वर्चुअल रैलियों की शुरुआत भारत में हो चुकी है लेकिन कई सवाल भी हैं. प्रबंधों को लेकर कई सवाल हैं. जैसे, क्या ये उपाय प्रभावी होंगे. क्या इनसे वैसे ही उद्देश्य हासिल हो सकते हैं जैसे वास्तविक रैलियों आदि से होते हैं. ...
देश में मोबाइल फोन, खासतौर से स्मार्टफोन और उनके जरिए होने वाला सूचनाओं का आदान-प्रदान जीवन का एक जरूरी हिस्सा बन चुका है. आम जिंदगी में कोई भी इसकी कल्पना नहीं कर सकता है कि वह किसी दिन स्मार्टफोन और उसमें मौजूद रहने वाले एप्लीकेशंस यानी एप्स के बिन ...
अंतरिक्ष को जानने-समझने और उसके आकर्षण में बंधने एक नया अवसर इधर तब पैदा हुआ, जब दुनिया में पहली बार एक निजी कंपनी के रॉकेट से उड़ान भरकर दो अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) जा पहुंचे. अरसे से यह सपना एक सवाल के रूप में शायद हजा ...
एक सवाल यह भी है कि आखिर क्यों नई-नई संक्रामक बीमारियां सामने आ रही हैं? क्या यह दुनिया के कमजोर स्वास्थ्य तंत्न का नतीजा है? वैज्ञानिकों का इस बारे में यह मत है कि ज्यादातर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने माइक्रोब्स (रोगाणुओं) के जीवनचक्रों को समझने की कोशि ...
चुनावी वादों पर अमल करने की नीति तो अपने देश भारत में भी नहीं रही है. लेकिन इससे बड़ा सवाल यह है कि बीते सौ साल में अभी तक किसी भी ब्रिटिश सरकार ने जलियांवाला बाग कांड पर माफी क्यों नहीं मांगी? जलियांवाला के भयावह नरसंहार पर ब्रिटेन की माफी का एक प्र ...
पूछा जा सकता है कि जो देश चांद और उसके आगे मंगल ग्रह तक अपनी पहुंच की कामयाबी का जश्न मनाता है, वह इसी पृथ्वी पर कुछ सौ फुट की गहराई वाले बोरवेलों से बच्चों को जिंदा निकालने में नाकाम क्यों रहता है. ...
पर्यावरण-त्नासदियों से लेकर तेल-खनिजों के अतिशय दोहन के चलते जैसे संकट हम खुद पृथ्वी के सामने खड़े कर रहे हैं, वे अगले दो-तीन सौ वर्षो में ही धरती पर मानव जीवन को असंभव बना देने के लिए काफी हैं. ...