पाकिस्तान को डर है कि फायनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) उसे ब्लैकलिस्ट न कर दे। एफएटीएफ जी-7 समूह देशों की नीतियों को आतंकवाद के वित्तपोषण और कालेधन को वैध बनाने के खिलाफ अंजान देने वाला अंतर सरकारी संगठन है, जिसका मुख्यालय फ्रांस में है। अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि पाकिस्तान एफएटीएफ से डरा हुआ है। समाचार एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक, पाकिस्तान को आशंका है कि आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाए जाने को लेकर उसकी खराब रेटिंग को देखते हुए एफएटीएफ उसे ब्लैक लिस्ट कर सकता है। पाकिस्तान के ही अधिकारी ने इस डर को बयां किया है।
एशिया पेसिफिक ज्वाइंट ग्रुप (एपीजेजी) की मीटिंग में बातचीत की हिस्सा रहे एक पाकिस्तानी अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की कड़ी शर्त पर एएनआई को बताया कि बैठक में साहसी प्रदर्शन के बावजूद पाकिस्तान को खराब रेटिंग की आशंका है और एफएटीएफ के अन्य सदस्यों के साथ वह अपनी राजनयिक पहुंच बढ़ा है।
सूत्रों की मानें तो एफएटीएफ के समीक्षक समूह (एशिया पेसिफिक ज्वाइंट ग्रुप) जो कि इस हफ्ते बैंकॉक में मिला, वह कैनबरा में पेश की गई अगस्त 18 से 23 तक की एशिया पेसिफिक ग्रुप की म्यूचुअल इवेल्यूएशन रिपोर्ट से कम ही आश्वस्त हुआ है और उसने पाकिस्तान को सुधारवादी कदम उठाने के फॉलो अप में रखा है।
आशंकाओं से घिरे एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि ढेर सारा काम किया गया है, जिसमें एपीजेजी के 127 सवालों के जवाब भी शामिल हैं और आंकड़ों पर आधारित सही लिखित जवाब देने के बाद भी 16 सदस्यों वाले मल्टी नेशनल ग्रुप में हर किसी ने 27 चीजों के बारे घुमा-फिराकर सवाल पूछे। ग्रुप को समझना होगा कि ये विरासत के मुद्दे हैं और पाकिस्तानी सरकार अपने देश के हर कोने से आतंकवाद को हटाने के लिए प्रतिबद्ध है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमराम खान इस महीने के बाद यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली के 29 वैश्विक नेताओं से मिलेंगे।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में रखा था और 27 बिंदुओं के प्लान पर काम करने के लिए और उसे लागू कराने के लिए 15 महीने का एक्शन प्लान दिया था, जिस पर अगर वह खरा नहीं उतरता है तो ब्लैक लिस्ट हो सकता है।