बर्ड फ्लू : उड़ते बुखार से दुनिया पर मंडराता संकट, अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग

By अभिषेक कुमार सिंह | Published: January 8, 2021 01:41 PM2021-01-08T13:41:47+5:302021-01-08T13:43:33+5:30

केंद्र सरकार ने कहा कि अभी तक केवल केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है, लेकिन सभी राज्यों को किसी भी अकस्मात स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए.

Bird Flu covid world Kerala Rajasthan Madhya Pradesh Himachal Pradesh crisis sweeping fever Abhishek Kumar Singh's blog | बर्ड फ्लू : उड़ते बुखार से दुनिया पर मंडराता संकट, अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग

बर्ड फ्लू के वायरस एच5एन8 और एच5एन1 ने इंसानों को पुन: अपनी जकड़ में ले लिया. (file photo)

Highlightsप्रशासन ने बत्तख, मुर्गियों, बगुलों और अन्य घरेलू पक्षियों को मारने का आदेश दिया.देश के उत्तर से दक्षिण तक अचानक हजारों पक्षियों की मौत से हड़कंप मचना स्वाभाविक है.कोरोना के सदमे से ही बाहर नहीं निकल पाए हैं और पुराना संक्रमण एक बार फिर हमारे गले पड़ता दिख रहा है.

यह कहना आसान है कि मेडिकल साइंस की बदौलत संक्रामक बीमारियों से आसानी से लड़ा जा सकता है, लेकिन पहले कोरोना वायरस की त्रासदी और अब बर्ड फ्लू के उभरते पुराने मर्ज ने साबित कर दिया है कि हमारी सभ्यता को अब कुछ चुनौतियों से सतत संघर्ष करते रहना है.

किसी भी किस्म का फ्लू दुनिया के लिए नया नहीं है, समस्या उसके नए रूपों की है जिसे समझना और उस आधार पर इलाज ढूंढना फौरन संभव नहीं हो पाता है. कोरोना वायरस से छिड़ी जंग में हमने यह सीख लिया है और इसके टीकाकरण के अभियान शुरू होने के साथ हम इससे कुछ राहत का अनुभव कर सकते हैं.

पर बर्ड फ्लू जैसे बार-बार लौट आने वाले जुकाम-बुखार का क्या करें, जिसने नया साल लगते ही हमारे देश में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश समेत आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में खतरे की घंटी बजा दी है. यहां अहम सवाल यह है कि क्या हमें कभी विदेशी (माइग्रेटरी) पक्षियों, मुर्गियों, कौवों और बत्तखों के पंखों पर सवार होकर आ रही इस आसमानी आपदा से राहत मिल पाएगी, क्योंकि तमाम सावधानियों और तैयारियों के बाद भी हाल के वर्षों-दशकों में यह बीमारी बार-बार लौट रही है.

मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और केरल में हजारों पक्षियों की मौत के साथ हुई

इधर बर्ड फ्लू के संकट की शुरुआत राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और केरल में हजारों पक्षियों की मौत के साथ हुई. आरंभ में इन राज्यों में हजारों कौवों की मौत की सूचनाओं के साथ राज्य सरकारों ने अलर्ट जारी किया, तो केरल जैसे राज्य के कोट्टायम और अलप्पुझा जिलों के कुछ हिस्सों में प्रशासन ने बत्तख, मुर्गियों, बगुलों और अन्य घरेलू पक्षियों को मारने का आदेश दिया.

देश के उत्तर से दक्षिण तक अचानक हजारों पक्षियों की मौत से हड़कंप मचना स्वाभाविक है, क्योंकि अभी तो हम कोरोना के सदमे से ही बाहर नहीं निकल पाए हैं और पुराना संक्रमण एक बार फिर हमारे गले पड़ता दिख रहा है.

