सिंगापुर में बोले PM मोदी-भविष्य असीम संभावनाओं का संसार, दोनों 'शेरों' को एक साथ रखना चाहिए कदम
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 1, 2018 08:20 AM2018-06-01T08:20:05+5:302018-06-01T08:20:05+5:30
उन्होंने यहां मरिना बे सैंड्स सम्मेलन केंद्र में एक कारोबारी एवं सामुदायिक कार्यक्रम में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'भारत और सिंगापुर के राजनीतिक संबंध सबसे नजदीकी और गर्मजोशी भरे रहे हैं। यहां कोई प्रतियोगिता या दावा नहीं है, कोई शक-सुबा नहीं है।'
सिंगापुर, 01 जून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और सिंगापुर के बीच नजदीकी और गर्मजोशी भरे रिश्तों की सराहना करते हुए कहा कि भविष्य असीम संभावनाओं का संसार है और दोनों शेरों (देशों) को इसमें एकसाथ कदम रखना चाहिए। पीएम मोदी तीन देशों की अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव में गुरुवार को यहां पहुंचे। दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध सबसे मजबूत संबंधों में से एक हैं और दोनों पक्ष मिलकर नये दौर की भागीदारी निर्मित कर रहे हैं।
उन्होंने यहां मरिना बे सैंड्स सम्मेलन केंद्र में एक कारोबारी एवं सामुदायिक कार्यक्रम में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'भारत और सिंगापुर के राजनीतिक संबंध सबसे नजदीकी और गर्मजोशी भरे रहे हैं। यहां कोई प्रतियोगिता या दावा नहीं है, कोई शक-सुबा नहीं है।'
पीएम मोदी ने गहरे रक्षा संबंधों का हवाला देते हुए कहा, 'यह साझे दृष्टिकोण की नैसर्गिक सहभागिता है। हमारे रक्षा संबंध दोनों पक्षों के लिए सबसे मजबूत संबंधों में से हैं। हमारी सशस्त्र सेना सिंगापुर की सेना का आदर एवं प्रशंसा करती है। भारत के सिंगापुर के साथ सबसे लंबे और सतत नौसैनिक अभ्यास होते रहे हैं।'
उन्होंने कहा कि दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नियम आधारित व्यवस्था , सभी देशों के लिए स्वायत्त समानता और वाणिज्य एवं संबंधों के लिए मुक्त एवं खुले रास्ते के मुद्दे पर एक सुर में बोलते हैं। यह भागीदारी भारत के वैश्विक संबंधों की अग्रिम कतार में है। सिंगापुर भारत के शीर्ष निवेशकों को निवेश रास्तों में से है। सिंगापुर पहला देश है जिसके साथ हमने विस्तृत आर्थिक तालमेल अनुबंध किया। ’’
उन्होंने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, टइस अद्भुत विरासत, साझे मूल्यों की ताकत और मानवीय संबंधों की नींव पर भारत और सिंगापुर मौजूदा दौर की सहभागिता निर्मित कर रहे हैं। यह एक ऐसा संबंध है जो सही मायने में रणनीतिक संबंधों की शर्तों पर खरा उतरता है।'
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत क्षेत्रीय विस्तृत आर्थिक भागीदारी को किसी प्रारंभिक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए सिंगापुर के साथ मिलकर काम करेगा। उन्होंने कहा कि भारत-सिंगापुर क्षेत्रीय विस्तृत आर्थिक अनुबंध की समीक्षा की जा रही है और दोनों पक्ष इसे आगे ले जाने के लिए साथ काम करेंगे।
उन्होंने कहा, 'जब भारत विश्व के लिए खुला और पूर्व की ओर देखा , सिंगापुर एक भागीदार और भारत एवं आसियान के बीच एक सेतु बन गया। भारत के संबंध क्षेत्र के साथ जैसे जैसे बढ़ते जाएंगे , सिंगापुर आसियान और विस्तृत पूर्व का द्वार बना रहेगा। आसियान का मौजूदा चेयरमैन होने के साथ सिंगापुर इस साल आसियान के साथ भारत के संबंधों को और आगे बढ़ाएगा।'
उन्होंने कहा कि भारत के विकास की प्राथमिकता के कई क्षेत्रों जैसे स्मार्ट शहर, शहरी समाधान, वित्तीय क्षेत्र, कौशल विकास, बंदरगाह, लॉजिस्टिक, विमानन और औद्योगिक पार्क आदि में सिंगापुर मुख्य भागीदार बना रहेगा। दोनों शेरों (भारत और सिंगापुर) को भविष्य में एक साथ कदम रखना चाहिए।
भारत की सफलता की कहानी पेश करते हुए मोदी ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अब स्थिर हो चुकी है और तेज गति से आर्थिक सुधार किये जा रहे हैं। भारत कारोबार सुगमता के मामले में 42 पायदान ऊपर आ चुका है और 1400 पुराने कानून खत्म किये जा चुके हैं।
(खबर इनपुट-भाषा)
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