टीकों की आस लगाए बैठे गरीब देश, अमीर देशों ने ‘कोवैक्स’ से अपना भंडार बढ़ाया

By भाषा | Updated: August 15, 2021 11:32 IST2021-08-15T11:32:13+5:302021-08-15T11:32:13+5:30

Poor countries waiting for vaccines, rich countries increase their stock with 'Covax' | टीकों की आस लगाए बैठे गरीब देश, अमीर देशों ने ‘कोवैक्स’ से अपना भंडार बढ़ाया

टीकों की आस लगाए बैठे गरीब देश, अमीर देशों ने ‘कोवैक्स’ से अपना भंडार बढ़ाया

लंदन, 15 अगस्त कोरोना वायरस टीकों के बंटवारे की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि कम और मध्यम आय वाले देशों को बिना देरी के तथा दूसरे देशों के दान पर निर्भर रहे बगैर टीकों की खुराक मिलें, लेकिन यह व्यवस्था इस तरह से नहीं चल सकी।

गत जून में ही ‘कोवैक्स’ नामक इस पहल के तहत ब्रिटेन को करीब 5,30,000 खुराक भेजी गई थीं। यह उसी महीने में पूरे अफ्रीका महाद्वीप को भेजी गयी खुराकों से दोगुनी ज्यादा थीं।

कोवैक्स के तहत देशों को धन मुहैया करवाना था ताकि टीकों को अलग रखा जा सके। इन्हें गरीब देशों को दान के रूप में देने के लिए और अमीर देशों में टीकों की कमी होने की स्थिति में वे इन्हें खरीद सकें इस लिहाज से सुरक्षित रखना था। यूरोपीय संघ के कुछ देशों समेत धनवान मुल्कों ने आकलन किया कि उनके पास द्विपक्षीय करारों के जरिये पर्याप्त से अधिक टीके उपलब्ध हैं और उन्होंने कोवैक्स के तहत आवंटित अपनी खुराकों को गरीब देशों को हस्तांतरित किया।

लेकिन ब्रिटेन समेत कुछ अन्य देश ऐसे हैं, जिनके पास दुनिया में उपलब्ध टीकों का बड़ा हिस्सा होने के बावजूद वे कोवैक्स की खुराकें अपने पास रखे रहे हैं। इस बीच गरीब देशों के अरबों लोगों को टीके की एक खुराक तक नहीं मिल सकी।

परिणाम यह हुआ कि गरीब देशों के लिए वैसी स्थिति पैदा हुई जो कोवैक्स प्रणाली में नहीं होने की अपेक्षा थी। अनुदान के लिए अमीर देशों की मर्जी और राजनीति पर निर्भर रहना पड़ा, जैसे कि उनके साथ पहले भी होता रहा है। कई मामलों में तो अमीर देश तब तक बड़ी संख्या में टीके दान नहीं करना चाहते जब तक कि उनके अपने सभी नागरिकों का टीकाकरण पूरा नहीं हो जाता।

विश्व स्वास्थ्य संगठन में वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ब्रूस एलिवार्ड ने टीका समानता पर एक सत्र में कहा था, ‘‘यदि हमने दुनिया के हिस्सों में टीकों को नहीं पहुंचने देने का प्रयास किया है तो इससे ज्यादा बदतर और क्या हो सकता है?’’

कतर, बहरीन और सऊदी अरब समेत अन्य अमीर देश जिन्होंने कोवैक्स से खरीदे गए टीके हाल में प्राप्त किए हैं वहां टीकाकरण की दर अधिक है और टीके प्राप्त करने के अन्य संसाधन भी हैं। कतर ने 14 लाख टीकों को दान करने का वादा किया है और कोवैक्स से प्राप्त 74,000 से अधिक टीके वह भेज भी चुका है।

कोवैक्स से अमेरिका को कोई खुराक नहीं मिली, यद्यपि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को मिली हैं। कोवैक्स से खुराक लेने पर कनाडा की इतनी आलोचना हुई कि उसने कहा कि वह अतिरिक्त खुराक की मांग नहीं करेगा। वेनेजुएला को आवंटित खुराक में से कुछ नहीं मिला है, हैती को आवंटित आधी खुराकें मिली हैं और सीरिया को आवंटित खुराकों का दसवां हिस्सा प्राप्त हुआ है। अधिकारियों ने कहा कि कुछ मामलों में खुराकें इसलिए नहीं भेजी गईं क्योंकि देशों के पास उन्हें वितरित करने की योजना नहीं है।

नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी में लॉ प्रोफेसर ब्रुक बेकर दवाओं तक पहुंच विषय के विशेषज्ञ हैं उन्होंने कहा कि यह अविवेकपूर्ण होगा कि जब 90 से अधिक विकासशील देशों को टीके नहीं मिल पा रहे हैं ऐसे में अमीर देश अपने लिए आपूर्ति में लगे हुए हैं।

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Web Title: Poor countries waiting for vaccines, rich countries increase their stock with 'Covax'

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