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भारत और दक्षिण चीन सागर में चीन के खतरे के चलते अमेरिकी बलों को यूरोप से हटाया गया: माइक पोम्पिओ

By निखिल वर्मा | Updated: June 25, 2020 23:36 IST

कोरोना वायरस महामारी के बीच चीन लगातार दूसरे देशों की सीमाओं पर अतिक्रमण कर रहा है.

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ठळक मुद्देभारत और चीन के बीच लद्दाख में गलवान घाटी में खूनी हिंसक झड़प हुआ हैभारत के अलावा दक्षिण चीन सागर में भी चीन लगातार सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि भारत  और दक्षिण पूर्व एशिया में चीनी खतरे को देखते हुए अमेरिका यूरोप में अपनी सैन्य उपस्थिति को कम कर रहा है। ब्रसेल्स में आयोजित एक वर्जुअल वीडियो कांन्फ्रेंस में जब पोम्पिओ से पूछा गया कि यूएस यूरोप में अपनी सैन्य गतिविधियां क्यों कम रहा है, उसके जवाब में अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह कहा।

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अगर अमेरिकी सैनिक यूरोप में नहीं थे, तो यह इसलिए था क्योंकि उन्हें अन्य स्थानों का सामना करने के लिए ले जाया जा रहा था। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का भारत के अलावा अन्य देश जैसे वियतनाम. इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस और दक्षिण चीन सागर में तनाव चल रहा है। अमेरिकी सेना "हमारे समय की चुनौतियों" को पूरा करने के लिए "उचित रूप से तैनात" है।

पोम्पिओ ने उल्लेख किया कि ट्रम्प प्रशासन ने दो साल पहले अमेरिकी सेना की एक लंबी रणनीतिक समीक्षा की थी। अमेरिका ने अपने सामने आने वाले खतरों के बारे में एक मौलिक बात बताई थी कि कैसे उसे अपने संसाधनों को आवंटित करना चाहिए, जिसमें खुफिया और सैन्य और साइबर शामिल हैं।

इससे पहले, उन्होंने चीन पर अमेरिका-यूरोपीय वार्ता के गठन की घोषणा की ताकि अटलांटिक गठबंधन को "चीन द्वारा उत्पन्न खतरे की आम समझ" हो सके। पोम्पिओ ने कहा कि दोनों पक्षों को चीन की कार्रवाई पर "एक सामूहिक डेटा सेट" की आवश्यकता है ताकि दोनों एक साथ कार्रवाई कर सकें।

चीन की धमकी के बारे में बताते हुए उन्होंने भारत के साथ खूनी टकराव और बीजिंग की दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों का हवाला दिया। यह पूछे जाने पर कि क्या हुआवेई चीनी "निगरानी राज्य" का हिस्सा था, पोम्पिओ ने कहा कि चीनी सुरक्षा बल के जवानों ने कंपनी मुख्यालय के शीर्ष तल पर काम किया। चीन के कानून हुवावेई को पर्सनल डेटा देने की इजाजत देते हैं। उन्होंने  कहा कि और सबूत और अधिक हैं लेकिन वह सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं।

एक दिन पहले पोम्पिओ  ने कहा था कि फ्रांस की ऑरेंज, भारत की जियो और ऑस्ट्रेलिया की टेल्सट्रा ‘साफ-सुथरी’ कंपनियां हैं। इन्होंने चीन की कंपनियों के साथ कारोबार करने से इनकार किया है। पोम्पिओ ने दावा किया कि चीन की प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी हुवावेई के दुनिया की दूरसंचार कंपनियों के साथ करार धीरे-धीरे कम हो रहे हैं।

पोम्पियो ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, ‘दुनिया की प्रमुख दूरसंचार कंपनियां मसलन स्पेन की टेलीफोनिका के अलावा ऑरेंज, ओ2, जियो, बेल कनाडा, टेलस और रॉजर्स तथा कई और अब साफ-सुथरी हो रही हैं। ये कंपनियां चीन की कम्युनिस्ट संरचना से अपने संपर्क तोड़ रही हैं।’ 

टॅग्स :अमेरिकाचीनइंडिया
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