श्रीलंका: अस्पताल में मरीज कर रहे हैं जीवन और मौत के बीच संघर्ष, चिकित्सा उपकरण और जीवन रक्षक दवाओं का हुआ घोर अभाव

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 26, 2022 04:22 PM2022-07-26T16:22:33+5:302022-07-26T16:27:09+5:30

साल 1948 में मिले आजादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े और अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका की स्वास्थ्य प्रणाली लगभग पूरी तरह से चरमरा गई है।

Sri Lanka: Patients are struggling for life and death in the hospital, there is a severe shortage of medical equipment and life saving drugs | श्रीलंका: अस्पताल में मरीज कर रहे हैं जीवन और मौत के बीच संघर्ष, चिकित्सा उपकरण और जीवन रक्षक दवाओं का हुआ घोर अभाव

फाइल फोटो

Highlightsआर्थिक तौर पर दिवालिये हो चुके श्रीलंका में सबसे खराब स्थिति वहां के अस्पतालों की हैराजधानी कोलंबो के कई बड़े अस्पतालों में सन्नाटा पसरा है, वार्ड लगभग खाली हैंकोलंबो के राष्ट्रीय अस्पताल में 3,400 बिस्तर खाली पड़े हैं, क्योंकि अस्पताल के पास जरूरी दवाएं नहीं हैं

कोलंबो: आर्थिक तौर पर तबाह हो चुके श्रीलंका में सबसे खराब स्थिति वहां के अस्पतालों की है। राजधानी कोलंबो के कई बड़े अस्पतालों में सन्नाटा पसरा है, वार्ड लगभग खाली हैं। मरीजों को बिना इलाज अस्पतालों से डिस्चार्ज किये जा रहे हैं और अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों ने भी अस्पतालों में आना छोड़ दिया है।

आजादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े और अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका की स्वास्थ्य प्रणाली लगभग पूरी तरह से चरमरा गई है। जो कुछ महीनों पहले दक्षिण एशियाई देशों में इलाज और स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते थे।

समाचार एजेंसी 'एएफपी' ने श्रीलंका से जो जानकारी दुनिया से साझा की है, वह बेहद भयावह हैं। उसे कुछ इस तरह से समझा जा सकता है। मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित थेरेसा मैरी को अपने जोड़ों में आई सूजन का इलाज कराने के लिए कोलंबो स्थित श्रीलंका के राष्ट्रीय अस्पताल में पहुंचने के लिए भारी कष्ट उठाना पड़ा। बेहद तकलीफ और दर्द में उन्हें लगभग पांच किलोमीटर की यात्रा पैदल ही लंगड़ाते हुए करनी पड़ी।

लेकिन अस्पताल में भर्ती होने के चार दिन बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई क्योंकि अस्पताल में सरकारी दवाईयां खत्म हो गई थी, जबकि वो अपने पैरों पर सही तरीके से खड़ी भी नहीं हो रही थीं। दर्द से परेशान 70 साल की मैरी ने कहा, "जब मैं अस्पताल में भर्ती हुई तो डॉक्टरों ने मुझे बाजार से दवाएं खरीदने के लिए कहा, लेकिन मेरे पास उसके लिए पैसे नहीं थे। मेरे घुटने अभी भी सूजे हुए हैं और कोलंबो में मेरा घर नहीं है। मुझे नहीं पता कि अब मैं कहां जाउंगी।"

बताया जा रहा है कि कोलंबो का राष्ट्रीय अस्पताल आम तौर पर पूरे श्रीलंका के गरीब और मध्यम वर्ग को विशेषज्ञ उपचार की सुविधा देता है लेकिन इसके 3,400 बिस्तर खाली पड़े हैं, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों के पास अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराने के भी पैसे नहीं हैं।

वहीं अस्पताल की ओर बताया जा रहा है कि इलाज के लिए दरूरी सर्जरी उपकरण और जीवन रक्षक दवाओं की आपूर्ति लगभग ठप हो गई है। पेट्रोल न होने के कारण रोगी और डॉक्टर अस्पताल तक पहुंचने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं।

श्रीलंका के सरकारी चिकित्सा अधिकारी संघ के सदस्य डॉ वासन रत्नासिंहम ने कि सर्जरी के लिए जरूरी सामान अस्पतालों के पास नहीं हैं। कुछ मेडिकल स्टाफ डबल शिफ्ट में काम कर रहे हैं क्योंकि अन्य स्टॉफ ड्यूटी पर इसलिए नहीं आ पा रहे हैं क्योंकि पेट्रोल न होने के कारण वो कहीं ट्रैवेल नहीं कर पा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि श्रीलंका अपनी जरूरत की दवाओं और मेडिकल उपकरणों का 85 फीसदी हिस्सा अन्य देशों से आयात करता है लेकिन विदेश से मिलने वाली सारी सहायता बंद होने के कारण अस्पताल इसके लिए भारी संघर्ष कर रहे हैं।

इस मामले में एक फार्मेसी के मालिक के मथियालगन ने बताया कि देश में सामान्य दर्द निवारक, एंटीबायोटिक्स और बाल चिकित्सा दवाएं बेहद कम मात्रा में आपूर्ति हो रही हैं। वहीं अन्य दवाएं भी पिछले तीन महीनों में चार गुने तक महंगी हो गई हैं।

मथियालगन ने कहा कि बहुत सी बुनियादी दवाएं पूरी तरह से स्टॉक से बाहर हैं और डॉक्टर यह बात जाने बिना दवाएं लिखते रहते हैं, जिससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। इस संबंध में चिंता व्यक्त करते हुए संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर हाना सिंगर हैमडी ने कहा कि आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका की मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली अब बेहद खतरे की स्थिति में है और देश का कमजोर तबका इस कारण सबसे अधिक प्रभावित है।

मालूम हो कि भारत, बांग्लादेश, जापान समेत विश्व के अन्य तमाम देश श्रीलंका की जरूरी दवाओं की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए दान दे रहे हैं, लेकिन वो श्रीलंका की जनसंख्या के लिए पर्याप्त नहीं है। वहीं श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश की जनता को चेतावनी देते हुए कहा है कि मौजूदा आर्थिक संकट अगले साल के अंत तक जारी रहने की संभावना है और हो सकता है कि श्रीलंका को आने वाले समय में सार्वजनिक स्वास्थ्य में और गिरावट देखने को मिले।

Web Title: Sri Lanka: Patients are struggling for life and death in the hospital, there is a severe shortage of medical equipment and life saving drugs

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे