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पाकिस्तानी ने काली सूची में डाले जाने से बचने के संसद के संयुक्त सत्र में पारित किए FATF संबंधी तीन विधेयक

By भाषा | Updated: September 17, 2020 07:10 IST

देश के प्रधानमंत्री इमरान खान संयुक्त सत्र में शामिल हुए, जिसकी अध्यक्षता नेशनल असेम्बली के अध्यक्ष असद कैसर ने की। विधेयकों में विपक्ष के अधिकतर प्रस्तावित संशोधन खारिज किए जाने और बोलने की अनुमति नहीं दिए जाने के बाद उसने बर्हिगमन कर दिया।

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ठळक मुद्देपाकिस्तान की संसद के दोनों सदनों के एक संयुक्त सत्र में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) संबंधी तीन अहम विधेयक बुधवार को पारित कर दिए गए। पाकिस्तान सरकार ने एफएटीएफ द्वारा काली सूची में डाले जाने से बचने के प्रयासों के तहत ये विधेयक पेश किए थे।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की संसद के दोनों सदनों के एक संयुक्त सत्र में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) संबंधी तीन अहम विधेयक बुधवार को पारित कर दिए गए। पाकिस्तान सरकार ने एफएटीएफ द्वारा काली सूची में डाले जाने से बचने के प्रयासों के तहत ये विधेयक पेश किए थे।

इससे पहले, पाकिस्तानी सीनेट ने निचले सदन से पारित आतंकवाद-रोधी (संशोधन) अधिनियम विधेयक, 2020 को खारिज कर दिया था। यह एफएटीएफ संबंधी तीसरा विधेयक है, जिसे विपक्ष के बहुमत वाले उच्च सदन में रोका गया था। पाकिस्तानी सीनेट ने पिछले महीने धनशोधन रोधी (दूसरा संशोधन) विधेयक और इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र (आईसीटी) वक्फ संपत्ति विधेयक को भी खारिज कर दिया था।

ये विधेयक एफएटीएफ की 'ग्रे' सूची से बाहर आकर 'व्हाइट' सूची में जाने की पाकिस्तान की कवायद का हिस्सा थे। 18वें संशोधन के तहत, अगर एक सदन से पारित विधेयक दूसरे सदन में खारिज कर दिया जाता है और अगर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में उसे मंजूरी मिल जाती है, तो वह कानून बन जाता है।

देश के प्रधानमंत्री इमरान खान संयुक्त सत्र में शामिल हुए, जिसकी अध्यक्षता नेशनल असेम्बली के अध्यक्ष असद कैसर ने की। विधेयकों में विपक्ष के अधिकतर प्रस्तावित संशोधन खारिज किए जाने और बोलने की अनुमति नहीं दिए जाने के बाद उसने बर्हिगमन कर दिया। खान ने विधेयकों के समर्थन में मतदान करने के लिए सांसदों का धन्यवाद किया।

प्रधानमंत्री ने संसद में कहा कि विधेयकों के प्रति विपक्ष के रवैये ने दिखाया कि ‘‘ (विपक्षी दलों) और उनके नेताओं के हित पाकिस्तान के हितों के विपरीत हैं’’। उन्होंने कहा, ‘‘काली सूची में जाने का मतलब प्रतिबंध लागू होना होगा, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था ढह जाएगी। हमें उम्मीद थी कि विपक्ष एफएटीएफ संबंधी विधेयक संयुक्त रूप से पारित करेगा, क्योंकि यह हमारे निजी हित नहीं, बल्कि पाकिस्तान के हित में होगा।’’

अगर पाकिस्तान को ग्रे सूची में ही रखा जाता है, तो उसके लिये आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक , एडीबी और यूरोपीय यूनियन से वित्तीय मदद हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। पाकिस्तान ने ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए पिछले महीने 88 प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों और उनके नेताओं के वित्तीय लेन-देन पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिनमें 26/11 मुंबई हमलों का सरगना एवं जमात-उद-दावा का प्रमुख हाफिज सईद, जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम शामिल है। 

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