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North korea vs south korea: फिर से बिगड़ी बात, उत्तर कोरिया ने जानी दुश्मन दक्षिण कोरिया से रिश्ता तोड़ा, जानिए कारण

By भाषा | Updated: June 10, 2020 16:49 IST

उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया में फिर से ठन गई है। नार्थ कोरिया से सैन्य, राजनीति सहित सारे रिश्ते तोड़ डाले है। इस बीच साउथ कोरिया ने दो समूहों पर नकेल कस दिया है।

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ठळक मुद्देसीमावर्ती क्षेत्रों में रहनेवाले दक्षिण कोरिया के लोगों की जान और सुरक्षा को खतरे में डालने का’ आरोप लगाया जाएगा।इस कानूनी कार्रवाई से सियोल में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बहस छिड़ सकती है।राष्ट्रपति मून जेई-इन की उदारवादी सरकार अंतर-कोरिया गतिविधियों को बहाल रखने की महत्वाकांक्षा को जीवित रखने के लिए लोकतांत्रिक सिद्धांतों की कुर्बानी दे रहे हैं।

सियोलः दक्षिण कोरिया की सरकार ने बुधवार को कहा कि वह उत्तर कोरिया में गुब्बारे से पर्चे और बोतलों में चावल भेजने वाले कार्यकर्ताओं के दो समूहों को आरोपित करेगी।

उन पर प्रतिद्वंद्वी देश को अनधिकृत सामग्री भेजकर कानून का उल्लंघन करने का आरोप है। उत्तर कोरिया ने सीमा पर उसके खिलाफ पर्चे भेजने से कार्यकर्ताओं को नहीं रोक पाने पर दक्षिण कोरिया के साथ सभी प्रकार के संपर्क माध्यमों को बंद करने की एक दिन पहले घोषणा की थी।

इसके बाद दक्षिण कोरिया के एकीकरण मंत्रालय का यह बयान आया है। मंत्रालय के प्रवक्ता योह सांग-की ने संवाददाताओं से बताया कि दोनों संगठनों पर ‘दक्षिण और उत्तर कोरिया के बीच तनाव बढ़ाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहनेवाले दक्षिण कोरिया के लोगों की जान और सुरक्षा को खतरे में डालने का’ आरोप लगाया जाएगा। इस कानूनी कार्रवाई से सियोल में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बहस छिड़ सकती है कि क्या राष्ट्रपति मून जेई-इन की उदारवादी सरकार अंतर-कोरिया गतिविधियों को बहाल रखने की महत्वाकांक्षा को जीवित रखने के लिए लोकतांत्रिक सिद्धांतों की कुर्बानी दे रहे हैं।

गौरतलब है कि वर्षों से कार्यकर्ता बड़े गुब्बारों में पर्चे लगा कर उत्तर कोरिया की तरफ भेजते हैं जिनमें उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के परमाणु कार्यक्रमों के लिए उनकी निंदा और देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन का जिक्र होता है। हालांकि, कभी-कभी इन पर्चों पर उत्तर कोरिया की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया मिलती है। साल 2014 में इसी तरह की घटना के बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई थी लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ था। योह का दावा है कि दो समूहों पर आरोप लगेंगे। इन समूहों का नेतृत्व उत्तर कोरिया से भागकर आए पार्क सांग-हाक और उनके भाई पार्क जुंग-ओह कर रहे थे।

पार्क-सांग हाक वर्षों से प्योगयांग के खिलाफ अभियान चल रहा है। हालांकि इन दोनों समूहों ने बार-बार कॉल किए जाने पर भी कोई जवाब नहीं दिया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया का दक्षिण कोरिया के साथ सारे संपर्क माध्यमों को बंद करने का कदम सिर्फ इन पर्चों को लेकर नहीं है, बल्कि अमेरिका नीत प्रतिबंधों का उल्लंघन करने और अंतर-कोरियाई आर्थिक परियोजनाओं को बहाल करने की दक्षिण कोरिया की अनिच्छा से महीनों से पैदा हुई निराशा भी इसकी एक बड़ी वजह है। उत्तर कोरिया इन परियोजनाओं से अपनी खस्ताहाल अर्थव्यवस्था में नयी जान आने की उम्मीद करता है।

टॅग्स :उत्तर कोरियासाउथ अफ़्रीकाकिम जोंग उनअमेरिकाचीन
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