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शरणार्थी अपने बच्चों के लिए खुद से बेहतर जिंदगी चाहते हें

By भाषा | Updated: December 15, 2021 15:55 IST

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हन्ना सूंग, साउथ ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी

एडिलेड, 15 दिसंबर (द कन्वरसेशन) शरणार्थी ऑस्ट्रेलिया में सार्थक रोजगार तलाश करने के लिए संघर्ष करते हैं।

2010 में, ऑस्ट्रेलिया की शरणार्थी परिषद को पता चला कि जो लोग शरणार्थी या मानवीय आधार पर दिए जाने वाले वीजा पर ऑस्ट्रेलिया आए थे, वे रोजगार के मामले में ‘‘प्रवासी वीजा समूहों में सबसे खराब’’ हालत में रहे।

आगमन के 18 महीने बाद इनमें से लगभग 12% बेरोजगार थे, जबकि पारिवारिक वीजा पर आने वालों में बेरोजगारी 8% रही।

शिक्षा - और विशेष रूप से विश्वविद्यालय शिक्षा के अवसर - शरणार्थी पृष्ठभूमि वाले लोगों को अपने जीवन और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार करने के साधन प्रदान करते हैं।

शरणार्थी पृष्ठभूमि वाले लोग अपने बच्चों के लिए खुद से बेहतर जीवन की आशा करते हैं, और वे शिक्षा को इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखते हैं। लेकिन हम इस बारे में बहुत कम जानते हैं कि शरणार्थी माता-पिता अपने बच्चों की शैक्षिक और दीर्घकालिक सफलता को प्रभावित करने में क्या भूमिका निभाते हैं।

मेरा शोध उन शरणार्थी परिवारों पर केंद्रित था जिनके बच्चों ने स्कूल और विश्वविद्यालय में अच्छा प्रदर्शन किया।

हमने यह पता लगाने के लिए 50 शरणार्थी माता-पिता, बच्चों और उनके शिक्षकों का साक्षात्कार लिया कि क्या शरणार्थी परिवारों के विशेष मूल्यों ने बच्चों को शैक्षिक रूप से प्रभावित किया है।

हमें ऐसे माता-पिता मिले जिन्होंने अपने परिवार के लिए एक अच्छा जीवन सुरक्षित करने के लिए शरणार्थी जीवन चुना, जिसने परोक्ष रूप से उनके बच्चों को उनकी तरह कड़ी मेहनत करने और ऐसा जीवन हासिल करने के लिए प्रेरित किया, जिससे उन्हें वंचित रहना पड़ा था।

'वे चाहते थे कि हम अपना कुछ बनाएं'

जिन माता-पिता ने शोध में भाग लिया, उनकी शिक्षा के स्तर में भिन्नता थी - औपचारिक स्कूली शिक्षा से लेकर पीएचडी तक।

अधिकांश माता-पिता ने अपनी पहली भाषा में या तो एक पेशेवर दुभाषिया, एक द्विभाषी स्कूल सेवा अधिकारी या एक वयस्क बच्चे की व्याख्या के साथ साक्षात्कार किया।

उनकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि भी व्यापक रूप से भिन्न थी: साक्षात्कारकर्ताओं में अफगानिस्तान, नेपाल, रवांडा, सीरिया, वियतनाम और भूटान के शरणार्थी शामिल थे।

जबकि सभी माता-पिता पहली पीढ़ी के शरणार्थी थे, उनके बच्चों ने ऑस्ट्रेलिया में जो समय बिताया था, वह भी भिन्न था: कुछ का जन्म यहाँ हुआ था, अन्य यहाँ एक बच्चे के रूप में आए थे, जबकि कुछ हाल ही में एक किशोर के रूप में आए थे।

शरणार्थी माता-पिता को आम तौर पर उन अवसरों के लिए ज्यादा उम्मीदें थीं जो शिक्षा उनके बच्चों को प्रदान कर सकती थी क्योंकि उन्हें अपने देश में या शरणार्थी शिविरों में इसके अधिकार से वंचित कर दिया गया था।

बच्चों के साथ साक्षात्कार से, हमने पाया कि शिक्षा के प्रति माता-पिता के उच्च मूल्यों ने उनके बच्चों को सीखने में अधिक प्रयास करने के लिए प्रेरित किया।

