पाकिस्तान: ब्लासफेमी के आरोप में कोर्ट ने एक अल्पसंख्यक ईसाई को दी मौत की सजा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: July 8, 2022 20:03 IST2022-07-08T16:28:04+5:302022-07-08T20:03:21+5:30

पाकिस्तान के लाहौर में एक अल्पसंख्यक ईसाई को सिर्फ इसलिए कोर्ट ने मौत की सजा दे दी है क्योंकि उसने कथिततौर पर ब्लासफेमी किया था।

Pakistan: Blasfemi means the court sentenced a Christian to death for insulting the Prophet | पाकिस्तान: ब्लासफेमी के आरोप में कोर्ट ने एक अल्पसंख्यक ईसाई को दी मौत की सजा

पाकिस्तान: ब्लासफेमी के आरोप में कोर्ट ने एक अल्पसंख्यक ईसाई को दी मौत की सजा

Highlightsब्लासफेमी के लिए पाकिस्तान के लाहौर की कोर्ट ने एक अल्पसंख्य ईसाई को सुनाई मौत की सजाईसाई अशफाक मसीह पर आरोप था कि उसने जून 2017 में एक शख्स के साथ बहस में ब्लासफेमी कीबीते 4 जुलाई को लाहौर की कोर्ट ने 32 साल के मसीह को पांच साल पुराने मामले दी मौत की सजा

लाहौर: ब्लासफेमी के आरोप में पाकिस्तान की एक कोर्ट ने एक अल्पसंख्य ईसाई को मौत की सजा सुनाई है। पेशे के बाइक मैकेनिक का काम करने वाले अशफाक मसीन पर आरोप था कि उसने करीब पांच साल पहले एक ग्राहक के सामने कथिततौर पर पैगंबर का अपमान किया था।

समाचार पत्र 'द फ्राइडे टाइम्स' के मताबिक बीते 4 जुलाई को कोर्ट ने 32 साल के अशफाक मसीह को जून 2017 में बाइक बनवाने आये एक ग्राहक के साथ बाइक सर्विस करने के बाद पैसे के लेनदेन में कथित तौर पर पैगंबर के विषय में की गई विवादित टिप्पणी के के बाद गिरफ्तार किया गया था।

जानकारी के अनुसार मसीह ने लाहौर में बाइक सर्विस के बाद उसके मालिक से पैसे मांगे तो उसने उसके महनताने के पूरे पैसे नहीं दिये, उस शख्स का कहना था कि वो मौलाना है, इसलिए मसीह उसे छूट दे।

जबकि मसीह का कथित तौर पर कहना था कि वह पैगंबर में विश्वास नहीं करता है। मसीह का इतना कहना था कि दोनों में तीखा विवाद पैदा हो गया। इस बीच मौके पर भीड़ जमा हो गई।

चूंकि मसीह अल्पसंख्यक ईसाई था, भीड़ ने उस पर पैगंबर के "अपमान" का आरोप लगा दिया। इतना ही नहीं आरोप यह भी लगा कि बहस के दौरान मसीह ने कथित तौर पर कहा कि ईसाइयों के लिए पैगंबर नहीं बल्कि यीशु सर्वोच्च हैं।

इसके बाद मौके पर पहुंची लाहौर पुलिस ने ब्लासफेमी के आरोप में मसीह को फौरन गिरफ्तार करते हुए रसूल की तौहीन का केस दर्ज कर लिया। साल 2017 से चल रहे मसीह के खिलाफ ब्लासफेमी के मामले में कई पड़ाव आये। 

एक बेटी और पत्नी के इकलौते रखरखाव करने वाले मसीह ने साल 2019 में अपनी मां को खो दिया। मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कोर्ट ने मसीह को पैरोल पर रिहा किया।

यही नहीं इस घटना की जब रिपोर्ट लिखी गई थी तो उसमें यह भी लिका गया था कि ब्लासफेमी के आरोप में फंसे मसीह को छोड़कर उसका परिवार लाहौर से भाग गया था।

मालूम हो कि इस्लामी देश पाकिस्तान में बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम होने के कारण पैगंबर के विरोध में बोलने वालों के खिलाफ ब्लासफेमी का कड़ा कानून है और आरोप साबित हो जाने पर सीधे मौत की सजा का प्रावधान है।

पाकिस्तान में ब्लासफेमी कानून से सबसे ज्यादा शिकार अल्पसंख्यक होते हैं। कई बार अल्पसंख्यकों और खासकर हिंदुओं को इस कानून के तहत कथित तौर पर फंसाने की खबरें भी सामने आती हैं।

अभी गुजरे महीने बहावलपुर की कोर्ट ने एक हिंदू परिवार के पांच सदस्यों को इसलिए बरी कर दिया था, क्योंकि एक साल पहले इसी ब्लासफेमी के तहत उन्हें झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया गया था।

लेकिन ऐसा नहीं कि बहावलपुर कोर्ट की तरह सभी जगह लोग बरी हो जाते हैं। हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां ब्लासफेमी के कारण लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है।

जनवरी 2022 में इसी पाकिस्तान में एक 26 साल की महिला को सिर्फ इसलिए फांसी की सजा दी गई क्योंकि उसने व्हाट्सएप स्टेटस के तौर पर कथित रूप से पैगंबर मुहम्मद का कैरिकेचर लगा दिया था।

Web Title: Pakistan: Blasfemi means the court sentenced a Christian to death for insulting the Prophet

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे