श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना को दिया बड़ा झटका, संसद भंग करने के विवाादित फैसले को पलटा
By भाषा | Published: November 13, 2018 07:34 PM2018-11-13T19:34:54+5:302018-11-13T19:34:54+5:30
कड़ी सुरक्षा के बीच सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में उपस्थित विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने बताया कि शीर्ष अदालत ने व्यवस्था दी है कि सिरीसेना के फैसले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर अब चार, पांच और छह दिसंबर को सुनवाई होगी।
श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना को एक बड़ा झटका देते हुए संसद भंग करने के उनके विवादित फैसले को मंगलवार को पलट दिया और पांच जनवरी को प्रस्तावित मध्यावधि चुनाव की तैयारियों पर विराम लगाने का आदेश दिया।
प्रधान न्यायाधीश नलिन पेरेरा की अध्यक्षता में तीन सदस्यों वाली एक पीठ ने संसद भंग करने के सिरिसेना के नौ नवंबर के फैसले के खिलाफ दायर तकरीबन 13 और पक्ष में दायर पांच याचिाकाओं पर दो दिन की अदालती कार्यवाही के बाद यह व्यवस्था दी। कार्यकाल पूरा होने के तकरीबन दो साल पहले ही संसद भंग कर दी गई।
सिरिसेना के सामने जब स्पष्ट हो गया कि रानिल विक्रमसिंघे को बरख्वास्त कर प्रधानमंत्री बनाए गए महिंदा राजपक्षे के पक्ष में संसद में बहुमत नहीं है तो उन्होंने संसद भंग कर दी और पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव करने के आदेश जारी किए थे। इससे देश अभूतपूर्व संकट में फंस गया।
कड़ी सुरक्षा के बीच सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में उपस्थित विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने बताया कि शीर्ष अदालत ने व्यवस्था दी है कि सिरीसेना के फैसले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर अब चार, पांच और छह दिसंबर को सुनवाई होगी।
प्रमुख राजनीतिक पार्टियां सिरिसेना के फैसले के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंची। याचिकाकर्ताओं स्वतंत्र चुनाव आयोग के एक सदस्य रत्नाजीवन हुले भी शामिल हैं।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश अटार्नी जनरल जयंता जयसूर्या ने सिरिसेना के कदम को उचित ठहराया और कहा कि राष्ट्रपति की शक्तियां साफ और सुस्पष्ट हैं और उन्होंने संविधान के प्रावधानों के अनुरूप संसद भंग की है।
जयसूर्या ने सभी याचिकाएं रद्द करने का आग्रह किया और कहा कि राष्ट्रपति के पास संसद भंग करने की शक्तियां हैं।