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वर्जिन गैलेक्टिक और ब्लू ओरिजिन: क्या ये अरबपतियों के लिये अंतरिक्ष की सैर से ज्यादा हो सकते हैं?

By भाषा | Updated: July 17, 2021 17:49 IST

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(इयान व्हिट्टाकर, नॉटिंघम ट्रेंट विश्वविद्यालय और गेरेथ डोरियन, बर्मिंघम विश्वविद्यालय)

नॉटिंघम/बर्मिंघम, 17 जुलाई (द कन्वर्सेशन) अरबपति उद्यमी रिचर्ड ब्रैनसन और उनकी टीम ने 12 जुलाई को वर्जिन गैलेक्टिक विमान पर यूनिटी 22 मिशन के तहत “अंतरिक्ष के छोर” तक सफलतापूर्वक उड़ान भरी।

इसे अंतरिक्ष पर्यटन की शुरुआत के तौर पर देखा और सराहा गया और यह एक और अरबपति कारोबारी जेफ बेजोस और उनकी कंपनी ब्लू ओरिजिन की प्रस्तावित 20 जुलाई की उड़ान से महज कुछ दिन पहले हुआ।

लेकिन क्या वर्जिन गैलेक्टिक उड़ान के 85 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाने को वास्तव में अंतरिक्ष माना जा सकता है? और ये कंपनियां आगे जाकर क्या हासिल करना चाहती हैं? अंतरिक्ष कहां से शुरू होता है इसकी परिभाषा बेहद व्यक्ति-निष्ठ है। धरती से 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित कारमन रेखा का निर्धारण 1957 में अंतरिक्ष की शुरुआत के तौर पर किया गया था। स्विस एयर स्पोर्ट्स फेडरेशन ने इस रेखा को यह स्वीकार करने के लिये मानक के तौर पर अपनाया कि कोई गतिविधि वैमानिक है या अंतरिक्षसंबंधी।

इसके विपरीत अमेरिकी वायुसेना और नासा ने अपनी सीमा 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर निर्धारित की, जहां सैन्यकर्मियों को “अंतरिक्षयात्री पंख” मिलते हैं।

इस ऊंचाई तक कई विशेषज्ञ विमान पहुंच चुके हैं जिनमें एक्स-15 और निजी क्षेत्र का वित्त पोषित ‘स्पेसशिपवन’ शामिल है, जो 112 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचा था जो वीएसएस के यूनिटी की मौजूदा उपलब्धि से कहीं ऊपर है। ब्लू ओरिजिन का लक्ष्य 106 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाने का है।

इस ऊंचाई से आपको धरती के शानदार नजारे देखने को मिलते हैं लेकिन यह ‘कक्षा’ (ऑर्बिट) नहीं है। इस ऊंचाई पर कक्षा में जाने के लिये आपको क्षैतिज दिशा में कम से कम 7.85किलोमीटर/प्रतिसेकंड (17500मील प्रतिघंटा) की रफ्तार से सफर करना होगा। यूनिटी सिर्फ सीधी ऊंचाई तक गया और उसके बाद नियंत्रित तरीके से वापस उतरा। यह अपेक्षाकृत आसान है, लेकिन इसे कक्षा में स्थापित करना ऊर्जा और अभियांत्रिकी दोनों के लिहाज से ज्यादा मुश्किल है।

अंतरिक्ष के छोर की परिभाषा मामूली नहीं है। अंतरिक्ष वह जगह नहीं है जहां आप भारहीनता महसूस करें क्योंकि कुछ समय के लिये आप इसे विशेष तौर पर तैयार किए गए ‘ड्रॉप चैंबर्स’ और परवलयिक उड़ानों के दौरान हासिल किया जा सकता है। चालक दल के शून्य गुरुत्वाकर्षण में होने से संबंधित वर्जिन गैलेक्टिक के ट्वीट के बावजूद गुरुत्वाकर्षण खिंचाव लगभग 9.5 वर्ग मीटर प्रति सेकंड था, जो सतह पर इसका लगभग 97 प्रतिशत होता। अनुभव की गई भारहीनता दरअसल विस्तारित तौर पर स्वतंत्र रूप से गिरावट के कारण थी।

भविष्य का दृष्टिकोण

अंतरिक्ष में पहले अरबपति ने कई अन्य को उत्साहित किया है, जिन्हें लगता है कि एक दिन वे भी 85 किलोमीटर की ऊंचाई से धरती को देख सकेंगे, अगर वे एक घंटे की इस उड़ान के लिये दो लाख 50 हजार डॉलर की रकम खर्च कर पाए तो।

हालांकि, सार्वजनिक राय एक जैसी नहीं है और कई लोगों ने रेखांकित किया कि इस रकम का इस्तेमाल धरती से गरीबी हटाने और मौजूदा महामारी से निपटने के लिये किया जा सकता था।

इसका एक पर्यावरणीय प्रभाव भी है। वर्जिन गैलेक्टिक के मुताबिक यूनिटी की एकल उड़ान से 1.2 टन कार्बन उत्सर्जन हुआ। विमानन के लिहाज से यह ज्यादा नहीं है लेकिन जब ऐसी उड़ानें नियमित तौर पर होंगी तो ज्यादा कार्बन उत्सर्जन भी होगा। दूसरी तरफ ब्लू ओरिजिन के इंजन तरल हाइड्रोजन से चलेंगे और ऐसे में उत्सर्जन न्यूनतम होगा।

वर्जिन गैलेक्टिक ने ब्लू ओरिजिन को भले ही पछाड़ दिया हो लेकिन निजी तौर पर अंतरिक्ष अन्वेषण में स्पेसएक्स इन दोनों से आगे है। वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए उड़ान और कहीं ज्यादा रोमांचक अंतरिक्ष पर्यटन पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जैसे कि चांद तक जाना और वहां से आना, जो निश्चित तौर पर अंतरिक्ष में जाने में शुमार होगा।

क्र्यू ड्रैगन 2 यान समेत स्पेसएक्स की सफलता दर का मतलब है कि उसकी ‘डीयरमून’ परियोजना के सफल होने की गुंजाइश अच्छी खासी है। हालांकि, इसमें समय लग सकता है। पहले अंतरिक्ष पर्यटन कदम के लिये एक नया रॉकेट विकसित करने की भी योजना है जिसे स्टारशिप के तौर पर जाना जाएगा।

इसबीच, वर्जिन गैलेक्टिक कॉनकॉर्ड के उत्तराधिकारी के तौर पर एक सुपरसोनिक यात्री परिवहन विमान विकसित करने की तैयारी कर रहा है, जो 19 यात्रियों को लेकर सात घंटे के अंदर लॉस एंजिलिस से सिडनी तक की उड़ान पूरी करने में सक्षम होगा। उसे नासा की तरफ से उड़ानों पर शोध के लिए एक छोटा अनुबंध भी मिला है।

ब्लू ओरिजिन ने भी नासा के साथ मिलकर भविष्य में मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानों के संचालन के लिये परिकल्पना व प्रौद्योगिकी सहायता को लेकर करार किया है।

हालांकि, असली रोमांच तब आएगा जब ये कंपनियां ‘कक्षा’ में पहुंचने में सक्षम होंगी, नई प्रौद्योगिकी के परीक्षण, वैज्ञानिक शोधों में महत्वपूर्ण रूप से सहायता करने और ज्यादा लोगों के लिये अपने दरवाजे खोलेंगी, जो “सुपर रिच” (अत्यधिक अमीर) नहीं हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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