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Operation Peace Spring: गृहयुद्ध में तबाह सीरिया पर हमला करके तुर्की क्या हासिल करना चाहता है?

By आदित्य द्विवेदी | Updated: October 10, 2019 14:27 IST

अमेरिकी सेना की सीरयाई सीमा से वापसी के फौरन बाद तुर्की ने बुधवार को कुर्दों के कब्जे वाले उत्तरी सीरिया पर हवाई हमले किए। इसमें 15 लोगों की मौत की खबर सामने आई है।

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ठळक मुद्देतुर्की सीरिया सीमा के करीब 32 किमी का एक सेफ जोन बनाना चाहता है जहां शरणार्थियों को बसाया जा सके।तुर्की पीकेके को कमजोर करना चाहता है जिसे तुर्की में सीरियाई कुर्दों की मदद मिलती रहती है।

सीरिया में पिछले आठ साल से जारी गृहयुद्ध की आग ठंडी पड़ने लगी है। देश के अधिकांश इलाके को ISIS के आतंक से मुक्त करा लिया गया है। फिलहाल सीरिया के 65 प्रतिशत हिस्से पर असाद सरकार का कब्जा है और 30 प्रतिशत हिस्से पर कुर्दिशों की स्वायत्त सरकार है। कुछ ही हिस्सों में आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन बचे हैं। लेकिन इस बीच ताजा घटनाक्रम एकबार फिर सीरियाई गृहयुद्ध को हवा दे सकता है। इस घटनाक्रम की वजह से आईएसआईएस के दोबारा पनपने की भी संभावनाएं भी जन्म ले चुकी हैं।

क्या है ताजा घटनाक्रम?

अमेरिकी सेना की सीरयाई सीमा से वापसी के फौरन बाद तुर्की ने बुधवार को कुर्दों के कब्जे वाले उत्तरी सीरिया पर हवाई हमले किए। इसमें 15 लोगों की मौत हो गई की खबर सामने आई है। तुर्की का यह अभियान सीरिया के आठ साल पुराने युद्ध को नये सिरे से भड़का सकता है जिससे हजारों लोगों के विस्थापित होने की आशंका है। तुर्की ने इस अभियान को ऑपरेशन पीस स्प्रिंग नाम दिया है। कुर्दिश नेता नवाफ खरीर ने कहा कि कुछ लोग देश के सुदूर दक्षिणी गांव की तरफ रवाना हो रहे हैं। उन्होंने सभी कुर्दों से एकजुट रहने की अपील की है।

सीरिया पर हमला करके तुर्की को क्या मिलेगा?

सीरिया पिछले आठ साल से गृहयुद्ध में घिरा है और पूरी तरह से तबाह हो चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि सीरिया पर हमला करके तुर्की को क्या मिलेगा? दरअसल, तुर्की उत्तरी सीरिया पर हमला करने जा रहा है जहां कुर्दों की स्वायत्त सरकार है। इससे तुर्की के दो हित सिद्ध होते हैंः-

1. सीरियाई गृहयुद्ध के समय करीब 20 लाख लोगों ने तुर्की में शरण ली थी। दुनिया को दिखाने के लिए तुर्की सीरिया सीमा के करीब 32 किमी का एक सेफ जोन बनाना चाहता है जहां शरणार्थियों को बसाया जा सके।

2. तुर्की पीकेके को कमजोर करना चाहता है जिसे तुर्की में सीरियाई कुर्दों की मदद मिलती रहती है। सीरियाई कुर्दों को पीछे धकेल देने से पीकेके को मदद मिलनी बंद हो जाएगी।

तुर्की अपने सहयोगी अमेरिका से कह रहा है कि कुर्दों को अपना समर्थन बंद करो। यूएसए ने कहा कि हम इस लड़ाई में शामिल नहीं होंगे। ना तो हम कुर्दों का समर्थन करेंगे और ना ही तुर्की का। ट्रंप ने ट्वीट करके कहा कि अगर तुर्की कुछ गलत करेगा तो उसकी इकोनॉमी तबाह कर देंगे।

अमेरिका ने कुर्दों को दिया धोखा!

अमेरिका ने रविवार को घोषणा की थी कि अमेरिकी सैनिक तुर्की की सैन्य कार्यवाही से पहले वहां से हट जाएंगे। गौरतलब है कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट समूह के खिलाफ जंग में अमेरिका लंबे समय से कुर्दों को समर्थन देता रहा है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कुर्दों की सेना नहीं होती तो आईएस को हराना बेहद मुश्किल होता। लेकिन अचानक कुर्दों को छोड़कर अमेरिकी सेना के जाने और फिर तुर्की के हमले को कुर्दों के साथ धोखे के तौर पर देखा जा रहा है।

यूएसए ने कहा कि हम इस लड़ाई में शामिल नहीं होंगे। ना तो हम कुर्दों का समर्थन करेंगे और ना ही तुर्की का। ट्रंप ने ट्वीट करके कहा कि अगर तुर्की कुछ गलत करेगा तो उसकी इकोनॉमी तबाह कर देंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस घाल-मेल रुख ने कुर्दों का भविष्य अनिश्चितता में डाल दिया है।

सीरियाई कुर्दों के पास क्या विकल्प?

तुर्की के हमले के बाद सीरियाई कुर्दों के पास दो विकल्प हैं। हालांकि उन दोनों के भलीभूत होने की संभावना बेहद कम दिखाई दे रही है। पहली संभावना है कि कुर्द सरकार सीरिया की असाद सरकार से मदद मांगे और सीमा सुरक्षा की अपील करे।

दूसरा, कुर्दों के पास अभी भी पांच हजार से ज्यादा आईएसआई के आतंकी कैद में हैं। अगर तुर्की हमला करता है तो उन आतंकियों को कैद में रख पाना मुश्किल हो जाएगा। इस स्थिति में वैश्विक ताकतें तुर्की को हमले से रोक सकती हैं।

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