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‘पैंडोरा पेपर्स’: ब्रिटेन सरकार पर काला धन से निपटने की व्यवस्था सुदृढ़ करने का दबाव बढ़ा

By भाषा | Updated: October 5, 2021 17:06 IST

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लंदन, पांच अक्टूबर (एपी) ‘पैंडोरा पेपर्स’ के दस्तावेजों में सामने आया है कि किस प्रकार लंदन दुनिया के कुछ सबसे अमीर और ताकतवर लोगों के “काले धन” को छिपाने का अड्डा बना हुआ है। इस रहस्योद्घाटन के बाद से ब्रिटेन की कंजर्वेटिव सरकार पर इससे निपटने की व्यवस्था को सुदृढ़ करने का दबाव बढ़ रहा है।

वित्तीय पारदर्शिता के लिए काम करने वाले एक समूह ‘ग्लोबल विटनेस’ के अनुसार, इंग्लैंड और वेल्स में 87,000 सम्पत्तियां बेनामी कंपनियों के मालिकाना हक के अधीन हैं जो कर चोरी के अड्डे बन चुके स्थानों पर पंजीकृत हैं।

‘ग्लोबल विटनेस’ ने कहा है कि ऐसी संपत्तियों का 40 प्रतिशत लंदन में स्थित है और उनका कुल मूल्य सौ अरब पौंड (135 अरब डॉलर) से अधिक हो सकता है। इनमें वेस्टमिंस्टर के आसपास के स्थल शामिल हैं जहां ब्रिटेन की संसद स्थित है। इसके अलावा कैमडेन, केंसिंग्टन और चेल्सिया शामिल है।

‘इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स’ (आईसीआईजे) द्वारा रविवार को प्रकाशित रिपोर्ट में ब्रिटेन और लंदन को काला धन छिपाने के प्रमुख अड्डों के तौर पर दिखाया गया है। आईसीआईजे में ब्रिटेन गार्डियन अखबार और बीबीसी भी साझेदार हैं।

लंदन में जिनके खाते बताए गए हैं उनमें जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला (द्वितीय), आजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सहयोगी शामिल हैं। अब्दुल्ला ने कोई खाता होने की बात से इनकार किया है और खान ने ट्वीट किया कि उनकी सरकार इन आरोपों की जांच करेगी और दोषियों को सजा देगी।

अलीयेव ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि, लेनदेन ब्रिटिश कानून के अनुसार वैध है लेकिन हाल में हुए खुलासे से पता चला है कि धनी लोग कर चोरी करने की खातिर कितनी जटिल प्रक्रिया अपनाते हैं। लंदन विशेष रूप से रईस और शक्तिशाली लोगों द्वारा अपना धन छुपाने की पसंदीदा जगह है क्योंकि यहां ऐसा जटिल पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है, जो इस ऐसा करने में सहायता करता है।

इसमें संपत्ति का प्रबंधन करने वाले फर्म, चतुर वकील और लंबे समय से स्थापित अकॉउंटिंग कंपनियां शामिल हैं। लंदन का संपत्ति बाजार वह भूमिका निभाने के लिए कुख्यात है, जिसके जरिये दुनियाभर के धनी लोग अपनी अघोषित संपत्ति को छुपाने यहां आते हैं और शहर के बीचोबीच महंगी संपत्ति के मालिक बन जाते हैं। उदाहरण के तौर पर रूस के कई रईसों ने हाल के वर्षों में लंदन में बेहद महंगी संपत्ति खरीदी है।

वर्ष 2016 में सामने आए “पनामा पेपर्स” और उसके बाद “पैराडाइस पेपर्स” मामले में भी ऐसे वित्तीय आंकड़े सामने आए थे, जिसमें लंदन का प्रमुख रूप से उल्लेख था। ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल यूके’ समूह के नीति निदेशक डंकन हेम्स ने कहा कि इन खुलासों से सरकार को नींद से जागना चाहिए और कर चोरी तथा धन शोधन के प्रति ब्रिटेन को कड़े कदम उठाने चाहिए।

उन्होंने कहा, “इन खुलासों से पता चलता है महंगी संपत्तियां और लक्जरी जीवनशैली अपनाने वाले भ्रष्ट अमीरों के लिए एक तरह की व्यवस्था है और कड़ी मेहनत करने वाले ईमानदार लोगों के लिए दूसरी व्यवस्था है।” उन्होंने कहा, “वैश्विक भ्रष्टाचार और धन शोधन को सहायता देने के लिए ब्रिटेन की भूमिका एक बार फिर उजागर हुई है और वही खामियां सामने आई हैं, जिनका इस्तेमाल कर संदिग्ध धन देश में लाया जा रहा है।”

‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल यूके’ सरकार से आग्रह कर रही है कि ऐसी खामियों को ठीक किया जाए जिससे ब्रिटेन में बाहर से आने वाले अवैध पैसे पर रोक लगाई जा सके, जो उन कंपनियों के नाम पर आता है, जिनके असली मालिकों का नाम तक पता नहीं होता।

वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि ब्रिटेन के कर अधिकारी ‘पैंडोरा पेपर्स’ का निरीक्षण करेंगे। उन्होंने कर चोरी के प्रति देश द्वारा उठाए गए कदमों का बचाव किया। सुनक ने बीबीसी रेडियो पर कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह शर्म का विषय है क्योंकि असल में इस मुद्दे पर हमने अतीत में मजबूत कदम उठाए हैं।”

रूस के काले धन की लगभग आधी राशि के ब्रिटेन में शोधन होने पर पूछे गए सवाल के जवाब में सुनक ने कहा कि सरकार से हमेशा ही कुछ ज्यादा करने की आशा की जाती है। विपक्षी दलों ने कहा कि खुलासे से कंजर्वेटिव पार्टी को मिले दान पर भी सवाल खड़े होते हैं और सरकार को इस पर अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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