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Economic Research: आर्थिक विकास की अब धुरी बन रहे गांव?, 2023-24 में ग्रामीण गरीबी घटकर 4.86 प्रतिशत और शहरी गरीबी घटकर 4.09 प्रतिशत...

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: January 11, 2025 06:00 IST

Economic Research: वर्ष 2011-12 में ग्रामीण गरीबी 25.7 प्रतिशत और शहरी गरीबी 13.7 प्रतिशत थी, वहीं वर्ष 2023-24 में ग्रामीण गरीबी घटकर 4.86 प्रतिशत और शहरी गरीबी घटकर 4.09 प्रतिशत पर आ गई.

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ठळक मुद्देगरीबी में कमी शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में अधिक तेजी से हुई है.शहरों में हर माह प्रतिव्यक्ति उपभोक्ता खर्च (एमपीसीई) 3.5 गुना हो गया.ग्रामीण इलाकों में यह खर्च 1054 रुपए से बढ़कर 4122 रुपए हो गया.

Economic Research: इन दिनों प्रकाशित हो रही भारत में गरीबी से संबंधित विभिन्न आर्थिक शोध अध्ययन रिपोर्टों में यह तथ्य रेखांकित हो रहा है कि भारत में शहरों की तुलना में गांवों में गरीबी तेजी से घट रही है और आमदनी व क्रय शक्ति में भी तेज वृद्धि हो रही है. हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) रिसर्च के द्वारा गरीबी पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य रूप से गरीबों को सीधे लाभान्वित करने वाले सरकारी सहायता कार्यक्रमों के सकारात्मक प्रभावों और विकास के कारण गरीबी में कमी आई है. गरीबी में कमी शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में अधिक तेजी से हुई है.

जहां वर्ष 2011-12 में ग्रामीण गरीबी 25.7 प्रतिशत और शहरी गरीबी 13.7 प्रतिशत थी, वहीं वर्ष 2023-24 में ग्रामीण गरीबी घटकर 4.86 प्रतिशत और शहरी गरीबी घटकर 4.09 प्रतिशत पर आ गई. इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 14 साल में आमदनी बढ़ने से जहां शहरों में हर माह प्रतिव्यक्ति उपभोक्ता खर्च (एमपीसीई) 3.5 गुना हो गया, वहीं यह ग्रामीण इलाकों में करीब चार गुना हो गया है.

वर्ष 2009-10 से 2023-24 के बीच शहरी इलाकों में एमपीसीई 1984 रुपए से बढ़कर 6996 रुपए और ग्रामीण इलाकों में यह खर्च 1054 रुपए से बढ़कर 4122 रुपए हो गया. ऐसे में शहरों की तुलना में गांवों की ग्रोथ ज्यादा है. गौरतलब है कि 4 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण भारत महोत्सव 2025 को संबोधित करते हुए कहा कि देश में ग्रामीण गरीबी में तेजी से कमी आ रही है.

यह पिछले वर्ष  2024 में घटकर पांच प्रतिशत से भी कम रह गई है. साथ ही ग्रामीणों की आमदनी और क्रयशक्ति बढ़ी है. मोदी ने कहा कि आज गांवों के लाखों घरों को पीने का साफ पानी मिल रहा है. लोगों को डेढ़ लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिरों से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं. आज डिजिटल तकनीक की मदद से बेहतरीन डॉक्टर और अस्पताल भी गांवों से कनेक्ट हो रहे हैं.

पीएम किसान सम्मान निधि के जरिये देश के किसानों को तीन लाख करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी जा रही है. बीते 10 वर्षों में कृषि ऋण साढ़े तीन गुना बढ़ गए हैं. अब पशुपालकों और मछली पालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड दिए जा रहे हैं. बीते 10 वर्षों में फसलों पर दी जाने वाली सब्सिडी और फसल बीमें की राशि को बढ़ाया गया है.

स्वामित्व योजना जैसे अभियान चलाए गए हैं, जिनके जरिये गांव के लोगों को संपत्ति के दस्तावेज दिए जा रहे हैं. गांव के युवाओं को मुद्रा योजना, स्टार्टएप्प इंडिया, स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाओं के जरिये मदद की जा रही है. उम्मीद करें कि सरकार नये वर्ष 2025 में देश से गरीबी को और घटाने के लिए देश में लागू गरीबों के सशक्तिकरण की योजनाओं के कारगर क्रियान्वयन के साथ नई योजनाओं व नये रणनीतिक प्रयासों के साथ आगे बढ़ेगी.

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