पाकिस्तान में लाहौर की एक अदालत ने मुंबई आतंकी हमले के सरगना हाफिज सईद के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण (टेरर फंडिंग) का आरोप तय कर दिया है। इससे पहले इस मामले में लाहौर की कोर्ट में सुनवाई 7 दिसंबर को थी। हालांकि एक सह-आरोपी को पेश करने में पाक अधिकारियों के नाकाम रहने पर सईद पर आरोप तय नहीं हो सके थे।
उस समय सुनवाई के लिए हाफिज सईद को लाहौर की कोट लखपत जेल से उच्च सुरक्षा के बीच अदालत लाया गया था। पाकिस्तान में पंजाब पुलिस के आतंकवाद रोधी विभाग (सीटीडी) ने पंजाब प्रांत के विभिन्न शहरों में ‘‘आतंकवाद के वित्त पोषण’’ के आरोपों पर सईद और उसके साथियों के खिलाफ 23 प्राथमिकियां दर्ज की थी और जमात-उद-दावा (जेयूडी) सरगना को 17 जुलाई को गिरफ्तार किया था।
आतंकवाद विरोधी अदालत के न्यायाधीश मलिक अरशद भुट्टा ने सईद और उसके साथियों पर पंजाब प्रांत के विभिन्न शहरों में 'आतंकवाद वित्तपोषण' का आरोप तय किया। मामले हाफिज सईद और उसके साथियों द्वारा गुजरांवाला और मुल्तान में अल-अंफाल ट्रस्ट, दावातुल इरशाद ट्रस्ट सहित मुआज बिन जबाल ट्रस्ट सहित ट्रस्ट या गैर-लाभ संगठनों (एनपीओ) के नाम पर बनाई गई संपत्ति/संपत्तियों के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए धन एकत्रित करने के लिए दर्ज किए गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव में पाकिस्तानी प्राधिकारियों ने लश्कर-ए-तैयबा, जमात उद दावा और उसकी परमार्थ इकाई फलाह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए उनकी संपत्तियों और ट्रस्टों के इस्तेमाल के मामलों की जांच शुरू कर दी है। सईद के जमात-उद-दावा को लश्कर का प्रमुख संगठन माना जाता है, जिसने 2008 में मुम्बई में आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया था। इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे।
(भाषा इनपुट)