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कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने का सबसे सरल तरीका, प्रदूषण फैलाने वालों को ठहराएं जिम्मेदार

By भाषा | Updated: September 25, 2021 17:30 IST

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(रिचर्ड होल्डन, अर्थशास्त्र के प्राध्यापक, यूएनएसडब्ल्यू)

सिडनी, 25 सितंबर (द कन्वरसेशन) वैश्विक नेता और मिश्रित हित समूहों के लगभग 30,000 अन्य लोग नवंबर में संयुक्त राष्ट्र के 26वें वार्षिक जलवायु शिखर सम्मेलन, कॉप 26 (पक्षों का सम्मेलन) के लिए ग्लासगो में एकत्रित होंगे।

2015 में कॉप21 में अपनाए गए पेरिस समझौते के पांच साल (टोक्यो 2020-शैली की महामारी के अंतराल के लिए एक साल के लिए दी गई अनुमति) बाद यह सम्मेलन हो हो रहा है।

उस समझौते, इसकी संरचना और गैर-बाध्यकारी प्रकृति के बारे में बहुत आलोचनाएं की जाती रही हैं। चीन जैसे बड़े उत्सर्जकों को कार्बन कम करने की महत्त्वपूर्ण प्रतिबद्धताओं से प्रभावी रूप से छूट दी गई थी।

कुछ आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के देश (जैसे कनाडा) ने समझौते का जुबानी समर्थन किया है लेकिन किया कुछ नहीं है।

फिर भी अन्य (जैसे ऑस्ट्रेलिया) ने उत्सर्जन को कम करने में कुछ प्रगति की है, लेकिन कोई दीर्घकालिक योजना नहीं है, इसके बजाय "प्रौद्योगिकी न कि कर (टैक्स)" के बारे में बड़े-बड़े स्टिकरों पर छपे नारों पर निर्भरता और हाल तक, धोखेबाजी से भरे लेखांकन युक्तियों से छिपने की कोशिश की जाती रही।

इसके अलावा, यह देखना मुश्किल है कि वैश्विक समझौतों के बिना दुनिया कैसे "समन्वय समस्या" को हल करती है।

लगभग आधी सदी से अर्थशास्त्री इस बात पर एकमत हैं कि उन समझौतों में क्या महत्त्वपूर्ण रूप से शामिल होना चाहिए - वह है कार्बन की कीमत। विलियम नॉर्डहॉस को दिया गया 2018 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार इस तथ्य को देर से मान्यता देते हुए मिला था।

कार्बन पर कीमत वसूलना - कार्बन कर या उत्सर्जन व्यापार योजना के रूप में - बाजार के मूल्य तंत्र की शक्ति का उपयोग करने का एक तरीका है जो कार्बन के उत्सर्जन(आर्थिक विकास) से होने वाले अच्छे को उससे होने वाले खराब प्रभाव (जलवायु परिवर्तन) के लिए लिया जाता है।

कार्बन की वास्तविक सामाजिक कीमत (जो समाज को भुगतनी पड़ती है) के आधार पर कार्बन की कीमत निर्धारित करें (जलवायु परिवर्तन से आने वाली सभी बीमारियों को ध्यान में रखते हुए) और बाजार का अदृश्य हाथ फायदे और नुकसानों को संतुलित करेगा।

सार्वजनिक प्रकटीकरण

बहुत से उपभोक्ता अपने कार्बन पदचिह्न को कम करना चाहते हैं और इसके लिए भुगतान करने को तैयार हैं। इसलिए लोग पुनर्चक्रित करते हैं, अधिक महंगी होने पर भी हरित ऊर्जा का उपयोग करते हैं, कम कार्बन वाले कपड़े खरीदते हैं, और इलेक्ट्रिक कार चलाते हैं। लोगों का एक समूह हरित वस्तुओं के लिए भुगतान करने को तैयार है।

परर्यावरण अनुकूल स्नीकर कंपनी ऑलबर्ड्स और इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता टेस्ला जैसी कंपनियों की सफलता इन उपभोक्ता प्राथमिकताओं को पूरा करने वाले बाजार का प्रमाण है। लेकिन क्या हम उपभोक्ताओं के लिए अपनी पर्यावरणीय प्राथमिकताओं को व्यक्त करना आसान बना सकते हैं? क्या हम हरित उत्पादों के लिए बाजार को टर्बोचार्ज कर सकते हैं?

इसका जवाब है ‘हां’? कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री लैवेंडर यांग, निकोलस मुलर और पियरे जिंगहोंग लियांग के लिखे शोध पत्र अमेरिकी पर्यावरणीय प्रोटेक्टिनो एजेंसी के ग्रीनहाउस गैस रिपोर्टिंग कार्यक्रम पर नजर रखा गया है। 2010 से प्रभावी,बड़े कार्बन उत्सर्जक (सभी बिजली संयंत्रों सहित जो एक वर्ष में 25,000 टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन करते हैं) को सार्वजनिक रूप से यह खुलासा करने की आवश्यकता है कि वे कितना उत्सर्जन करते हैं।

परिणाम चौंकाने वाले हैं। अधिक जांच के अधीन संयंत्रों ने अपने कार्बन उत्सर्जन में 7 प्रतिशत की कमी की। सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के स्वामित्व वाले संयंत्रों ने अपने उत्सर्जन में 10 प्रतिशत की कमी की। एस एंड पी 500 स्टॉक इंडेक्स जैसी बड़ी सार्वजनिक कंपनियों ने उत्सर्जन में और भी अधिक कटौती की (11प्रतिशत)।

सबक यह है कि प्रकटीकरण आवश्यकताएं काम करती हैं। वे कंपनियों को अपने ग्राहकों और निवेशकों के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिए मजबूर करते हैं, और उनके उत्सर्जन व्यवहार की वास्तविकता का सामना करने के लिए। लेकिन हमें इसे केवल बड़ी कंपनियों पर ही नहीं, सभी कंपनियों पर लागू करने की आवश्यकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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