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क्या पाकिस्तान ने अब तुर्की को भी बेचा परमाणु बम बनाने की तकनीक?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 23, 2019 08:27 IST

न्यूयॉर्क टाइम्स ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि अगर अमेरिका इस तुर्किश नेता को अपने कुर्द सहयोगियों को बर्बाद करने से नहीं रोक सका तो वह उन्हें न्यूक्लियर हथियार बनाने से कैसे रोक सकता है?

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ठळक मुद्देलंदन के थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्ट्रेटजिक स्टडीज ने पाकिस्तान के परमाणु तस्कर अब्दुल कादिर खान के नेटवर्क पर न्यूक्लियर ब्लैक मार्केट नाम से स्टडी की थी। अब्दुल कादिर ने जब इस बात को स्वीकार किया था कि उसने परमाणु तस्करी की है तो उसने बताया था कि यह काम उसने अपनी मर्जी से किया था इसमें पाकिस्तान सरकार की कोई भूमिका नहीं थी।

तुर्की ने न्यूक्लियर हथियार बनाने की इच्छा जाहिर किया। उसके इस ऐलान के बाद परमाणु प्रसार के लिये बदनाम रहे पाकिस्तान पर एक बार फिर सवाल खड़े होने शुरू हो गये हैं। लगभग 15 साल पहले पाक के एक न्यूक्लियर तस्कर ने इस बात को स्वीकार किया था कि उसने कुछ देशों को अवैध रूप से न्यूक्लियर तकनीक सप्लाई की थी।

सालों बाद एक बार फिर यह मामला तब उठा जब तुर्की के राष्ट्रपति रिजेप तैय्यप एर्दोगन ने हाल ही में अपनी पार्टी की एक बैठक में कथित तौर पर तुर्की को न्यूक्लियर पावर बनाने की इच्छा जाहिर की।

एर्दोगन ने हाल ही में अपनी पार्टी के एक नेता से कहा था कि कुछ देशों के पास न्यूक्लियर पावर से लैस मिसाइलें हैं...हमारे पास वह नहीं हो सकता। इसे मैं मंजूर नहीं कर सकता। उनके इस बयान के बाद अमेरिका में भी हलचल बढ़ गयी है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि अगर अमेरिका इस तुर्किश नेता को अपने कुर्द सहयोगियों को बर्बाद करने से नहीं रोक सका तो वह उन्हें न्यूक्लियर हथियार बनाने से कैसे रोक सकता है?

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तुर्की पहले ही परमाणु बम बनाने पर काम कर रहा है। उसने यूरेनियम का भंडार इकट्ठा किया है और रियेक्टरों से जुड़े रिसर्च कर रहा है। बताया गया है कि तुर्की का परमाणु कालाबाजारी के लिये बदनाम पाकिस्तान के अब्दुल कादिर से साथ एक ऐसा समझौता है जो रहस्य है।

लंदन के थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्ट्रेटजिक स्टडीज ने पाकिस्तान के परमाणु तस्कर अब्दुल कादिर खान के नेटवर्क पर न्यूक्लियर ब्लैक मार्केट नाम से स्टडी की थी। इस अध्ययन के मुताबिक तुर्की की कंपनियों ने परमाणु सामग्रियों को आयात करने में अब्दुल कादिर की मदद की। वैज्ञानिक अब्दुल पर पाकिस्तान के पास उपलब्ध इस परमाणु तकनीक को अन्य देशों नॉर्थ कोरिया, ईरान और लीबिया को बेचने का आरोप है। चर्चा ये है कि तुर्की उसका चौथा कस्टमर है। 

अब्दुल कादिर ने जब इस बात को स्वीकार किया था कि उसने परमाणु तस्करी की है तो उसने बताया था कि यह काम उसने अपनी मर्जी से किया था इसमें पाकिस्तान सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। कादिर खान ने एक कार्यक्रम में तुर्की की तरफदारी करते हुये यह भी कहा था कि ये ऐसा देश है जिन्हें पाकिस्तान को बढ़ावा देना चाहिये।

टॅग्स :तुर्कीपाकिस्तान
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