अफ़ग़ानिस्तान में जन्मे माता-पिता के लिए दुभाषिया अहमद ने हमें बताया: ‘‘उन [माता-पिता] के लिए मुख्य प्रेरणा यह है कि उनके परिवार में किसी को भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिला। इसलिए, उनके बच्चे उनके परिवार में ऐसा करने वाले सबसे पहले होंगे। उच्च योग्यता के साथ पर्याप्त शिक्षित। वे उनके [बच्चे के] सीखने में उनकी मदद नहीं कर सकते, लेकिन केवल एक चीज जो वे प्रदान करते हैं वह है उनकी देखभाल करना। वे उन्हें उनकी शिक्षा के बारे में सलाह देते हैं कि आप शिक्षा के माध्यम से कैसे सफल हो सकते हैं।’’

बच्चे, छोटी उम्र में और वयस्कों के रूप में, अकादमिक स्तर पर बेहतर करने की उनकी क्षमता पर उनके अभिभावकों के प्रभाव को भली भांति जानते थे। लेकिन माता-पिता की प्रेरणा कभी दबाव की सीमा तक नहीं बढ़ी।

अलायना, जो 12 साल की है, का जन्म ईरान में हाज़रा माता-पिता के यहाँ हुआ था।

उसने कहा कि उसे विश्वास है कि उसके माता-पिता अभी भी उसके अपने सपनों का पीछा करने पर गर्व करेंगे, भले ही वे अपने सपनों को कभी पूरा नहीं कर पाए।

‘‘मेरी माँ वास्तव में चाहती हैं कि मैं एक डॉक्टर बनूँ क्योंकि डॉक्टर होना एक अच्छी बात है, और अगर ऐसा हुआ तो उन्हें मुझ पर गर्व होगा। और अगर मैं एक डेंटिस या एक डाक्टर या एक शिक्षक न भी बन पाऊं और फिर भी एक सार्थक व्यक्ति बनूं तो मेरे परिवार को मुझ पर गर्व होगा।’’

नेपाली जातीयता के भूटानी माता-पिता के यहां नेपाल में पैदा हुई शिपा ने हमें बताया: ‘‘मेरे परिवार से एक मजबूत संदेश कि मुझे पढ़ना है (क्योंकि) शिक्षा के बिना, कुछ भी नहीं है, लेकिन उन्हें भी भरोसा है, मैं यह कर सकती हूं। निरक्षर माता पिता के साथ एक शरणार्थी के रूप में विश्वविद्यालय में होना वास्तव में सकारात्मक और बहुत रोमांचक है। मैं सिर्फ शिक्षा ग्रहण करना चाहती हूं।’’

एस्टर, जो 18 साल की है, का जन्म तंजानिया में बुरुंडियन माता-पिता के यहाँ हुआ था। उसने कहा: ‘‘वह चाहते थे कि हम पढ़ाई पर ध्यान दें वह शिद्दत से चाहते थे कि हम उनसे बेहतर करें क्योंकि हमें आस्ट्रेलिया आने का अवसर मिला है। और वह चाहते थे कि हम इस अवसर को बर्बाद न होने दें। वह चाहते थे कि हम अपने लिए कुछ बनाएं।’’

माता-पिता को सीधे शामिल होने की आवश्यकता नहीं है

शरणार्थी माता-पिता को अपने बच्चे की शिक्षा में शामिल होने में उसी तरह की बाधाएं आती हैं जैसे स्थानीय माता-पिता को आती हैं।

उदाहरण के लिए, कुछ स्थानीय माता-पिता सीखने की गतिविधियों में स्वेच्छा से भाग लेते हैं या स्कूल से संबंधित मुद्दों के बारे में अनौपचारिक बैठकों में भाग लेते हैं। वे गृहकार्य में मदद कर सकते हैं और नियमित रूप से अपने बच्चे के शिक्षक से मिल सकते हैं।

जब सहायता देने के इन तरीकों की बात आती है तो शरणार्थी माता-पिता को अक्सर सांस्कृतिक और भाषा संबंधी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन वे अपने बच्चों के जीवन में अप्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में कार्य करते हैं।

वह एक बच्चे को एक ऐसे परिवार में पालने के माध्यम से ऐसा करते हैं, जिसका अधिक सुरक्षित और बेहतर जीवन के लिए जोखिम लेने का इतिहास है, और जो नियमित रूप से इस साझा इतिहास और इससे आने वाली आकांक्षाओं के बारे में अपने बच्चों के साथ संवाद करता है।

इस तरह, बच्चे अपने माता-पिता की आकांक्षाओं को महत्व देते हुए आत्मविश्वास से अपनी स्वयं की आकांक्षाओं का पीछा करने की अधिक संभावना रखते हैं। वे अपनी क्षमताओं में एक मजबूत विश्वास के साथ आत्म-प्रेरित होते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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