क्या है श्रीलंका का नया कानून?, 80 साल के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को छोड़ना पड़ा सरकारी बंगला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 12, 2025 11:01 IST2025-09-12T11:00:31+5:302025-09-12T11:01:27+5:30

पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे 2005 से 2015 तक राष्ट्रपति रहे। वह 2004 से 2005 तक और फिर 2019 से 2022 तक प्रधानमंत्री भी रहे।

What inew law Sri Lanka 80-year-old former President Mahinda Rajapaksa leave government bungalow strips ex-presidents privileges shift | क्या है श्रीलंका का नया कानून?, 80 साल के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को छोड़ना पड़ा सरकारी बंगला

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Highlightsकोलंबो स्थित बंगले और तंगाल्ले स्थित उनके निजी घर, दोनों के सामने प्रदर्शनकारियों ने घेरा डाल दिया था।प्रदर्शनों के बाद महिंदा के छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति पद से हटना पड़ा। वर्तमान नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) सरकार द्वारा चुनाव-पूर्व किए गए लोकप्रिय वादों में से एक था।

कोलंबोः श्रीलंका की संसद द्वारा एक दिन पहले पूर्व राष्ट्रपतियों के विशेषाधिकार खत्म करने संबंधी कानून पारित करने के बाद पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे अपना सरकारी बंगला छोड़ दिया है। राजपक्षे का बंगला कोलंबो के आवासीय क्षेत्र सिनेमन गार्डन्स में स्थित है। महिंदा राजपक्षे नवंबर में 80 वर्ष के हो जाएंगे। वह 2015 से सरकारी बंगले में रह रहे हैं। राजपक्षे 2005 से 2015 तक राष्ट्रपति रहे। वह 2004 से 2005 तक और फिर 2019 से 2022 तक प्रधानमंत्री भी रहे। राजपक्षे के एक सहयोगी ने कहा, "वह (महिंदा राजपक्षे) तंगाल्ले स्थित अपने घर पहुंचे।"

कोलंबो से दक्षिण में 190 किलोमीटर दूर हंबनटोटा जिले में तंगाल्ले स्थित कार्लटन हाउस ही वह जगह है जहां से राजपक्षे ने 1970 में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। वर्ष 2022 में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन के दौरान उनके कोलंबो स्थित बंगले और तंगाल्ले स्थित उनके निजी घर, दोनों के सामने प्रदर्शनकारियों ने घेरा डाल दिया था।

हालांकि, वे किसी भी इमारत में घुसने में कामयाब नहीं हो पाए। प्रदर्शनों के बाद महिंदा के छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति पद से हटना पड़ा। बुधवार को श्रीलंका की संसद ने पूर्व राष्ट्रपतियों के विशेषाधिकार समाप्त करने संबंधी विधेयक को पारित कर दिया। यह वर्तमान नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) सरकार द्वारा चुनाव-पूर्व किए गए लोकप्रिय वादों में से एक था।

राष्ट्रपति अधिकार अधिनियम संख्या 4, 1986 को निरस्त करने के लिए 'राष्ट्रपति अधिकार (निरसन) अधिनियम संख्या 18, 2025' शीर्षक वाला विधेयक, एक अधिनियम बन गया है। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि सभी पूर्व राष्ट्रपतियों और उनकी पत्नियों को दिए गए विशेषाधिकारों को वापस लेने संबंधी विधेयक को संसद में साधारण बहुमत से ही मंजूरी दी जा सकती है।

उच्चतम न्यायालय ने इस प्रकार राजपक्षे परिवार की पार्टी, श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट जिसे इसके सिंहली नाम श्रीलंका पोदुजाना पेरमुना (एसएलपीपी) के नाम से जाना जाता है, द्वारा बिल की संवैधानिकता को चुनौती देकर उसे विफल करने के प्रयास को खारिज कर दिया। वर्तमान में देश में पांच जीवित पूर्व राष्ट्रपति और एक अन्य राष्ट्रपति की विधवा हैं। जब सरकार ने संसद में यह विधेयक प्रस्तुत किया, उस समय केवल तीन ही इन सुविधाओं का लाभ ले रहे थे।

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