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यूएनएड्स के प्रमुख ने कोविड-19 के प्रभावों, और आवश्यक कदमों पर प्रकाश डाला

By भाषा | Updated: September 30, 2021 16:20 IST

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(इमरान वालोदिया, फैकल्टी ऑफ कॉमर्स के डीन, और सदर्न सेंटर फॉर इनईक्वलिटी स्टडीज, यूनिवसिर्टीज के प्रमुख)

जोहानिसबर्ग, 30 सितंबर (कन्वरसेशन) कोविड-19 महामारी ने वैश्विक असमानताओं को गहरा कर दिया है। विश्व के गरीबों ने राष्ट्रीय लॉकडाउन का असर झेला है और उन्हें उबरने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा तथा गरीब देश टीकों के व्यापक रूप से असमान वितरण के चलते समग्र टीकाकरण अभियान शुरू करने में विफल रहे हैं। कोविड-19 की इस चरम स्थिति की वजह से गरीबों को प्रभावित करने वाली बीमारियों के खिलाफ मिली प्रगति भी पटरी से उतर गई है। इमरान वालोदिया ने विनी ब्यानिमा कार्यकारी निदेशक, यूएनएड्स से चर्चा की।

इमरान वालोदिया: कोविड-19 का एचआईवी के खिलाफ लड़ाई पर उन देशों में क्या प्रभाव पड़ा है, विशेष रूप से कम आय वाले देशों में, जो बीमारी का सर्वाधिक बोझ उठा रहे हैं और जिनकी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली काफी कमजोर हैं?

विनी ब्यानिमा: सबसे पहले, हमें एड्स की प्रतिक्रिया की सफलताओं को पहचानना चाहिए। हमने वह हासिल कर लिया है जिसके बारे में कई बार कहा गया था कि यह असंभव है। एचआईवी के साथ जी रहे 3.800 करोड़ लोगों में से 2.75 करोड़ जीवन रक्षक एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी का उपयोग कर रहे हैं। हमने नए एचआईवी संक्रमण की दर में आधे से अधिक की कमी लाने में सफलता अर्जित की है और 1.660 करोड़ मौतों को टाला है।

लेकिन हम स्पष्ट करते हैं: बिना किसी उपचार और बिना किसी टीके के महामारी से लड़ना कठिन है

लाखों लोग अभी तक एड्स से मर रहे हैं एवं पिछले साल 15 लाख और लोग संक्रमित हुए थे। एड्स एक संकट बना हुआ है तथा कोविड-19 इस स्थिति को और बदतर बना रहा है।

कोविड-19 से पहले भी, हम वैश्विक एड्स लक्ष्यों को पूरा करने के लक्ष्य से दूर थे तथा कोविड-19 महामारी ने हमें और भी पीछे धकेल दिया है। कोविड-19 संबंधित प्रतिबंधों ने हाशिए पर रह रहे वंचित समुदायों सहित सर्वाधिक संवेदनशील लोगों को नुकसान पहुंचाया है तथा एचआईवी सेवाओं तक पहुंच बाधित कर दी है।

कोविड-19 की चपेट में आने के बाद से एड्स, टीबी और मलेरिया से लड़ने संबंधी ग्लोबल फंड का अनुमान है कि मां से बच्चे में प्रसार रोके जाने संबंधी सेवाएं प्राप्त करने वाली माताओं की संख्या में 4.5 प्रतिशत की गिरावट आई है, एचआईवी रोकथाम कार्यक्रमों तक पहुंच रखने वाले लोगों की संख्या में 11प्रतिशत की गिरावट आई है, एचआईवी परीक्षण में 22 प्रतिशत की गिरावट आई है और एचआईवी को रोकने के लिए किए जाने वाले पुरुषों के खतने में 27 प्रतिशत की गिरावट आई है।

अफ्रीका में बहुत उच्च प्रसार स्थिति के बीच, यह अनुमान लगाया गया है कि कोविड-19 के प्रभाव पांच वर्षों में एचआईवी से होने वाली मौतों में 10 प्रतिशत की वृद्धि कर सकते हैं।

अभूतपूर्व वैश्विक व्यवधानों के बीच, हमें फिर से उभरने की क्षमता रखने वाली वैश्विक एड्स महामारी को रोकने और एड्स को समाप्त करने की दिशा में अपनी प्रगति को दुरुस्त करने के लिए तत्काल कार्य करना चाहिए। एचआईवी पर कार्य को पूरी तरह से पटरी पर लाने के लिए हमें कोविड-19 संबंधी कार्य के शीर्ष पर पहुंचना होगा।

इमरान वालोदिया: एचआईवी की तरह कोविड-19 ने समाज में असमानताओं को गहरा किया है और लंबे समय से मौजूद लैंगिक आय अंतर की खाई को चौड़ा करते हुए महिलाओं को असमान रूप से प्रभावित किया है। हम इस लैंगिक आर्थिक और असमानता संबंधी महामारी का समाधान निकालने की शुरुआत कैसे करें?

