17 साल की किशोरी ने खाना-पीना छोड़कर त्याग दी देह, इंटरनेट पर छिड़ी बहस, यूजर्स भेज रहे हैं मर्दों पर लानत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 7, 2019 07:04 PM2019-06-07T19:04:19+5:302019-06-07T19:04:19+5:30

नोआ की बहन ईसा ने अपने फॉलोअर के साथ खबर शेयर की- रविवार 2 जून को 2 बजकर 40 मिनट पर नोआ का निधन हो गया। आगे उन्होंने लिखा स्लीप वेल, स्वीटहार्ट। हमें तुम्हें जाने देना होगा।

Why Dutch teenager Noa’s tragic death was misunderstood | 17 साल की किशोरी ने खाना-पीना छोड़कर त्याग दी देह, इंटरनेट पर छिड़ी बहस, यूजर्स भेज रहे हैं मर्दों पर लानत

नोआ ने 'विनिंग ऑर लर्निंग' नाम से आत्मकथा भी लिखी है।

'जाने देना ही प्यार है' ये लाइन एक 17 साल की लड़की ने इंस्टाग्राम पर अपने चाहने वालों के लिए लिखा था। उसके कुछ दिनों बाद वह मर गई। यह कहानी मानिसक रूप से बीमार और थक चुकी नोआ पोथोवेन नाम के एक लड़की के लड़ाई और जज्बे की कहानी है। 

नीदरलैंड की रहने वाली नोआ जब 11 साल की थी तब स्कूल में एक पार्टी के दौरान उसका यौन उत्पीड़न हुआ। उसके तीन साल बाद दो लोगों ने उनका बलात्कार किया। लेकिन डर और शर्म ने उन्हें चुप करा दिया। लेकिन उनका यह दर्द डिप्रेशन और खान-पीन में दिखाई दिया।

ऐसे में उन्होंने किशोरावस्था के दौरान बनाई अपनी डायरी को एक आत्मकथा 'विनिंग ऑर लर्निंग' में बदल दिया। उस आत्मकथा (आटोबॉयोग्राफी) को उन्होंने  ऐसे युवाओं के लिए प्रकाशित किया जिन्होंने इसी तरह के दुर्व्यवहार का सामना किया था और सपोर्ट के लिए भटकते थे।

जब नोआ दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही थीं उस दौरान उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। अंत में उन्होंने इंस्टाग्राम पर पोस्ट लिखा..

"सालों की लड़ाई के बाद मैं सूख गई हूं। मैंने खाना-पीना छोड़ दिया है। काफी सोच-विचार के बाद मैंने जाने का फैसला कर लिया है क्योंकि मेरा दुख असहनीय है।"

आगे उन्होंने लिखा "शर्म और डर के मारे मैं हर दिन दर्द महसूस करती हूं। हमेशा डरी रहती हूं और हमेशा पहरे में रहती हूं। और आज तक मुझे अभी भी मेरा शरीर गंदा लगता है।" 

नोआ की बहन ईसा ने अपने फॉलोअर के साथ खबर शेयर की- रविवार 2 जून को 2 बजकर 40 मिनट पर नोआ का निधन हो गया। आगे उन्होंने लिखा स्लीप वेल, स्वीटहार्ट। हमें तुम्हें जाने देना होगा।

दुनिया भर में कई मीडिया में उनकी इस मौत को इच्छामृत्यु के रूप में गलत तरीके से पेश किया गया। नोआ को ऐसी कोई पीने वाली दवा या इंजेक्शन नहीं दिया गया जो इच्छामृत्यु के दौरान दिया जाता है।

देखा जाए तो नोआ ने भूख हड़ताल किया था लेकिन उन्हें ट्यूब के जरिए खाना खिलाया जा रहा था। अंत में उनके परिवार ने उनके मरने की इच्छा को स्वीकार कर लिया। इसीलिए उनके परिजनों ने जिंदा रहने के लिए उनपर दबाव बनाना बंद कर दिया और उनके अंतिम दिनों को सुखद और शांतिपूर्ण बनाने के लिए उनकी उचित देखभाल किया।

एंड-ऑफ-लाइफ क्लिनिक ने नोआ के दोस्तों के जरिए एक बयान दिया जिसमें उनकी मौत से जुड़ी गलत रिपोर्टिंग को रोकने की बात कही। नोआ की की मौत इच्छामृत्यु से नहीं हुई बल्कि अपनी पीड़ा को रोकने या खत्म करने के लिए नोआ ने खाना-पीना बंद कर दिया था।

यह दुखद है कि एक युवा को खुद को भूखा रखना पड़ा और मौत को मुंह लगाना पड़ा। सोचना कितना कठिन है कि उसको बचाने का कोई विकल्प और उम्मीद नहीं है। उस घटना की भरपाई नहीं की जा सकती। 

इस घटना के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया भी आ रही हैं। जिसमें 17 की एक लड़की की मौत के लिए जिम्मेदार पुरुषों को लोग लानत भेज रहे हैं।

Web Title: Why Dutch teenager Noa’s tragic death was misunderstood

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