चिंता की वजह यह है कि अगर बात पक्षियों की मौत से आगे बढ़ी और बर्ड फ्लू के वायरस एच5एन8 और एच5एन1 ने इंसानों को पुन: अपनी जकड़ में ले लिया तो सच में हालात बेहद जटिल हो जाएंगे. चूंकि एवियन इंफ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) और कोविड-19, इन दोनों ही बीमारियों के लक्षण काफी मिलते-जुलते हैं, ऐसे में छींकते-खांसते मरीज को देखकर यह पता लगाना मुश्किल हो सकता है कि उसमें असल में किस बीमारी के वायरस हैं. जाहिर है, इस दुविधा से कोरोना के टीकाकरण की मुहिम संकट में पड़ सकती है और एक साथ दो संक्रमणों से जूझना हमारी सभ्यता को काफी ज्यादा भारी पड़ सकता है.

मांसाहार की बढ़ती प्रवृत्ति इंसानों को कई ऐसे संक्रमणों की जद में ले आई है

यह सिर्फ एक सूचना नहीं, बल्कि चेतावनी है कि दुनिया में मांसाहार की बढ़ती प्रवृत्ति इंसानों को कई ऐसे संक्रमणों की जद में ले आई है. कोरोना वायरस की उत्पत्ति के पीछे वुहान (चीन) के सी-फूड मार्केट को देखा गया है जहां चमगादड़ के खून में मौजूद कोरोना वायरस पेंगोलिन तक पहुंचा और आशंका है कि उस पेंगोलिन का सेवन किसी इंसान ने किया- जहां से यह वायरस जानवरों से मनुष्य में पहुंच गया.

इसी तरह बर्ड फ्लू का ज्यादा बड़ा संकट तभी पैदा हुआ है, जब उससे संक्रमित पक्षियों को मांसाहार के तहत खाया गया है. मांसाहार की बढ़ती प्रवृत्ति के चलते देखा जा रहा है कि पिछले एक दशक से हमारे देश में प्राय: हर साल कहीं न कहीं बर्ड फ्लू के लक्षण दिखाई देते हैं.

ध्यान रहे कि वर्ष 2013 में जब भारत ने खुद को वैश्विक पर्यटन का सुरक्षित ठिकाना साबित करने के मकसद से खुद को बर्ड फ्लू मुक्त देश घोषित किया था तो उस वक्त (नवंबर, 2013 में) भी छत्तीसगढ़ के अंजौरा, दुर्ग और जगदलपुर स्थित पोल्ट्री फार्मो में बर्ड फ्लू का वायरस फैला हुआ था. तब दावा किया गया था कि वहां सभी संक्रमित मुर्गियों को जलाकर जमीन में दबा दिया गया, जिससे बर्ड फ्लू का खतरा खत्म हो गया था.

वैसे तो इससे पहले और बाद में भी कई बार देश के विभिन्न हिस्सों में बर्ड फ्लू फैलने के समाचार मिलते रहे हैं और हर मर्तबा उस पर काबू पा लेने का दावा भी किया गया है, लेकिन पक्षियों के बुखार के लौट आने की घटनाओं से साबित हो रहा है कि इस तरह के दावों में कोई न कोई खोट अवश्य रहती है. असल में कई बार पर्यटन और पोल्ट्री उद्योग को इस कारण होने वाले नुकसान से बचाने के लिए ऐसी खबरें और सूचनाएं दबा दी जाती हैं या फिर उन्हें कोई और रंग दे दिया जाता है.

हालांकि कोरोना की मार से जूझ रही दुनिया में अब संक्रमणों की बात छिपाने की परंपरा खत्म होती लग रही है. वर्ष 2021 लगते ही देश के कई राज्यों ने बर्ड फ्लू की आमद पर खतरे की घंटी बजाकर इस संबंध में सतर्कता और जागरूकता का परिचय दिया है, लेकिन अब आशंका यह है कि कहीं कोरोना के हंगामे के बीच इस उड़ते बुखार को एक रूटीन या मामूली आपदा न मान लिया जाए. यदि ऐसा हुआ तो यह सच में एक बड़ी आपदा को जन्म दे सकता है.

Web Title: Bird Flu covid world Kerala Rajasthan Madhya Pradesh Himachal Pradesh crisis sweeping fever Abhishek Kumar Singh's blog

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