लाइव न्यूज़ :

आधुनिक भारत की गाथा कई मायनों में सफल मानी जाती है : बराक ओबामा

By भाषा | Updated: November 17, 2020 16:24 IST

Open in App

(ललित के. झा)

(दूसरे पैरा में सुधार के साथ)

वाशिंगटन, 17 नवंबर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि राजनीतिक दलों के बीच कटु विवादों, विभिन्न सशस्त्र अलगाववादी आंदोलनों और भ्रष्टाचार घोटालों के बावजूद आधुनिक भारत की कहानी को कई मायनों में सफल कहा जा सकता है।

अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति रहे ओबामा ने अपनी नवीनतम किताब में कहा है कि 1990 के दशक में भारत की अर्थव्यवस्था और अधिक बाजार आधारित हुई, जिससे भारतीयों का असाधारण उद्यमिता कौशल सामने आया और इससे विकास दर बढ़ी, तकनीकी क्षेत्र फला-फूला और मध्यमवर्ग का तेजी से विस्तार हुआ।

साथ ही उन्होंने किताब में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ अपनी मुलाकात और अनौपचारिक बातचीत का भी उल्लेख किया है।

किताब ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ में ओबामा ने 2008 के चुनाव प्रचार अभियान से लेकर राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के अंत में एबटाबाद (पाकिस्तान) में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मारने के अभियान तक की अपनी यात्रा का विवरण दिया है।

इस किताब के दो भाग हैं, जिनमें से पहला मंगलवार को दुनियाभर में जारी हुआ।

इसमें ओबामा ने लिखा है, ‘‘कई मायनों में आधुनिक भारत को एक सफल गाथा माना जा सकता है जिसने बार-बार बदलती सरकारों के झटकों को झेला, राजनीतिक दलों के बीच कटु मतभेदों, विभिन्न सशस्त्र अलगाववादी आंदोलनों और भ्रष्टाचार के घोटालों का सामना किया।’’

ओबामा ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के मुख्य शिल्पकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे और वह इस प्रगति गाथा के सही प्रतीक हैं: वह एक छोटे से, अक्सर सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यक सिख समुदाय के सदस्य हैं जो देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे। एक विनम्र ‘टेक्नोक्रेट’ जिन्होंने जीवन जीने के उच्च मानकों को पेश किया और भ्रष्टाचार मुक्त छवि से प्रतिष्ठा अर्जित करते हुए जनता का भरोसा जीता।

राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान ओबामा 2010 और 2015 में दो बार भारत आए थे।

नवंबर 2010 के अपने भारत दौरे को याद करते हुए ओबामा ने कहा कि उनके और मनमोहन सिंह के बीच एक गर्मजोशी भरा सकारात्मक रिश्ता बना था।

ओबामा लिखते हैं, ‘‘वह विदेश नीति को लेकर सावधानी से आगे बढ़ रहे थे, भारतीय नौकरशाही को अनदेखा कर वह इस मामले में बहुत अधिक आगे बढ़ने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि भारतीय नौकरशाही ऐतिहासिक रूप से अमेरिकी मंशा को लेकर सशंकित रही थी। हमने जितना समय साथ बिताया, उससे उनके बारे में मेरे शुरूआती विचारों की ही पुष्टि हुई कि वह एक असाधारण बुद्धिमत्ता वाले एवं गरिमापूर्ण व्यक्ति हैं ; और नई दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान हमने आतंकवाद से मुकाबले, वैश्विक स्वास्थ्य, परमाणु सुरक्षा और कारोबार के क्षेत्रों में अमेरिकी सहयोग को मजबूत करने संबंधी समझौते किए ।’’

उन्होंने लिखा है,‘‘ मैं यह नहीं बता सकता कि सत्ता के शिखर तक सिंह का पहुंचना भारतीय लोकतंत्र के भविष्य का प्रतीक है या ये केवल संयोग मात्र है।’’

ओबामा ने लिखा कि सिंह उस समय भारत की अर्थव्यवस्था, सीमापार आतंकवाद तथा मुस्लिम विरोधी भावनाओं को लेकर चिंतित थे।

सहयोगियों के बिना हुई बातचीत के दौरान सिंह ने उनसे कहा, ‘‘ राष्ट्रपति महोदय, अनिश्चित समय में, धार्मिक और जातीय एकजुटता का आह्वान बहकाने वाला हो सकता है और भारत में या कहीं भी राजनेताओं द्वारा इसका इस्तेमाल करना इतना कठिन काम नहीं है।’’

