कोरोना महामारी और पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद के चलते चीन दुनिया भर के देशों के निशाने पर है। दक्षिण चीन सागर (साउथ चाइना सी) में चीन के आक्रामक तेवरों का जवाब देने के लिए अमेरिका ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर को तैनात किया है। अमेरिकी नौसेना ने 2014 के बाद पहली बार दक्षिण चीन सागर में दो बड़े एयरक्राफ्ट भेजे हैं। चीन का भारत के अलावा वियतनाम, जापान जैसे पड़ोसी देशों से सीमा विवाद चल रहा है। इस बीच ने दक्षिण चीन सागर में विवादित जल क्षेत्र में चीन का सैन्य अभ्यास जारी है। चीन जिस पारासेल आइलैंड के पास ये सैन्य अभ्यास कर रहा है, वियतनाम उस पर दावा करता रहा है।
अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर यूएएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन के दक्षिण चीन सागर में तैनाती पर चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने यूएस को भी 'धमकी' दी थी। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीन की सेना की किलर मिसाइलें डोंगफेंग-21 और डोंगफेंग-25 अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर को तबाह कर सकती हैं। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में तैनात अमेरिका के विमानवाहक पोत चीनी सेना की जद में हैं। चीनी सेना इन्हें बर्बाद कर सकती है।
चीन की इस 'धमकी' पर यूएस नेवी ने चटकारे लिए हैं। अमेरिकन नेवी ने जवाब दिया, 'और फिर भी वे (यूएस नेवी के जहाज) वही हैं। एयरक्राफ्ट कैरियर्स, दक्षिणी चीन सागर के अंतरराष्ट्रीय सीमा में घूम रहे हैं। यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन हमारे विवेक से भयभीत नहीं हैं।'
चीन से जंग का खतरा, हजारों सैनिक भेज रहे अमेरिका और ब्रिटेन
भारत समेत एशिया में पड़ोसी देशों के साथ चीन की बढ़ती दादागिरी को देखते हुए अमेरिका ने ड्रैगन से मुकाबले के लिए कमर कस ली है। अमेरिका अपने हजारों सैनिकों को जापान से लेकर ऑस्ट्रेलिया से तक पूरे एशिया में तैनात करने जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इंडो-पैसफिक इलाके में शीत युद्ध के बाद यह सबसे महत्वपूर्ण भूराजनैतिक चुनौती है। इस तैनाती के बाद अमेरिकी सेना अपने वैश्विक दबदबे को फिर से कायम करेगी।
उधर, ब्रिटेन भी अपने हजारों कमांडो स्वेज नहर के पास तैनात कर रहा है। अमेरिका जर्मनी में तैनात अपने हजारों सैनिकों को एशिया में तैनात करने जा रहा है। ये सैनिक अमेरिका के गुआम, हवाई, अलास्का, जापान और ऑस्ट्रेलिया स्थिति सैन्य अड्डों पर तैनात किए जाएंगे।