COVID-19: कोरोना वायरस के इलाज में प्रायोगिक रूप से फेल हुई एंटी वायरल रेमेडिसविर, नई रिपोर्ट में दावा
By मनाली रस्तोगी | Published: April 24, 2020 01:42 PM2020-04-24T13:42:16+5:302020-04-24T13:42:16+5:30
कोरोना वायरस (Coronavirus) के रोकथाम के लिए एंटीवायरल दवा रेमेडिसविर (Remdesivir) से पूरे विश्व को कई उम्मीदें थीं, लेकिन प्रायोगिक रूप से इस्तेमाल में लाई गई रेमेडिसविर क्लिनिकल ट्रायल में फेल हो गई है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए प्रायोगिक रूप से इस्तेमाल में लाई गई एंटीवायरल दवा रेमेडिसविर (Remdesivir) क्लिनिकल ट्रायल में फेल हो गई है। गुरुवार (23 अप्रैल) को सामने आई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है।
इस रिपोर्ट ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वेबसाइट पर गलती से पब्लिश हुए ड्राफ्ट समरी को ध्यान में रखते हुए ये दावा किया है कि कोरोना वायरस के रोकथाम में रेमेडिसविर कारगर साबित नहीं हुई है।
मालूम हो, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की आधिकारिक वेबसाइट पर कुछ देर के लिए रेमेडिसविर से जुड़ी एक ड्राफ्ट समरी सामने आई थी, जिसका स्क्रीनशॉट 'फाइनेंशियल टाइम्स' और 'स्टैट' ने अपनी रिपोर्ट में लगाया है। हालांकि, रेमेडिसविर को तैयार करने वाली फार्मा कंपनी जीलीड साइंसेज इंक (Gilead Sciences Inc) का इस मामले में कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा डिलीट किए गए पोस्ट में जो नतीजे सामने आए हैं, वो गलत हैं और संगठन को डेटा से 'संभावित लाभ' भी हुआ है।
बता दें कि फाइनेंशियल टाइम्स और स्टैट ने विश्व स्वास्थ्य संगठन का जो स्क्रीनशॉट साझा किया है, उसमें ये दावा किया है कि चीन में हुए एक ट्रायल के दौरान तकरीबन 237 मरीज़ों को इसमें शामिल किया गया था। इसमें से जहां 158 को एंटीवायरल दवा रेमेडिसविर दी गई तो वहीं बचे हुए 79 को एक कंट्रोल ग्रुप में रखा गया। एक महीने के बाद रेमेडिसविर ले रहे 13.9 फीसदी मरीज़ों की मौत हो गई। हालांकि, इस बीच कंट्रोल रूम में रखे गए मरीज़ों में मौत का आंकड़ा 12.8 फीसदी रहा।
फाइनेंशियल टाइम्स और स्टैट द्वारा शेयर किए गए इसी स्क्रीनशॉट में ये दावा भी किया गया है कि नियंत्रण में रखे गए मरीजों के मुकाबले रेमेडिसविर से जुड़े मरीजों के क्लिनिकल इंप्रूवमेंट में समय के लिहाज से भी अंतर नहीं था। इसे सीधे तौर पर समझा जाए तो एक महीने में एंटीवायरल दवा वाले मरीजों (13.9 फीसदी) और कंट्रोल रूम में रहने वाले मरीजों के मृत्यु दर (12.8 फीसदी) भी करीब-करीब समान हैं।
हालांकि, जीलीड साइंसेज इंक के एक प्रवक्ता ने एएफपी को बताया, 'हमारा मानना है कि इस पोस्ट में अध्ययन के अनुचित लक्षण शामिल थे।' प्रवक्ता ने ये भी कहा कि इस लिहाज से सांख्यिकीय रूप से यह आंकड़ा खास जरुरी नहीं है। अपनी बात को जारी रखते हुए प्रवक्ता ने बताया कि इस प्रकार से अध्ययन के परिणाम अनिर्णायक हैं। मगर आंकड़ें ये कहते हैं कि इस एंटीवायरल दवा से कोरोना वायरस के शुरुआती मरीजों को फायदा होगा।