शिंजो आबे के हत्यारोपी ने कहा, 'उन्हें इसलिए मारा क्योंकि वो जिस चर्च से जुड़े थे, उसे अकूत दान देकर मां ने मेरा जीवन तबाह कर दिया था'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 26, 2022 07:21 PM2022-08-26T19:21:40+5:302022-08-26T19:26:48+5:30
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या करने वाले यामागामी ने पुलिस को बताया कि उसने जापान के सबसे शक्तिशाली और विभाजनकारी राजनेताओं में से एक शिंजो आबे को इसलिए मार डाला क्योंकि उनका संबंध कथिततौर पर यूनिफिकेशन चर्च से था।
टोक्यो:जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या करने वाले आरोपी तेत्सुया यामागामी ने कहा है कि मां द्वारा संपत्ति और धन के दान देने के कारण पैदा हुई कंगाली की परिस्थियों ने बंदूक उठाने और आबे की हत्या करने के लिए मजबूर कर दिया था।
यह खुलासा उसने खुद करते हुए कहा कि वह एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखता था लेकिन उसकी मां ने एक विवादास्पद यूनिफिकेशन चर्च को अपनी धन-संपदा का भारी दान किया, जिसके कारण उसे गरीबी और उपेक्षित जिंदगी बितानी पड़ रही थी। इस कारण उसके मन में भयंकर क्रोध भर गया था।
खबरों के मुताबिक 41 साल के आरोपी यामागामी के इस खुलासे के बाद कुछ जापानियों ने उसके प्रति हमदर्दी व्यक्त की है और सोशल मीडिया पर इस बात की मांग उठ रही है कि डिटेंशन सेंटर में बंद तेत्सुया यामागामी को सरकार की ओर से केयर पैकेज भेजा जाना चाहिए।
इसके साथ ही सोशल मीडिया पर लगभग 7,000 से अधिक लोगों ने दस्तखत करते हुए मांग की है कि अभियोजन पक्ष कोर्ट में पूर्व पीएम शिंजो आबे की हत्या का केस लड़ते हुए यामागामी के प्रति सहानभूति रखे। यामागामी ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उसने जापान के सबसे शक्तिशाली और विभाजनकारी राजनेताओं में से एक शिंजो आबे को इसलिए मार डाला क्योंकि उनका संबंध कथिततौर पर यूनिफिकेशन चर्च से माना जाता था।
यामागामी के इस बयान पर जापान में व्यापक चर्चा हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यूनिफिकेशन चर्च के अनुयायियों पर हजारों बच्चों की दुर्दशा का मामला भी उजागर हुआ है, जिन्हें चर्च के कारण दुर्व्यवहार और भारी उपेक्षा का सामना करना पड़ा है।
इस संबंध में रिशो विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान और और धर्म अध्ययन के प्रोफेसर किमियाकी निशिदा ने यामागामी के बयान की मूल भावना से सहमति जताते हुए कहा, "अगर उसने कथित रूप से आबे की हत्या का अपराध नहीं किया होता, तो शायद यामागामी सहानुभूति के पात्र होते। उसकी तरह कई अन्य लोग भी अपने माता-पिता के विश्वास के कारण इस मामले में पीड़ित हैं।"
जानकारी के मुताबिक जापान में सत्ताधारी पार्टी, जिससे शिंजो आबे संबंध रखते थे, वो भी अपने कथित राजनीतिक फायदों के लिए विवादों में रहने वाले यूनिफिकेशन चर्च के साथ मधुर संबंध बनाए रखा है। बताया जा रहा है कि पूर्व पीएम आबे की हत्या के बाद से मौजूदा प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की लोकप्रियता में काफी गिरावट आई है और यही कारण है कि उन्होंने हाल में अपने मंत्रिमंडल में भारी फेरबदल भी किया है।
दिवंगत शिंजो आबे की सुरक्षा में असफल रहने के कारण राष्ट्रीय पुलिस एजेंसी के प्रमुख ने गुरुवार को आबे की हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा सौंप दिया। इस बीच आबे की हत्या के आरोपी यामागामी को नवंबर के अंत तक मानसिक मूल्यांकन के लिए डिटेंशन सेंटर में ही रखा जाएगा।
आबे की हत्या से पहले भी यामागामी सोशल मीडिया पर यूनिफिकेशन चर्च के प्रति अपनी घृणा व्यक्त को खुले तौर व्यक्त तक चुका है। यूनिफिकेशन चर्च की स्थापना साल 1954 में दक्षिण कोरिया में की गई थी। 80 के दशक के बाद से चर्च पर लगातार कुटिल भर्ती प्रथाओं और ब्रेनवॉशिंग के जरिये अनुयायियों से भारी दान लेने के आरोप लगते रहे हैं।
यामागामी के मुताबिक उसकी मां ने यूनिफिकेशन चर्च को भारी दान दिया था, जिसके कारण उसका परिवार और जीवन दोनों ही लगभग बर्बाद हो गया था। इस संबंध में यामागामी का पत्र भी उसके एक कमरे के अपार्टमेंट से जब्त किए गए कंप्यूटर में मिला है।
जिसमें उसने लिखा है, "मेरी मां 90 के दशक में चर्च को समर्पित हो गई, जिसके कारण मेरी पूरी किशोरावस्था बर्बाद हो गई। चर्च को दान देने के चक्कर में लगभग 100 मिलियन येन ($735,000) बर्बाद हो गए।"
जानकारी के मुताबिक यामागामी जब चार साल का था, उसके पिता ने आत्महत्या कर ली। जिसके बाद उसकी मां यूनिफिकेशन चर्च में शामिल हो गईं। चर्च की सदस्यता लेने के बाद उसकी मां ने चर्च को भारी मात्रा में पैसों का दान दिया। जिसकी वजह से उसका परिवार दिवालिया हो गया और यामागामी कॉलेज भी नहीं जा पाया। इन्हीं परिस्थितियों में उसके भाई ने भी बाद में आत्महत्या कर ली।
वहीं यामागामी के चाचा ने कहा कि जब साल 2005 में यामागामी ने खुद को मारने की कोशिश की तो उस समय उनकी मां दक्षिण कोरिया की यात्रा पर थी लेकिन सूचना मिलने के बाद भी वो वापस नहीं लौटी थीं।