ब्लॉगः वैश्विक सुस्ती के बीच विदेशी निवेशकों का पसंदीदा देश बना भारत
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: July 19, 2023 02:52 PM2023-07-19T14:52:06+5:302023-07-19T14:53:45+5:30
विदेशी निवेश की बदौलत भारत विश्व में नई परियोजनाओं की घोषणा करने वाला तीसरा देश बन गया और अंतरराष्ट्रीय परियोजना वित्त सौदों में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया।
इन दिनों पूरी दुनिया में 5 जुलाई को प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) की वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट, 2023 पढ़ी जा रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्ष 2022 में विकसित देशों में कुल 378 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया। वहीं भारत में वर्ष 2022 में 49 अरब डॉलर एफडीआई आया। वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट के रुझान के बीच भारत दुनिया के सर्वाधिक एफडीआई प्राप्त करने वाले 20 देशों की सूची में आठवें पायदान पर रहा।
विदेशी निवेश की बदौलत भारत विश्व में नई परियोजनाओं की घोषणा करने वाला तीसरा देश बन गया और अंतरराष्ट्रीय परियोजना वित्त सौदों में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया। अंकटाड की वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और भारत में तेजी से कई आर्थिक सुधार भी हो रहे हैं। इस रिपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि भारत निवेश के लिए सबसे बेहतर जगह है। देश के युवाओं द्वारा संचालित भारत टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग और नवाचार के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी केंद्र के रूप में उभर रहा है।
गौरतलब है कि देश को विदेशी निवेश का पसंदीदा देश बनाने में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की अहम भूमिका है। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में देश की विकास दर अनुमानों से अधिक 7.2 फीसदी रही है। देश में जून 2023 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), विनिर्माण के लिए पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई), यात्री वाहनों की बिक्री और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये हुए लेन-देन में प्रभावी वृद्धि पाई गई है। ऐसे उत्साहवर्द्धक आर्थिक आंकड़ों से दुनियाभर के वित्तीय संगठनों और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के द्वारा वर्ष 2023-24 में भारत की विकास दर के 6 से 6.5 फीसदी रहने की उम्मीदें प्रस्तुत की जा रही हैं। विभिन्न वैश्विक रिपोर्टों में यह कहा जा रहा है कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में नई शक्ति प्राप्त कर रहा है।
चार वैश्विक रूझान जनसांख्यिकी, डिजिटलीकरण, डीकार्बोनाइजेशन और डीग्लोबलाइजेशन न्यू इंडिया के पक्ष में हैं। भारत में मजबूत राजनीतिक नेतृत्व है। भारत में निवेश पर बेहतर रिटर्न है। भारतीय बाजार बढ़ती डिमांड वाला बाजार है। देश में प्रतिभाशाली नई पीढ़ी की कौशल दक्षता, आउटसोर्सिंग और देश में बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की चमकीली क्रयशक्ति के कारण विदेशी निवेश भारत की ओर तेजी से बढ़ने लगा है। उल्लेखनीय है कि 21 से 24 जून तक प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका के दौरे के बाद उद्योग-कारोबार से संबंधित ऐसा महत्वपूर्ण परिदृश्य उभरकर सामने आ रहा है, जिससे भारत दुनिया का नया मैन्युफैक्चरिंग हब बनते हुए दिखाई देगा और भारत में विदेशी निवेश बढ़ेगा।