विनी ब्यानिमा: कोविड-19 और एचआईवी दोनों से ही असमानताएं बढ़ रही हैं: जिन महिलाओं के अधिकारों का सम्मान नहीं किया जाता है; ऐसी महिलाएं जिनके पास आर्थिक सुरक्षा या सबसे बुनियादी स्वास्थ्य या शिक्षा सेवाओं तक पहुंच नहीं है। ये वे लोग हैं जो असमानता पर हमारी निष्क्रियता की सबसे बड़ी कीमत चुकाते हैं। वे असुरक्षा में, गरीबी, बीमारी और अक्सर मृत्यु के रूप में कीमत चुकाते हैं।

हाल में एचआईवी से ग्रस्त होने वालों में प्रत्येक छह अफ्रीकी किशोरों में से पांच लड़कियां रही हैं। अनुसंधान से पता चलता है कि माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद किसी लड़की के लिए एचआईवी संक्रमित होने का जोखिम आधे तक कम हो जाता है, और यह इससे भी अधिक हो सकता है, अगर यह अधिकारों और सेवाओं के पैकेज से पूर्ण हो। फिर भी जब देश मौजूदा वित्तीय चुनौतियों से जूझ रहे हैं, शिक्षा और बालिका सशक्तीकरण के मुद्दे उन क्षेत्रों में से हैं जो सबसे बड़ी बजट कटौती का सामना कर रहे हैं।

महिलाओं के प्रकाश में न आने वाले अवैतनिक श्रम के मामले में देखभाल के बोझ को दूर करना सरकारों की भी जिम्मेदारी है। महिलाओं को विरासत में मिले भेदभाव का मुकाबला करने के लिए सकारात्मक कार्रवाई आवश्यक है।

धन के सकल असंतुलन को दूर करने के लिए आर्थिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है। लेकिन असमानता के युग को समाप्त करने के लिए मुक्तिदायक सामाजिक और सांस्कृतिक शक्तियों को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि सत्ता के घोर असंतुलन, उसके सभी परस्पर स्वरूपों को दूर किया जा सके।

इमरान वालोदिया: आप कहते हैं कि अत्यधिक असमानता अपरिहार्य नहीं है - यह एक नीति विकल्प है - बताइए कि इससे आपका क्या मतलब है? इसे समाप्त करने के लिए व्यक्ति, समुदाय और राष्ट्र क्या भूमिका निभा सकते हैं?

विनी ब्यानिमा: असमानता एक महामारी है - पुरुषों और महिलाओं के बीच, गरीब और अमीर के बीच; प्रभुत्वशाली और वंचित समुदायों के बीच, कुलीन और आमजन के बीच - जो हमारी विशाल क्षमता को बाधित करती है।

असमानताएं कानूनों द्वारा, अनौपचारिक नियमों (सामाजिक मानदंडों), राष्ट्रीय सामाजिक और आर्थिक नीतियों और संसाधन आवंटन, और वैश्विक नीतियों तथा वित्त नियमों द्वारा स्थापित हैं। और उन सभी परिणामों को निर्धारित करने की कुंजी आवाज उठाने एवं शक्ति की असमानताओं से जुड़ी है।

आसन्न संकटों के मद्देनजर, यह स्पष्ट हो गया है कि हमें जीवित रहने और फलने-फूलने के लिए नए साहसिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सभी स्तरों पर कार्रवाई की आवश्यकता है - एक आदर्श दुनिया बनाने के लिए नहीं, बल्कि एक सुगम विश्व बनाने के लिए।

जवाब कार्यकर्ताओं और आयोजकों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं, विशेष रूप से सर्वाधिक वंचित समुदायों के युवाओं द्वारा। वे दिखा रहे हैं कि किसी भी संकट को दूर करने और सभी की क्षमता को उजागर करने में सक्षम समाजों का निर्माण कैसे किया जाए। उन्होंने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि सबसे ज्यादा प्रभावित लोग वे हैं जो इसे सबसे अच्छी तरह समझते हैं।

संयुक्त राष्ट्र के एक नेता के रूप में, मैंने समुदायों, महिला समूहों और जमीनी आंदोलनों के दबाव की शक्ति का अनुभव किया है, जो हमें झकझोर रहा है; कभी-कभी झकझोर देना हमारे लिए असुविधाजनक होता है; लेकिन मेरा आपको संदेश है: झकझोरते रहो!

इमरान वालोदिया: एचआईवी से निपटने के लिए मौजूद विज्ञान, सरकार और समुदायों के त्रिकोण से हम भविष्य की महामारियों के प्रबंधन के लिए क्या सबक सीख सकते हैं?

विनी ब्यानिमा: हमने महामारी से लड़ने के तरीके के बारे में बहुत कुछ सीखा है। यह 40 वां साल है जब हम एड्स से लड़ रहे हैं और हमारी सफलताओं तथा असफलताओं ने हमें सिखाया है कि हम असमानताओं को समाप्त करने, जन-केंद्रित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने, समुदायों को जोड़ने और मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए मिलकर काम किए बिना महामारी पर सफलतापूर्वक विजय प्राप्त नहीं कर सकते।

यह एचआईवी और वैश्विक स्वास्थ्य के इतिहास में सबसे चुनौतीपूर्ण क्षणों में से एक है। हमें महामारी के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में अधिक तत्परता, एड्स को समाप्त करने और कोविड-19 को समाप्त करने के लिए डेटा-संचालित वैश्विक योजनाओं के पीछे वैश्विक एकजुटता और अगले खतरे का जवाब देने के लिए तैयार करने के लिए साझेदारी की आवश्यकता है।

हमें सामूहिक अनुभव, प्रतिभा और एड्स प्रतिक्रिया की मूल्यांकन स्थिति से सजग होने की जरूरत है। यदि हम कठिन परिश्रम से अर्जित एड्स के पाठों को सामने रखते हैं, तो हमारे जीतने की संभावना बढ़ जाएगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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