रवींद्रनाथ एशिया के पहले लेखक थे जिन्हें 109 साल पहले 1913 में साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार मिला था। देश-विदेश की कई भाषाओं में रवींद्रनाथ की रचनाएं अनूदित हैं। ...
किसी भी कहानी की श्रेष्ठता की कसौटी है- किस्सागोई और बलवान चरित्नों का निर्माण, यथार्थ पर पैनी दृष्टि, आदर्श और यथार्थ, भोगा हुआ यथार्थ, बदला हुआ यथार्थ, भाषा की व्यंजना, शैली की प्रांजलता, युग बोध, उद्देश्य एवं रचनाकार का दृष्टिकोण और कहानी में आज क ...
पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. इसके बावजूद ममता बनर्जी की क्षमता के आगे वे कहीं टिक नहीं सके. राष्ट्रीय राजनीति पर भी इसका असर जरूर नजर आएगा. ...
‘आज’ के अलावा कई दूसरे समाचार पत्नों को भी पराड़करजी का संपादकीय संस्पर्श मिला था. वे 1906 में ‘हिंदी बंगवासी’ के सहायक संपादक होकर कलकत्ता गए. छह महीने बाद हिंदी साप्ताहिक ‘हितवार्ता’ के संपादक हुए और चार वर्ष तक वहीं रहे. साथ ही बंगाल नेशनल कॉलेज ...
नाटक के एक दृश्य में दर्शकों ने देखा कि मंच पर गंगा नदी प्रकट हो गईं. वह दृश्य देखकर सभागार में मौजूद तत्कालीन मुख्यमंत्नी बुद्धदेव भट्टाचार्य, फिल्मकार मृणाल सेन, गौतम घोष, साहित्य समालोचक नामवर सिंह और स्वयं कथाकार काशीनाथ सिंह अभिभूत हो उठे थे. उस ...
आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है, जोकि हर साल 30 मई को भारत में मनाया जाता है। दरअसल, 30 मई 1826 को कोलकाता से पहला हिंदी भाषी समाचार पत्न ‘उदंत मार्तण्ड’ प्रकाशित हुआ था, जिसकी वजह से इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। ...
कोरोना घोषणा पत्न में भारत के सभी नागरिकों द्वारा यह शपथ लेनी चाहिए कि वे व्यक्तिगत स्वच्छता और शारीरिक दूरी बनाए रखेंगे. बार-बार हाथ धोने की आदत डालेंगे. साबुन और पानी से हाथ धोएंगे. साफ दिखने वाले हाथों को भी निरंतर धोएंगे. ...