पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन माजरी ने सोमवार को कहा कि उनका देश लोगों के जबरन गायब होने के मामले को अपराध घोषित करने वाला है। जबरन गायब होने या अगवा किए गए लोगों के संबंध में 30 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर शिरीन माजरी ने ट्वीट किया कि नेशनल असेंबली की स्थायी समिति (एनएएससी) ने गुमशुदा लोगों के संबंध में एक विधेयक को पिछले हफ्ते मंजूरी दे दी। विधेयक का उद्देश्य जबरन गायब होने को अपराध बनाना है क्योंकि इस मुद्दे पर देश में कोई व्यापक कानून नहीं है। माजरी ने कहा, ‘‘हम जबरन गायब किए जाने को अपराध की श्रेणी में रखने की अपनी प्रतिबद्धता पर आगे बढ़ रहे हैं।’’ मंत्री ने कहा कि दुख की बात है कि कानून बनाने में कुछ समय बर्बाद हो गया क्योंकि पूर्ववर्ती सरकारों ने जबरन गायब होने के मामलों पर ध्यान नहीं दिया और कहा कि सभी हितधारकों के साथ परामर्श के बाद एनएएससी द्वारा विधेयक का समर्थन किया गया। लापता व्यक्तियों का मुद्दा अत्यधिक संवेदनशील है क्योंकि हाल के वर्षों में गायब हुए अधिकतर लोग बलूचिस्तान के हैं, जहां पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से अशांति है। लापता व्यक्तियों के रिश्तेदार इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों पर आरोप लगाते हैं। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि लापता लोग आतंकवादी समूहों में शामिल हो गए या अफगानिस्तान भाग गए। एक उच्च-स्तरीय सरकारी निकाय 2011 से इस मुद्दे पर काम कर रहा है। गायब लोगों की जांच के लिए बनाए गए आयोग ने 7,000 शिकायतों में से करीब 5,000 को हल करने का दावा किया है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।