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महिलाएं कर सकेंगी एक से ज्यादा शादी, इस देश में सरकार के प्रस्ताव पर मच गया घमासान, विरोध में दे रहे ऐसे तर्क

By अभिषेक पारीक | Updated: June 29, 2021 18:08 IST

दक्षिण अफ्रीका में सरकार के एक विवादास्पद प्रस्ताव के चलते घमासान मच गया है। इस प्रस्ताव को दक्षिण अफ्रीका की संस्कृति खत्म करने वाला बताकर विरोध किया जा रहा है।

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ठळक मुद्देदक्षिण अफ्रीका की सरकार महिलाओं को एक से ज्यादा पति रखने का हक देने जा रही है। इसे लेकर कई संगठनों ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि इससे संस्कृति खत्म हो जाएगी। प्रस्ताव दक्षिण अफ्रीका के गृह विभाग ने दिया है। जिसका उद्देश्य महिला-पुरुषों की समानता है।

दक्षिण अफ्रीका में सरकार के एक विवादास्पद प्रस्ताव के चलते घमासान मच गया है। इस प्रस्ताव को दक्षिण अफ्रीका की संस्कृति खत्म करने वाला बताकर विरोध किया जा रहा है। प्रस्ताव के मुताबिक महिलाएं एक से ज्यादा पति रख सकती हैं। पुरुष पहले से ही एक से ज्यादा शादियां कर सकते हैं और महिला-पुरुष समानता के दृष्टिकोण से यही व्यवस्था अब सरकार महिलाओं के लिए भी लागू करना चाह रही है। जिसका काफी विरोध हो रहा है। 

दक्षिण अफ्रीका के कई संगठनों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। उनका कहना है कि यदि यह प्रस्ताव कानून का रूप लेता है तो इससे दक्षिण अफ्रीका की संस्कृति को नुकसान पहुंचेगा और यह खत्म हो जाएगी। उद्योगपति मूसा मसेलेकु इस प्रस्ताव के जबरदस्त विरोधी हैं। उनका कहना है कि महिलाएं पुरुषों की जगह नहीं ले सकती हैं। 

इसके साथ ही मूसा ने ऐसी शादियों को लेकर कई सवाल भी उठाए हैं। मूसा ने कहा है कि कानून पास होने के बाद क्या महिलाएं पुरुषों के लिए लोबोला देंगी? दक्षिण अफ्रीका की संस्कृति में शादी के वक्त दुल्हन की कीमत दी जाती है। इसे लोबोला कहा जाता है। 

मूसा बोले-बिखर जाएगा समाज

साथ ही उन्होनें बच्चों की स्थिति को लेकर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की शादियों से बच्चों का क्या हाल होगा। मूसा ने कहा कि पुरुषों का अधिक शादियां करना प्रचलित प्रथा है, लेकिन महिलाओं की एक से अधिक शादी को पुरुष बर्दाश्त नहीं कर सकेंगे क्योंकि वे बहुत ईर्ष्या से भरे होते हैं। इसके साथ ही मूसा ने ऐसी शादियों को समाज के लिए गलत बताया और कहा कि इससे समाज बिखर जाएगा। 

समानता के लिए तैयार नहीं समाज

यह प्रस्ताव दक्षिण अफ्रीका के गृह विभाग की ओर से दिया गया है और इसे ग्रीन पेपर में शामिल करने की भी मांग की गई है। इसके पीछे महिला और पुरुषों को बराबरी का दर्जा देने की सोच है। प्रोफेसर कोलिस मेकोका ने इसे लेकर कहा कि समाज समानता के लिए तैयार नहीं है। 

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