भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: विदेशी नहीं, घरेलू खपत बढ़ाने की जरूरत

By भरत झुनझुनवाला | Published: August 26, 2021 03:38 PM2021-08-26T15:38:32+5:302021-08-26T15:38:32+5:30

आज विश्व का एक ही बाजार स्थापित हो गया है. हमारे उद्यमी चीन में फैक्ट्रियां लगाकर वहां पर माल बनाकर चीन से भारत एवं अन्य देशों को निर्यात कर रहे हैं.

Bharat Jhunjhunwala blog: Need to increase domestic consumption | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: विदेशी नहीं, घरेलू खपत बढ़ाने की जरूरत

घरेलू खपत बढ़ाने की जरूरत

सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में देश के समक्ष 400 अरब डॉलर के माल के निर्यात का लक्ष्य रखा है, जो कि कोरोना पूर्व के निर्यातों से लगभग 30 प्रतिशत अधिक है. 

निर्यातों को बढ़ाना इसलिए जरूरी होता है कि हमें जरूरती आयातों के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करनी होती है. लेकिन माल के निर्यातों से हम अपने बहुमूल्य संसाधनों का निर्यात करते हैं. जैसे चावल का निर्यात करने में हम अपनी भूमि और पानी को चावल में पैक करके विदेशियों की खपत के लिए भेज देते हैं. फिर इस निर्यात से अर्जित रकम से हम दूसरे माल जैसे अमेरिकी अखरोट अथवा स्विट्जरलैंड की चॉकलेट का आयात करते हैं. 

हम अपने द्वारा उत्पादित माल जैसे चावल को सीधे अपने देशवासियों को देकर उनकी खपत में वृद्धि कर सकते हैं; अथवा पहले अपने माल का निर्यात करके उसके ऐवज में चीन में बने एलईडी बल्ब का आयात करके पुन: अपने देशवासियों को खपत के लिए उपलब्ध करा सकते हैं. 

प्रश्न है कि क्या हमें निर्यात के माध्यम से अपने नागरिकों की खपत बढ़ानी चाहिए अथवा सीधे ही अपने माल की खपत बढ़ानी चाहिए? जैसे देश में उत्पादित चावल को सीधे ही अपने नागरिकों को उपलब्ध करा दिया जाए; अथवा चीन में बने एलईडी बल्ब को उपलब्ध कराया जाए. सीधे दीखता है कि यदि हम स्वयं एलईडी बल्ब को चीन के समतुल्य सस्ता बना लें तो चावल के निर्यात और बल्ब के आयात की जरूरत नहीं रह जाएगी.

आज विश्व का एक ही बाजार स्थापित हो गया है. हमारे उद्यमी चीन में फैक्ट्रियां लगाकर वहां पर माल बनाकर चीन से भारत एवं अन्य देशों को निर्यात कर रहे हैं. 

इससे स्पष्ट है कि हमारे उद्यमियों के पास वैश्विक स्तर की उत्पादन तकनीकें उपलब्ध हैं और कच्चे माल का एक ही वैश्विक बाजार है. जैसे एलईडी बल्ब बनाना है तो भारत का उद्यमी आज यह पसंद करता है कि वह चीन में बनाकर चीन से भारत को निर्यात करे. वह भारत में ही उसी एलईडी बल्ब को बनाना पसंद नहीं करता है यद्यपि उसके पास तकनीकें और कच्चा माल उपलब्ध है. 

इस समस्या का एक पक्ष देश की व्यवस्था, श्रम कानून इत्यादि है जिससे अपने देश में सभी माल की उत्पादन लागत अधिक हो जाती है. निर्यातों के संदर्भ में अपने देश की नौकरशाही का अवरोध है.

मुंबई के एक निर्यातक ने अपनी दास्तां इस प्रकार बयां की. उन्हें 40 टन के एक कंटेनर केमिकल का निर्यात किसी विशेष दिन तक करना था. उनका कंटेनर बंदरगाह पर समय से पहुंच गया. लेकिन बंदरगाह के इंस्पेक्टर ने कहा कि वह उस कंटेनर में रखे हुए 25-25 लीटर के 1600 जरकिन में प्रत्येक को निकालकर वजन करेंगे. 

यदि इंस्पेक्टर ऐसा करते तो इस कार्य में 2 दिन लग जाते और निर्यातक का आर्डर कैंसिल हो जाता और उसे डैमेज भी देने पड़ते. इस परिस्थिति में निर्यातक ने इंस्पेक्टर को 50000 रुपए की घूस दी और अपने माल का निर्यात किया. 

वर्तमान समय में निर्यातों को बढ़ाने में कोरोना संकट का भी अवरोध है. तमाम विश्लेषकों का मानना है कि कोरोना संकट के अलग-अलग समय अलग-अलग देशों में उत्पन्न होने के कारण आज बड़े उद्यमी विदेशों से आयातित माल पर निर्भर नहीं होना चाहते हैं. उन्हें भय रहता है कि यदि कच्चा माल सप्लाई करने वाले देश में कोरोना का संकट आ गया और माल समय से नहीं पहुंचा तो उनका स्वयं का उत्पादन ठप हो जाएगा. 

उद्यमी चाहते हैं कि कच्चा माल स्वयं बना लें. माल का उत्पादन वैश्वीकरण से पीछे हट रहा है. इस परिस्थिति में अपने देश से निर्यातों को बढ़ाना कठिन होगा.

फिर भी अपनी कुछ जरूरतों जैसे ईंधन, तेल एवं फॉस्फेट फर्टिलाइजर के आयातों के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए निर्यातों को बढ़ाना ही होगा. इस दिशा में सरकार को तीन समस्याओं का निदान करना होगा. पहले, माल के वैश्विक व्यापार का राष्ट्रीयकरण होगा. लेकिन जानकारों का मानना है कि सूचना का वैश्वीकरण और तेजी से होगा. 

सूचना या सॉफ्ट माल को इंटरनेट के माध्यम से आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान भेजा जा सकता है. इसमें कोरोना की बाधा नहीं आती है. इसलिए सरकार यदि उत्पादित माल के निर्यात बढ़ाने के स्थान पर सेवाओं जैसे ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन, अनुवाद, सिनेमा, संगीत आदि के निर्यात पर ध्यान दें तो हम सफल हो सकते हैं. 

दूसरा, देश के उद्यमी अपना देश छोड़कर जो बांग्लादेश, वियतनाम, चीन आदि देशों में जाकर फैक्ट्री लगा रहे हैं, उसके पीछे सामाजिक विवादों में वृद्धि दिखती है. अपने देश का सामाजिक ढांचा थरथरा रहा है. उद्यमी नहीं चाहता कि वह अपने परिवार या अपने स्वयं के जीवन को ऐसे वातावरण में रखे. इसलिए सरकार को देश में सामाजिक सौहाद्र्र बनाने पर ध्यान देना होगा.

तीसरा, नौकरशाही द्वारा जो निर्यातों में अवरोध पैदा किए जा रहे हैं उसके लिए केवल ऊपर से भ्रष्ट अधिकारियों को सेवानिवृत्त करना यद्यपि जरूरी है लेकिन केवल इतना करने से सफलता नहीं मिलेगी. जब ऊपर से सख्ती की जाती है तो नीचे के अधिकारी कहते हैं कि ऊपर से सख्ती हो रही है इसलिए हमें घूस ज्यादा चाहिए, इसलिए नीचे से अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जन सहयोग की जरूरत पड़ेगी. जन सहयोग से ही नीचे का भ्रष्टाचार दूर किया जा सकेगा.

Web Title: Bharat Jhunjhunwala blog: Need to increase domestic consumption

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