लाइव न्यूज़ :

कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच सांसों के लिए संघर्ष कर रहे हैं लोग : संरा प्रमुख

By भाषा | Updated: May 23, 2021 12:22 IST

Open in App

(योशिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 23 मई संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि भारत, दक्षिण अमेरिका और अन्य क्षेत्रों में कोविड-19 मामलों की हालिया वृद्धि ने “लोगों को हमारी आंखों के सामने सांसों के लिए सचमुच संघर्ष करने के लिए” छोड़ दिया है।

उन्होंने आगाह किया कि वैश्विक महामारी अब भी “हमारे बीच है, जो स्वरूप बदल रही है और तेजी से फैल रही है”।

गुतारेस ने विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में दिए गए अपने बयान में शुक्रवार को कहा, “मैंने कोविड-19 वैश्विक महामारी की शुरुआत से चेताया है कि जब तक सब सुरक्षित नहीं हो जाते, तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। टीकों, जांचों, दवाओं और ऑक्सीजन समेत अन्य आपूर्तियों तक असमान पहुंच ने गरीब देशों को वायरस के सामने लाचार कर दिया है।”

उन्होंने कहा, “भारत, दक्षिण अमेरिका और अन्य क्षेत्रों में कोविड-19 के मामलों की हालिया वृद्धि ने लोगों को हमारी आंखों के सामने सांसों के लिए सचमुच संघर्ष करने के लिए छोड़ दिया है। वैश्विक महामारी अब भी हमारे बीच है और स्वरूप बदल-बदल कर फल-फूल रही है।”

उन्होंने कहा, “यह साफ तौर पर समझ लें कि हम वायरस के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं और अगर आप वायरस के साथ युद्ध कर रहे हैं, तो हमें युद्ध परिदृश्य के नियमों के हिसाब से अपने हथियारों से लड़ना होगा और हम अब भी वह नहीं कर रहे हैं। यह बात टीकों के लिहाज से सच है और यह वायरस के खिलाफ जंग में दूसरे तत्वों के लिहाज से भी सच है।”

कोवैक्स को जहां अब तक पूरे विश्व में 17 करोड़ टीके पहुंचा देने चाहिए थी, लेकिन टीकाकरण को लेकर राष्ट्रवाद, सीमित उत्पादन क्षमता और वित्तपोषण के अभाव में यह आंकड़ा महज 6.5 करोड़ पर है।

गुतारेस ने कहा, “मैं जी20 देशों से वित्तीय मदद देने और उदाहरण पेश कर अगुवाई करने का आह्वान करता हूं। अरबों का निवेश खरबों की बचत करने के साथ ही जीवन बचा सकता है।”

गुतारेस ने जोर दिया कि जल्द एवं पूरे विश्व में टीकाकरण तथा निरंतर जन स्वास्थ्य उपायों से ही वैश्विक महामारी को समाप्त किया जा सकता है और अधिक खतरनाक स्वरूपों को पैर जमाने से रोका जा सकता है।

उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि अब तक दुनिया के 82 प्रतिशत टीकों की खुराक संपन्न देशों को गई है जबकि कम आय वर्ग वाले देशों में महज 0.3 प्रतिशत खुराक पहुंची हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारयूपी के सिर्फ 25 जिलों में कृषि विकास अधिकारी तैनात?, सपा सांसद प्रिया सरोज ने संसद में पूछे सवाल

क्रिकेटआईसीसी टी20 विश्व कप से पहले 9 मैच?, बीसीसीआई-कोच गौतम के सामने गंभीर सवाल, संजू सैमसन, जितेश शर्मा, अर्शदीप सिंह और कुलदीप यादव को प्लेइंग इलेवन में कैसे करें फिट?

कारोबारक्या है ‘आपका धन, आपका अधिकार’ अभियान?, 60 दिन में 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति असली मालिकों को लौटाई गई, पीएम मोदी बोले-आंदोलन को और व्यापक बनाएं

भारतवीर सावरकर के नाम पर दिए जाने वाले किसी भी पुरस्कार को स्वीकार नहीं करूंगा?, कांग्रेस सांसद शशि थरूर बोले- मेरी सहमति के बिना मेरे नाम की घोषणा करना गैरजिम्मेदाराना

क्राइम अलर्टहॉरर आंकड़े, 2023 में 15 वर्ष और अधिक उम्र की 1 अरब से अधिक महिलाओं ने बचपन में यौन हिंसा झेली, 60.8 करोड़ अंतरंग साथी की गई हिंसा की शिकार

विश्व अधिक खबरें

विश्वसोशल मीडिया बैन, 16 साल से बच्चों पर लागू, फेसबुक, इंस्टाग्राम, किक, रेडिट, स्नैपचैट, थ्रेड्स, टिकटॉक, एक्स, यूट्यूब और ट्विच जल्दी हटाएं नहीं तो 3.29 करोड़ अमेरिकी डॉलर जुर्माना

विश्वInternational Human Rights Day 2025: 10 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है मानवाधिकार दिवस? जानें क्या है महत्व

विश्वट्रम्प की इससे ज्यादा बेइज्जती और क्या हो सकती है ? 

विश्वपाकिस्तान टूटने की कगार पर, 'सिंधुदेश' की मांग को लेकर कराची में भड़की हिंसा

विश्वसिंध प्रांतः हिंदू महिला और नाबालिग बेटी का अपहरण, 3 हथियारबंद शख्स ने घर से बाहर निकलते ही जबरन सफेद कार में बैठाया और...