नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के भड़का चीन,रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी, ताइवान और यूक्रेन में क्या है कनेक्शन, जानिए

By मेघना सचदेवा | Published: August 4, 2022 04:41 PM2022-08-04T16:41:17+5:302022-08-04T16:41:17+5:30

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी बुधवार को यूक्रेन और रूस को एक बयान के जरिए जोड़ा। उन्होंने कहा कि ये बिल्कुल वैसा ही है जैसा की यूएस ने यूक्रेन में किया था। गौरतलब है कि यूक्रेन को तबाह और उसपर कब्जा करने वाला देश भले ही रूस है पर यहां सर्गेई लावरोव ने इस सब के लिए एक तरह से पश्चिमी देशों को ही जिम्मेदार बताया है।

Ukraine and Taiwan crises same in many ways ? Know how | नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के भड़का चीन,रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी, ताइवान और यूक्रेन में क्या है कनेक्शन, जानिए

नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के भड़का चीन,रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी, ताइवान और यूक्रेन में क्या है कनेक्शन, जानिए

Highlightsअमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद अब चीन का गुस्सा भड़क गया है।चीन और ताइवान का विवाद 73 साल पुराना है।रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी बुधवार को यूक्रेन और रूस को एक बयान के जरीए जोड़ा।

यूक्रेन और ताइवान हजारों मील दूर दो अलग अलग देश हैं। यूक्रेन में रूस की आर्मी के घुसने के बाद से दोनों की देशों की जंग को महीनों बीत गए हैं पर कोई हल नहीं निकला। अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद ताइवान में भी टेंशन बढ़ गई है। यहां तक ये भी कहा जा रहा है कि यूक्रेन जैसे हालात ताइवान में भी बन सकते हैं। ये कहने के पीछे क्या कारण है और आखिरकार ताइवान में टेंशन क्यां बढ़ी है, अमेरिका का यूक्रेन और रूस की जंग से क्या लेना देना है आईए जानते हैं। 

ताइवान की तुलना यूक्रेन से क्यों ?

कई महीनों पहले जब रूसी आर्मी ने यूक्रेन पर कब्जा करने के लिए वहां एंट्री शुरू की थी उससे कुछ ही घंटो पहले चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया था। ये बयान न तो रूस को लेकर था और न ही यूक्रेन के बारे में। उसमें कड़े लहजे में कहा गया था कि 'ताइवान यूक्रेन नहीं है'। ताइवान चीन का अविच्छेद्य हिस्सा है। ये एक ऐतिहासिक तथ्य है जिसपर कोई विवाद नहीं है।

हालांकि अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद अब चीन का गुस्सा भड़क गया है। जिससे ताइवान और चीन को लेकर विश्व भर में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या जैसे रूस ने यूक्रेन को तबाह कर दिया वैसे ही ताइवान का हाल भी होगा?

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी बुधवार को यूक्रेन और रूस को एक बयान के जरिए जोड़ा। उन्होंने कहा कि ये बिल्कुल वैसा ही है जैसा की यूएस ने यूक्रेन में किया था। गौरतलब है कि यूक्रेन को तबाह और उसपर कब्जा करने वाला देश भले ही रूस है पर यहां सर्गेई लावरोव ने इस सब के लिए एक तरह से पश्चिमी देशों को ही जिम्मेदार बताया है। जबसे यूक्रेन में जंग का आगाज हुआ है जब से ही ये चिंता का सबब बना हुआ है कि मास्को और बीजिंग यानी रूस और चीन दोनों एक दूसरे के और करीब आ जाऐंगे। यूएस को लगातार सत्तावाद और लोकतंत्र की लड़ाई में इन दोनों देशों का सत्तावाद को प्राथमिकता देना खलता रहा है। जैसे नैंसी पेलोसी ताइवान की राजधानी ताइपे पंहुची थी वैसे ही वो कुछ महीनों पहले यूक्रेन भी गई थी। 

शत्रुओं से घिरें हैं दोनों देश 

यूक्रेन और ताइवान में बहुत सारे अंतर हैं। दोनों देशों की अलग भाषा है अलग भौगोलिक परिस्थितियां हैं। लेकिन उसके बाद भी दोनों को जोड़ के देखा जा रहा है। दोनों ही देश  शत्रुओं से घिरें  हुए हैं। लोकतंत्र को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि दोनों ही देशों को सत्तावाद देशों से लड़ना पड़ रहा है। ये सत्तावाद देश यूक्रेन और ताइवान से कई बड़े और ताकतवर है और वो अपने आस पास के देशों को आजाद नहीं मानते। जैसे की रूस ने यूक्रेन पर कब्जा करने के लिए जंग छेड़ दी जबकि ताइवान को चीन की धमकियां वक्त वक्त पर मिलती रही हैं। 

यूएस का यूक्रेन और ताइवान में क्या है रोल ?

यूएस को लेकर गौर करने वाली बात है कि वो यूक्रेन की आजादी को तो सपोर्ट करता है लेकिन अमेरिका की वन चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान की आजादी को सपोर्ट नहीं कर सकता। अब ऐसे में यूक्रेन में भले ही जंग के बाद यूएस ने बढ़ चढ़कर मदद की लेकिन क्या ताइवान में बढ़ रही टेंशन पर यूएस चीन के खिलाफ जाकर ताइवान का साथ देगा। 

जहां अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा ने पहले व्हाइट हाउस की तरफ से उन्हें जाने के लिए मना किया गया। वहीं उसके बाद भी पूरी सिक्योरिटी के साथ वो ताइवान पहुंची।

यूक्रेन की बात कर ली जाए तो जंग के बाद से उसके हालात सुधारने के लिए यूएस की तरफ से करोड़ो की मदद की गई और अब भी की जा रहा है। हालांकि यूएस ये भी साफ किया था कि वो किसी भी हालात में रूस से सामना नहीं चाहता। 

अब तक यूएस ने पड़ोसी देशो से तालमेल भी बैठाया हुआ था लेकिन ताइवान के मामले पर यूएस को कई देशों से अलग थलग होना पड़ सकता है। चीन ने भी रूस को यूक्रेन से जंग में सपोर्ट किया लेकिन कोई मिलिटरी सपोर्ट देने के चीन गुरेज ही करता नजर आया। अब दोनों ही देश यूएस के खिलाफ एकजुट नजर आ रहे हैं।  चीन ने हमेशा कोशिश की है वो यूएस के साथ ऐसे किसी विवाद में न पड़े। हालांकि अब नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा दोनों देशों की बीच चिंता की वजह बन गई है। 

73 साल पुराना है चीन और ताइवान का विवाद 

बता दें कि चीन और ताइवान का विवाद 73 साल पुराना है। चीन में साम्यवादी शासन व्यवस्था है लेकिन 73 साल पहले चीन के लोकतंत्र समर्थक नेताओं का दमन किया जाने लगा था और उन्हें चीन के पूर्वी हिस्से में ताइवान को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में स्थापित किया। है। चीन में एक मात्र दल कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है। जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है जिसका अपना संविधान है। इस बात को चीन अब भी नकारता है और वो अपने और ताइवान के बीच किसी को न आने की चेतावनी देता है।  

Web Title: Ukraine and Taiwan crises same in many ways ? Know how

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