ओबामा लिखते हैं कि प्रधानमंत्री पद पर मनमोहन सिंह के पहुंचने को कई बार जातीय विभाजन पर भारत की जीत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है लेकिन कहीं न कहीं यह धोखा देने वाली बात है।

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के पीछे भी एक अनोखी कहानी है और सभी को पता है कि वह पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं थे।

ओबामा ने कहा, ‘‘ बल्कि यह पद उन्हें सोनिया गंधी (जिनका जन्म इटली में हुआ था और जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की विधवा एवं कांग्रेस पार्टी की प्रमुख हैं) ने दिया था.... कई राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि उन्होंने बुजुर्ग सिख सज्जन को इसलिए चुना क्योंकि उनका कोई राष्ट्रीय राजनीतिक आधार नहीं था और वह उनके 47 वर्षीय बेटे राहुल के लिए कोई खतरा नहीं थे, जिन्हें वह पार्टी की बागडोर देने के लिए तैयार कर रही थीं।’’

रात्रिभोज के समय सोनिया और राहुल गांधी से हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए ओबामा लिखते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष बोलने से अधिक सुन रहीं थीं और जहां नीतिगत मामलों की बात आती तो सावधानी से बातचीत का रूख सिंह की ओर मोड़ देतीं , और कई बार बातचीत को अपने बेटे की ओर भी मोड़ा।

उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि, मुझे यह स्पष्ट हो गया कि सोनिया इसलिए इतनी ताकतवर हैं क्योंकि वह चतुर और कुशाग्र बुद्धि की हैं। जहां तक राहुल की बात है वह स्मार्ट और ईमानदार दिखे, सुंदर नैन नक्श के मामले में वह अपनी मां पर गए हैं । उन्होंने प्रगतिवादी राजनीति पर अपने विचार साझा किए, बीच बीच में उन्होंने मेरे 2008 के अभियान के बारे में बातचीत की ।’’

ओबामा ने कहा, ‘‘ लेकिन उनमें एक घबराहट और अनगढ़ता थी .... जैसे कि वह कोई ऐसे छात्र हैं जिसने अपने कोर्स का काम पूरा कर लिया है और शिक्षक को प्रभावित करने को उत्सुक है लेकिन भीतर में कहीं उसमें विषय में महारत हासिल करने की या तो योग्यता या फिर जुनून की कमी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतक्या अधिकारी उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ को प्राथमिकी में नामजद न करके बचाने की कोशिश कर रहे हैं?, मुंबई उच्च न्यायालय ने पुणे विवादास्पद भूमि सौदे पर पूछे सवाल?

भारतVIDEO: संसद में अमित शाह और राहुल गांधी की भिड़ंत, देखें वीडियो

कारोबारIndiGo Cancellation Chaos: 10 दिन में इंडिगो की 4,000 से ज़्यादा उड़ानें रद्द, 1000 करोड़ रुपये का नुकसान?, दिल्ली बाजार संगठनों का दावा-25 प्रतिशत की गिरावट?

भारतVIDEO: लोकसभा में अमित शाह का तीखा वार! बोले– "दो बड़े बोलें तो बीच में मत बोलो...", विपक्ष रह गया सन्न!

भारतFIH Men's Junior World Cup: आखिरी 11 मिनट में 4 गोल और 2016 के बाद पदक?, जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप में कांस्य

विश्व अधिक खबरें

विश्वसोशल मीडिया बैन, 16 साल से बच्चों पर लागू, फेसबुक, इंस्टाग्राम, किक, रेडिट, स्नैपचैट, थ्रेड्स, टिकटॉक, एक्स, यूट्यूब और ट्विच जल्दी हटाएं नहीं तो 3.29 करोड़ अमेरिकी डॉलर जुर्माना

विश्वInternational Human Rights Day 2025: 10 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है मानवाधिकार दिवस? जानें क्या है महत्व

विश्वट्रम्प की इससे ज्यादा बेइज्जती और क्या हो सकती है ? 

विश्वपाकिस्तान टूटने की कगार पर, 'सिंधुदेश' की मांग को लेकर कराची में भड़की हिंसा

विश्वसिंध प्रांतः हिंदू महिला और नाबालिग बेटी का अपहरण, 3 हथियारबंद शख्स ने घर से बाहर निकलते ही जबरन सफेद कार में बैठाया और...