष की समाप्ति से पहले समझौते को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद जताई थी. लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने अपने कृषि, डेयरी उत्पादों को बाजार दिए जाने और भारी शुल्क तथा अन्य मुद्दों को लेकर जो रुख अपनाया, उससे बातचीत रुक गई.

दरअसल भारत द्वारा 2019 में काफी सोच-विचार के बाद अपने हितों पर आंच आती देख 16 देशों के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझीदारी-आरसीईपी से हाथ खींच लेने के बाद  भारत और ऑस्ट्रेलिया व्यापार समझौते को लेकर इस वार्ता के दोबारा शुरू किए जाने की दिशा में प्रयास शुरू हुए और इस संबंध में ऑस्ट्रेलिया की यह पहल हुई है.

वैसे भी एबॉट इस क्षेत्रीय समझौते आरसीईपी के आलोचक रहे हैं. उनका कहना है कि यह चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का व्यापारिक चेहरा भर है. बहरहाल, पिछले कुछ वर्षो से  भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध और प्रगाढ़ हुए हैं.

ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों में भारतीय छात्रों की संख्या सर्वाधिक है. जरूरी है कि व्यापारिक संबंधों को नई गति देने के लिए इस समझौते के प्रारूप पर गतिरोध वाले मुद्दों को दूर करने के लिए विचार-विमर्श से आपसी सहमति के बिंदु उभरें ताकि दोनों देशों के समान हितों को आगे बढ़ाया जा सके.

Web Title: India-Australia trade talks agenda further deepening economic trade deal Shobhana Jain's blog

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