राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने श्रीलंका में संसद का निलंबन हटाया, महिंदा राजपक्षे को कर चुके हैं प्रधानमंत्री नियुक्त
By भाषा | Published: November 1, 2018 12:23 PM2018-11-01T12:23:26+5:302018-11-01T12:23:48+5:30
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने और बर्खास्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के बारे में स्थिति को स्पष्ट करते हुये 27 अक्टूबर को दो असाधारण गजट नोटिस जारी किए थे।
कोलंबो, एक नवंबर: श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने संसद का निलंबन हटा लिया है और देश में चल रहे मौजूदा गतिरोध को समाप्त करने के लिये सोमवार को विधायिका की बैठक बुलाई है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से अचानक हटाए जाने के बाद देश में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था।
राष्ट्रपति सिरिसेना ने गत शुक्रवार को नाटकीय घटनाक्रम में विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से हटाकर उनकी जगह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
सिरिसेना ने 16 नवंबर तक संसद को निलंबित कर दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका मकसद सांसदों को विक्रमसिंघे के पाले से राजपक्षे के समर्थन में लाने के लिये समय हासिल करना था, ताकि वह 225 सदस्यीय संसद में बहुमत के लिये 113 का आंकड़ा जुटा सकें।
सिरिसेना और संसद के स्पीकर कारू जयसूर्या के बीच कल इस मुद्दे पर चर्चा हुई। सिरिसेना ने बाद में संकेत दिया कि वह अगले सप्ताह संसद का सत्र बुला सकते हैं।
श्रीलंका संकट: मैत्रिपाला सिरिसेना ने महिंदा राजपक्षे को बनाया प्रधानमंत्री
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने और बर्खास्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के बारे में स्थिति को स्पष्ट करते हुये 27 अक्टूबर को दो असाधारण गजट नोटिस जारी किए थे।
कोलंबो गजट की खबर के अनुसार इनमें से पहला नोटिस विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री के पद से हटाने के बारे में था जबकि दूसरा राजपक्षे को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने से संबंधित था। विक्रमसिंघे को पद से हटाने के ऐलान के घंटों बाद ये नोटिस जारी हुये। इन घटनाक्रमों से देश में राजनीतिक संकट व्याप्त हो गया।
विक्रमसिंघे ने, हालांकि इस बात पर जोर दिया कि राजपक्षे को उनकी जगह शपथ दिलाना ’’अवैध और असंवैधानिक’’ है और वह देश की संसद में अपना बहुमत साबित कर देंगे।
यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे ने 26 अक्टूबर को पद से हटाये जाने के बावजूद बतौर प्रधानमंत्री अपना कामकाज निपटाया था। उन्होंने दावा किया था कि ’’ मैं प्रधानमंत्री हूं और महिंदा राजपक्षे की नियुक्ति असंवैधानिक है।’’