पाकिस्तान के सेवानिवृत्त हो रहे प्रधान न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा ने कहा कि वह साफ मन से संस्थान को छोड़ रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने रेखांकित किया कि देशद्रोह के मामले में पूर्व सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद उनके और न्यायपालिका के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अभियान शुरू किया गया।
शुक्रवार मध्यरात्रि को सेवानिवृत्त हो रहे 64 वर्षीय खोसा ने कहा कि न्यायपालिका और उन्होंने आलोचनाओं के बीच काम किया। उल्लेखनीय है कि विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने देशद्रोह के मामले में छह साल चले मुकदमे के बाद मंगलवार को 76 वर्षीय परवेज मुशर्रफ की अनुपस्थिति में उन्हें मौत की सजा सुनाई।
मुशर्रफ को वर्ष 2007 में संविधान को निष्प्रभावी करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई। माना जा रहा है कि शक्तिशाली सेना और इमरान खान सरकार इस फैसले से अप्रसन्न है। विधि मंत्री फरगोह नसीम ने गुरुवार को कहा कि जिस न्यायाधीश ने यह फैसला लिखा है वह दिमागी रूप से ठीक नहीं है और उन्हें काम करने से रोका जाना चाहिए।
ब्रिटेन में शिक्षित खोसा ने कहा, ‘‘ दुर्भावनापूर्ण अभियान मेरे और न्यायपालिका के खिलाफ शुरू किया गया है। आरोप आधारहीन और असत्य हैं। हम अपनी शक्तियों की सीमा को जानते हैं और सच सामने आएगा।’’ उनके सम्मान में एकत्र लोगों को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति खोसा ने कहा, ‘‘ शत प्रतिशत काम करने का प्रयास किया और उससे अधिक जिम्मेदारी निभाई। कभी मैंने आवाज नहीं उठाई, कलम के जरिये बात कही, कभी भी न्याय में अनावश्यक देरी नहीं की और इतने साल जनता की सेवा में व्यय करने के बाद मैं अपनी पोशाक (न्यायमूर्ति की) को आज अपने बेदाग अंतरकरण के साथ उतार रहा हूं।’’
उल्लेखनीय है कि खोसा ने जनवरी में पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश की जिम्मेदारी ली थी और वह 22 साल तक न्यायपालिका में कार्यरत रहे। उनके उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति गुलज़ार अहमद शनिवार को पाकिस्तान के 27वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेंगे।
प्रधान न्यायाधीश रहते खोसा ने ई-अदालत, ऑनलाइन उच्चतम न्यायालय डाटा बेस की शुरुआत की वहीं अदालत की वेबसाइट को अद्यतन किया, बाधारहित न्याय के लिए मोबाइल ऐप लांच किया। वह उस पीठ में शामिल थे जिसने 2017 में तीन बार के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के मामले में अयोग्य करार दिया था। इस बीच पाकिस्तान के विज्ञान मंत्री फवाद चौधरी ने कई ट्वीट कर कहा कि मुशर्रफ को दोषी करार देना ‘‘सेना को निशाना बनाने की विशेष रणनीति’’ का हिस्सा है और चेतावनी दी कि अगर सेना बंटती है या कमजोर होती है तो देश में ‘‘ अराजकता’’ पैदा हो जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह केवल परवेज मुशर्रफ का मामला ही नहीं है, पाकिस्तानी सेना को विशेष रणनीति के तहत निशाना बनाया गया। पहले, सेना और आईएसआई (इंटर सर्विस इंटेलीजेंस) को तहरीक-ए-लबैक धरना प्रदर्शन विवाद में घसीटा गया, इसके बाद सेना प्रमुख के सेवा विस्तार पर विवाद उत्पन्न किया गया और अब मशहूर पूर्व सेना प्रमुख को अपमानित किया जा रहा है।’’ चौधरी ने कहा, ‘‘ घटनाओं की यह श्रृंखला अब न्यायिक या कानूनी मामलों से अधिक है।
अगर सेना विभाजित होती है या कमजोर होती है तो देश को अराजकता से नहीं बचाया जा सकता।’’ चौधरी ने आरोप लगाया कि प्रधान न्यायाधीश ने फैसले का संकेत दिया या परोक्ष रूप से प्रभावित किया। प्रधानमंत्री इमरान खान की सूचना मामलों पर विशेष सहायक फिरदौस आशिक अवान ने कहा कि दुश्मन पाकिस्तान को तब कमजोर करना चाहते हैं जब प्रधानमंत्री खान और सेना देश को मुश्किलों से बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं। अवान ने कहा, ‘‘ बाहरी ताकते और देश में मौजूद उनके कठपुतली संस्थानों को कमजोर करने और देश में अस्थिरता बढ़ाने की योजना में नाकाम होंगे।’’